भारतमाला परियोजना में 32 करोड़ का मुआवज़ा घोटाला — ईओडब्ल्यू ने 9 आरोपियों के खिलाफ न्यायालय में पेश किया चालान


रायपुर, 13 अक्टूबर।

छत्तीसगढ़ में चल रही भारतमाला परियोजना से जुड़ा एक बड़ा मुआवज़ा घोटाला उजागर हुआ है। इस मामले में राजस्व अधिकारियों और निजी दलालों की मिलीभगत से लगभग ₹32 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान शासन को पहुँचाने का आरोप है। आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने इस प्रकरण में 9 अभियुक्तों के विरुद्ध 7,500 पृष्ठों का प्रथम अभियोग पत्र आज माननीय विशेष न्यायालय (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम), रायपुर में प्रस्तुत किया है।

अभियुक्तों में लोक सेवक गोपाल राम वर्मा, नरेन्द्र कुमार नायक तथा निजी व्यक्ति उमा तिवारी, केदार तिवारी, हरमीत सिंह खनूजा, विजय कुमार जैन, खेमराज कोशले, पुनुराम देशलहरे, भोजराम साहू और कुंदन बघेल शामिल हैं। इन पर आईपीसी की धारा 467, 468, 471, 420, 409, 120-बी एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (संशोधित 2018) की धाराओं के तहत अपराध दर्ज किया गया है।

घोटाले का तरीका

ईओडब्ल्यू की जांच में खुलासा हुआ कि रायपुर-विज़ाग हाईवे निर्माण (भारतमाला परियोजना) के अंतर्गत ग्राम नायकबांधा, टोकरो और उरला की भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया गया।

  • पहला मामला: राजस्व अधिकारियों और दलालों की मिलीभगत से बैक डेट में फर्जी बंटवारा और नामांतरण कराकर अधिक मुआवज़ा हासिल किया गया। शासन को लगभग ₹28 करोड़ का नुकसान हुआ।
  • दूसरा मामला: नायकबांधा जलाशय की पहले से अधिग्रहित भूमि के लिए दोबारा मुआवज़ा भुगतान कर ₹2 करोड़ से अधिक की हानि पहुँचाई गई।
  • तीसरा मामला: उमा तिवारी के नाम पर फर्जी दस्तावेज तैयार कर मुआवज़ा राशि निकाली गई, जिससे शासन को लगभग ₹2 करोड़ का नुकसान हुआ।

राजस्व अधिकारियों और दलालों की मिलीभगत

जांच में यह पाया गया कि दलाल हरमीत सिंह खनूजा और उसके साथियों ने किसानों को “अधिक मुआवज़ा दिलाने” का लालच देकर उनसे कोरे चेक और आरटीजीएस फॉर्म पर हस्ताक्षर करवाए। बाद में राजस्व अधिकारियों की मदद से फर्जी नामांतरण कराए गए और मुआवज़े की राशि का बड़ा हिस्सा इन दलालों एवं सहयोगी फर्मों के खातों में ट्रांसफर कराया गया।

फरार अधिकारी और लंबित जांच

ईओडब्ल्यू ने बताया कि इस घोटाले में शामिल कई राजस्व अधिकारी, जैसे निर्भय साहू (पूर्व एसडीओ राजस्व, अभनपुर), दिनेश पटेल (पटवारी), शशिकांत कुर्रे (तहसीलदार), रोशन लाल वर्मा (राजस्व निरीक्षक) सहित अन्य अधिकारी न्यायालय से राहत मिलने के बाद भी जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। इनके विरुद्ध अग्रिम विवेचना जारी है।

शासन को करोड़ों का नुकसान

तीनों प्रकरणों को मिलाकर शासन को कुल ₹32 करोड़ रुपये से अधिक का प्रत्यक्ष आर्थिक नुकसान हुआ है।
ईओडब्ल्यू ने यह भी बताया कि परियोजना के अन्य ग्रामों में भी इसी तरह की अनियमितताओं की जांच जारी है और आने वाले समय में अन्य अधिकारियों एवं निजी व्यक्तियों की भूमिका भी उजागर हो सकती है।

आगे की कार्यवाही

फिलहाल इस प्रथम चालान में जिन प्रकरणों की जांच पूरी हो चुकी है, उन्हें न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर दिया गया है।
भारतमाला परियोजना से जुड़ी भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में हुए इस बड़े फर्जीवाड़े की विस्तृत विवेचना अब भी जारी है, और सूत्रों के अनुसार आगामी दिनों में और भी बड़े नाम सामने आ सकते हैं

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