

बिलासपुर | आकाश मिश्रा
अंबिकापुर जेल में सजा काट रहे उम्रकैद के एक कैदी ने बुधवार को आत्महत्या की कोशिश की। उसने जेल वापस भेजे जाने के डर से अपने ही घर में सेनेटाइजर पी लिया। गनीमत रही कि परिजनों ने समय रहते उसे सिम्स अस्पताल पहुंचाया, जहां उसकी हालत अब खतरे से बाहर बताई जा रही है। यह पूरा मामला न सिर्फ पुलिस की लापरवाही बल्कि जेल प्रशासन की कथित रिश्वतखोरी और प्रताड़ना को भी उजागर करता है।
कैदी रमेश कांत की कहानी — जेल, रिश्वत और फरारी
मस्तूरी निवासी रमेश कांत हत्या के मामले में धारा 302, 324, 34 के तहत दोषी ठहराया गया था। वह अंबिकापुर केंद्रीय जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा था। रमेश की पत्नी अमरिका बाई के अनुसार, जेल में अधिकारियों और प्रहरियों द्वारा उससे बार-बार रुपए की मांग की जाती थी। रिश्वत न देने पर जातिगत गालियां, मारपीट और सुविधाओं से वंचित रखने जैसी प्रताड़नाएं दी जाती थीं।

6 अक्टूबर को रमेश कांत अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज के दौरान फरार हो गया। फरारी के बाद वह सीधे बिलासपुर कलेक्टर कार्यालय पहुंचा और मंगलवार को कलेक्टर के सामने सरेंडर कर दिया। इसके बाद सिविल लाइन पुलिस ने उसे जेल में दाखिल कराया।
थाने और जेल प्रशासन के बीच उलझा कैदी
जब जेल प्रशासन को रमेश की फरारी और पुराने अपराधों की जानकारी मिली, तो उन्होंने सिविल लाइन पुलिस को बुलाया। लेकिन रात तक कोई पुलिसकर्मी नहीं पहुंचा। देर होने पर जेल प्रहरी रमेश को लेकर थाने पहुंचे, पर टीआई ने लिखित आदेश और दाखिल पावती न होने के कारण उसे थाने में रखने से इनकार कर दिया।
इस तरह कैदी रातभर थाने के बाहर भटकता रहा। बाद में उसकी पत्नी को सूचना मिली और वह रमेश को घर ले गई।
घर में पी लिया सेनेटाइजर
अगले दिन बुधवार सुबह जब अंबिकापुर पुलिस उसे दोबारा जेल ले जाने घर पहुंची, तो रमेश डर गया। जेल जाने से बचने के लिए उसने घर के पीछे जाकर सेनेटाइजर पी लिया। पुलिस टीम घटना के बाद लौट गई। तबीयत बिगड़ने पर परिवारवालों ने उसे सिम्स अस्पताल में भर्ती कराया।
पत्नी ने लगाए गंभीर आरोप
रमेश की पत्नी अमरिका बाई ने 7 अक्टूबर को कलेक्टर को लिखित शिकायत दी, जिसमें जेल अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। उसने बताया कि जेल अधिकारी और प्रहरी उसके पति से बार-बार रिश्वत मांगते हैं। रुपए न देने पर जातिगत गालियां, मारपीट और मानसिक प्रताड़ना दी जाती है।

उसने आरोप लगाया कि रिश्वत देने के लिए उसने ऑनलाइन भुगतान भी किया है, जिसके पेमेंट स्क्रीनशॉट मौजूद हैं।
रिश्वतखोरी के सबूत
अमरिका बाई ने बताया कि अब तक 1.20 लाख रुपए विभिन्न जेल अधिकारियों को दिए गए, जिनमें कुछ नाम इस प्रकार हैं —
- शंकर तिवारी — ₹5000
- अभिषेक शर्मा — ₹10000
- अखिलेश सिंह, लोकेश टोप्पो, ललई बाबा — ₹30000
- अनिल बाबा गुप्ता — ₹5000
- विजय बहादुर — ₹1500
- विजय बहादुर के बेटे को — ₹10000
- मनोज सिंह — ₹11000
- सौरभ शर्मा — ₹10000
- संजय खैरवार — ₹10000
- रमेश साहू — ₹2000
- निलेश केरकेट्टा — ₹2000
- चंद्र प्रकाश लहरे — ₹12000
इन सभी पेमेंट के ऑनलाइन प्रूफ (स्क्रीनशॉट) मौजूद हैं, जो फिलहाल भास्कर के पास हैं।
कैदी के खिलाफ दर्ज जेल अपराध
जेल रिकॉर्ड के अनुसार, रमेश कांत पर जेल के भीतर कई अनुशासनहीन गतिविधियों के आरोप पहले से हैं —
- 18 जुलाई 2023: बंदियों से मारपीट कर चोट पहुंचाई
- 5 जनवरी 2020: बेटी के श्राद्ध में जाने के बाद तीन साल तक फरार
- 27 फरवरी 2015: हत्या की नीयत से बंदी संजीव पर हमला
- 16 अप्रैल 2024: बंदी ब्रजेश से मारपीट, तलाशी में 3 पैकेट तंबाखू बरामद
- 8 जून 2018: रात्रि कार्य में लापरवाही बरतने पर कार्रवाई
जेल विभाग का बयान
अक्षय सिंह राजपूत, जेल अधीक्षक, अंबिकापुर ने बताया —
“कैदी की पत्नी द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच के लिए सूरजपुर जेल अधीक्षक को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है। जो भी अधिकारी दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। चूंकि कैदी पर बिलासपुर में कई अपराध दर्ज हैं, इसलिए उसे दूसरे जेल में भेजने की सिफारिश की जाएगी।”
पुलिस का पक्ष
एसएसपी रजनेश सिंह ने कहा —
“कैदी आपराधिक प्रवृत्ति का था। जेल दाखिल की पावती और लिखित आदेश न होने के कारण टीआई ने उसे थाने में नहीं रखा। अंबिकापुर पुलिस उसे लेने आई तो उसने नशीली टैबलेट और सेनेटाइजर पी लिया। अब उसकी हालत स्थिर है।”
यह मामला जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली, पुलिस की समन्वयहीनता और एक बंदी की मजबूरियों की दर्दनाक कहानी उजागर करता है। जांच के बाद ही यह स्पष्ट हो सकेगा कि कैदी व उसकी पत्नी के आरोपों में कितनी सच्चाई है — पर यह निश्चित है कि रिश्वत, प्रताड़ना और लापरवाही के इस त्रिकोण ने एक कैदी को मौत के मुहाने तक पहुंचा दिया।
