

पीतांबरा पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. दिनेश जी महाराज ने बताया कि भारतीय ज्योतिष में पुष्य नक्षत्र को सभी 27 नक्षत्रों में सर्वोच्च स्थान प्राप्त है, जिसे ‘नक्षत्रों का राजा’ कहा जाता है। ‘पुष्य’ शब्द का शाब्दिक अर्थ है ‘पोषण करने वाला’ या ‘शक्ति और ऊर्जा प्रदान करने वाला’। इसे भगवान बृहस्पति का नक्षत्र माना जाता है, जो ज्ञान, समृद्धि और अक्षय शुभता का प्रतीक है।
वर्ष 2025 में, दीपावली के पावन पर्व से ठीक पहले, यह अत्यंत शुभ पुष्य नक्षत्र 14 अक्टूबर (मंगलवार) और 15 अक्टूबर (बुधवार) को पड़ रहा है, जो इसे खरीदारी, निवेश और किसी भी नए कार्य के शुभारंभ के लिए एक महामुहूर्त बना रहा है।
पुष्य नक्षत्र की अवधि और विशेष योग
14 अक्टूबर 2025, मंगलवार सुबह 11:54 बजे से प्रारंभ होकर
15 अक्टूबर 2025, बुधवार दोपहर 12:00 बजे पुष्य नक्षत्र समाप्त होगा।
इस दौरान पुष्य नक्षत्र का संयोग दो विशिष्ट दिनों के साथ बन रहा है:
14 अक्टूबर 2025: मंगल पुष्य योग (मंगलवार)
15 अक्टूबर 2025: बुध पुष्य योग (बुधवार)
हालाँकि, गुरु पुष्य (गुरुवार) और रवि पुष्य (रविवार) को सर्वाधिक शुभ माना जाता है, लेकिन दीपावली के निकट होने के कारण इस संयोग को भी विशेष फलदायी और खरीदारी के लिए अत्यंत उत्तम माना जाता है।
पुष्य नक्षत्र का कारकत्व और फल
पुष्य नक्षत्र को इतना श्रेष्ठ मानने के पीछे दो प्रमुख कारक शक्तियाँ हैं-
नक्षत्र के अधिष्ठाता देव देव गुरु बृहस्पति (ज्ञान और समृद्धि के कारक)यह नक्षत्र गुरु के पूर्ण आशीर्वाद में होता है। गुरु का प्रभाव ज्ञान, धन, धर्म और शुभ कार्यों में निरंतर वृद्धि सुनिश्चित करता है।
नक्षत्र का स्वामी ग्रह शनि (न्याय और स्थायित्व के कारक) शनि का स्वामित्व इस नक्षत्र में किए गए कार्यों को स्थायित्व प्रदान करता है। खरीदी गई वस्तु या शुरू किया गया कार्य लंबे समय तक टिकाऊ और लाभकारी होता है।
विशेष फल: यह नक्षत्र “अक्षय फल” प्रदान करने वाला माना जाता है, जिसका अर्थ है ‘कभी न समाप्त होने वाला’। इस मुहूर्त में किया गया निवेश, वस्तु खरीदी या धार्मिक कार्य चिरस्थायी लाभ और निरंतर समृद्धि देता है।
पुष्य नक्षत्र में करने योग्य शुभ कार्य
पुष्य नक्षत्र, विशेषकर दिवाली से पहले, धन की वृद्धि और स्थायित्व के लिए सर्वोत्तम माना गया है।
धन और खरीदारी- सोना, चांदी, पीतल जैसी शुभ धातुओं की खरीदारी।
वाहन, भूमि या नई संपत्ति में निवेश करना।
नए बही-खाते, तिजोरी या व्यावसायिक उपकरण खरीदना।
धार्मिक और आध्यात्मिक- माता लक्ष्मी, भगवान विष्णु (सत्यनारायण पूजा) और भगवान शिव की पूजा।
नए मंत्र की दीक्षा लेना, जप या अनुष्ठान शुरू करना।
अन्य महत्वपूर्ण कार्य- नए व्यवसाय या कार्यस्थल का शुभारंभ।
शिक्षा, शिल्प या विद्या ग्रहण करना शुरू करना।
मंदिर या घर का निर्माण कार्य शुरू करना (नींव डालना)।
पुष्य नक्षत्र में वर्जित कार्य (क्या न करें?)
पुष्य नक्षत्र को सबसे शुभ माना जाता है, लेकिन फिर भी कुछ कार्य वर्जित होते हैं, क्योंकि ये इस नक्षत्र के स्थायित्व वाले गुण के प्रतिकूल माने जाते हैं:
विवाह – पुष्य नक्षत्र में विवाह वर्जित है। माना जाता है कि शनि और गुरु के संयुक्त प्रभाव से यह नक्षत्र बहुत स्थायित्व देता है, इसलिए यदि पति-पत्नी के रिश्ते में कोई मनमुटाव हो जाए, तो वह भी स्थायी हो जाता है।
उधार देना या लेना- इस दिन उधार दिया या लिया गया धन स्थायी हो जाता है, जिससे उसका लौटना या चुकाना मुश्किल हो जाता है।
धारदार/चमड़े की वस्तुएँ- ज्योतिष में धारदार वस्तुएं (जैसे सुई, चाकू) और चमड़े की वस्तुएं इस नक्षत्र में नहीं खरीदी जाती हैं। |
अतः यह कहा जा सकता है कि 14 और 15 अक्टूबर 2025 का पुष्य नक्षत्र एक बहुमूल्य संयोग है, जिसे दिवाली की समृद्धि को घर में आमंत्रित करने के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। यह समय केवल भौतिक सुखों के लिए ही नहीं, बल्कि ज्ञान, आध्यात्मिक उन्नति और जीवन में नए, स्थायी और सकारात्मक अध्याय शुरू करने के लिए भी सर्वोत्तम है। शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए इस महासंयोग का लाभ उठाना कल्याणकारी सिद्ध होगा।
