

बिलासपुर, 13 अक्टूबर।
छत्तीसगढ़ राज्य के रजत जयंती समारोह के उपलक्ष्य में शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, बिलासपुर में “मानसिक स्वास्थ्य संवर्धन” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन सोमवार को किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. जी. आर. चतुर्वेदी ने की।

संगोष्ठी का शुभारंभ भगवान धन्वंतरि के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं पूजा-अर्चना के साथ हुआ। इस अवसर पर राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, जयपुर के पूर्व विभागाध्यक्ष एवं विख्यात वक्ता डॉ. श्रीकृष्ण शर्मा “खांडल” तथा राज्य मानसिक चिकित्सालय, सेंदरी, बिलासपुर के सामाजिक कार्यकर्ता श्री प्रशांत रंजन पाण्डेय मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे।
पहले सत्र में डॉ. श्रीकृष्ण शर्मा ने अपने व्याख्यान में मानसिक स्वास्थ्य के महत्त्व एवं आयुर्वेद में उसके विस्तृत वर्णन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि “शारीरिक स्वास्थ्य तभी पूर्ण है जब व्यक्ति का मानसिक संतुलन भी सुदृढ़ हो। आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथों में मन, बुद्धि और चेतना को स्वस्थ रखने के लिए अनेक उपाय बताए गए हैं।”
द्वितीय सत्र में श्री प्रशांत रंजन पाण्डेय ने प्रतिभागियों को तनाव पहचानने और उससे निपटने के व्यावहारिक उपायों की जानकारी दी। उन्होंने सभी प्रतिभागियों को क्रियात्मक गतिविधियों में शामिल करते हुए बताया कि जीवन में मानसिक स्थिरता बनाए रखने के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण और आत्मसंवाद आवश्यक है।

संगोष्ठी में जिला बिलासपुर के लगभग तीस आयुष चिकित्साधिकारी, जिला आयुर्वेद अधिकारी डॉ. यशपाल ध्रुव, तथा भारती आयुर्वेद महाविद्यालय, दुर्ग के प्राचार्य डॉ. मानस रंजन होता विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में महाविद्यालय के शिक्षकों, विद्यार्थियों एवं कर्मचारियों सहित कुल 250 से अधिक प्रतिभागियों ने सहभागिता की।
सत्र के अंत में प्रतिभागी चिकित्सकों को प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। कार्यक्रम का संचालन एवं आयोजन डॉ. विद्या भूषण पाण्डेय, डॉ. विवेक दुबे, डॉ. प्रशांत निषाद, डॉ. प्रवीण मिश्रा, डॉ. निधि मरकाम, डॉ. नोमिता दीवान और डॉ. कविता प्रधान के सहयोग से सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
