

बिलासपुर।
नगर निगम बिलासपुर की सामान्य सभा की बैठक सोमवार को तीखी नोकझोंक, हंगामे, नारेबाजी और आरोप-प्रत्यारोपों के बीच संपन्न हुई। करीब एक घंटे चली बैठक में सड़क, नाली, बिजली, पानी और सफाई जैसे बुनियादी मुद्दों पर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के पार्षदों ने शहर सरकार को कठघरे में खड़ा किया। सभा का माहौल तब और गरमा गया, जब पार्षद गायत्री साहू पर दर्ज एफआईआर को लेकर मेयर पूजा विधानी और सभापति विनोद सोनी के बीच खुली बहस छिड़ गई।
🔹 बैठक की शुरुआत से पहले ही बढ़ा तनाव

बैठक शुरू होते ही एमआईसी सदस्य तिलक साहू ने बैठक व्यवस्था पर आपत्ति जताई और नाराज होकर बाहर जाने लगे। सभापति विनोद सोनी के समझाने पर वे वापस बैठे, लेकिन माहौल पहले से ही तनावपूर्ण हो गया था। प्रश्नकाल के दौरान महज एक घंटे में 21 सवाल उठे, जिनमें से ज्यादातर सड़क, नाली, बिजली, पानी और सफाई व्यवस्था से जुड़े थे।
🔹 सत्ता पक्ष के पार्षद भी नाराज
सिर्फ विपक्ष ही नहीं, सत्ता पक्ष के पार्षदों ने भी अपनी ही सरकार पर सवाल खड़े किए।
एमआईसी सदस्य मोतीलाल गंगवानी ने तोरवा स्कूल की दुर्दशा पर नाराजगी जताते हुए कहा —
“अगर जल्द सुधार नहीं हुआ तो मैं पार्षद पद से इस्तीफा दे दूंगा।”
वहीं कांग्रेस पार्षद पुष्पेंद्र साहू ने अपने वार्ड में विकास कार्य न होने की शिकायत की। इस पर मेयर पूजा विधानी ने कहा —

“मैं कोई जादू की छड़ी नहीं हूं। अभी छह महीने ही हुए हैं, काम हो रहे हैं।”
🔹 एफआईआर पर गरमाई बहस: मेयर बनाम सभापति
सभा के दौरान पार्षद गायत्री साहू ने कहा —
“जब पानी की भारी किल्लत थी, तब हमने जनता की आवाज बनकर निगम का घेराव किया। लेकिन अफसरों ने हम पर एफआईआर कर दी। क्या जनता की आवाज उठाना गुनाह है?”
इस पर सभापति विनोद सोनी ने कहा —
“मैं 35 साल से पार्षद हूं। विरोध करना हमारा हक है, लेकिन कभी एफआईआर नहीं हुई। यह गलत परंपरा है, अब किसी पार्षद पर एफआईआर नहीं होगी।”
मेयर पूजा विधानी ने सभापति के बयान का विरोध करते हुए कहा —
“आंदोलन का तरीका गलत था, इसलिए एफआईआर करवाई गई। कानून-व्यवस्था बनाए रखना भी हमारी जिम्मेदारी है।”
यह विवाद सभा का सबसे गरम मुद्दा बन गया, और सत्ता व विपक्ष के पार्षद एक-दूसरे के आमने-सामने आ गए।

🔹 सफाई व्यवस्था पर सन्नाटा: पार्षदों को नहीं पता बीट सिस्टम
जब सफाई व्यवस्था पर सवाल उठे, तो सभापति ने पूछा —
“कितने बीट हैं और कितने कर्मचारी काम कर रहे हैं?”
कोई भी पार्षद जवाब नहीं दे सका। पूरे सभागार में सन्नाटा छा गया। दिल्ली लायंस कंपनी के कार्य पर भी सवाल उठे, लेकिन ठोस जवाब किसी के पास नहीं था।
🔹 मेयर-पार्षद के बीच तकरार
कांग्रेस पार्षद पुष्पेंद्र साहू के आरोपों का जवाब देते हुए मेयर ने कहा —
“आपके वार्ड में कई बार गई हूं, लेकिन आप वहां दिखते नहीं। आपके पिता ही समस्या बताते हैं। जनता की सेवा करनी है तो सुबह जल्दी उठिए और वार्ड में घूमिए।”
उन्होंने आगे तंज करते हुए कहा —
“आज मैं जान गई कि आप ही पार्षद पुष्पेंद्र साहू हैं।”
विकास कार्यों में उपेक्षा के आरोपों पर मेयर ने कहा —
“मैं 70 वार्डों की मेयर हूं, किसी एक की नहीं।”
🔹 25 मिनट में पारित हुए 44 प्रस्ताव
भारी हंगामे के बीच केवल 25 मिनट में 37 प्रस्ताव और 7 अतिरिक्त प्रस्ताव बहुमत से पारित कर दिए गए।
कांग्रेस पार्षदों ने विरोध जताते हुए कहा कि इस तरह जल्दबाजी में पारित करना नियमों का उल्लंघन है।
जीएसटी दरों में कटौती पर चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष ने “मोदी-मोदी” के नारे लगाए, तो विपक्ष ने “वोट चोर, गद्दी छोड़” के नारे लगाकर जवाब दिया। सदन देखते-देखते मोदी बनाम राहुल गांधी की बहस में तब्दील हो गया और राजनीतिक अखाड़ा बन गया।
🔹 मुख्य प्रस्ताव
- सड़क-नाली, बिजली-पानी के लिए 100 करोड़ का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।
- पार्षद निधि 6 लाख से बढ़ाकर 12 लाख करने का प्रस्ताव रखा गया।
- मेयर निधि 2.5 करोड़ से बढ़ाकर 5 करोड़ करने का सुझाव दिया गया।
- पार्षद मानदेय 15 हजार से बढ़ाकर 30 हजार और मेयर मानदेय 25 हजार से बढ़ाकर 50 हजार करने का प्रस्ताव।
🔹 नेताओं के बयान
मेयर पूजा विधानी:
“सड़क-नाली, बिजली-पानी के लिए 100 करोड़ का प्रस्ताव भेजा जा रहा है। जनता को जल्द राहत मिलेगी।”
सभापति विनोद सोनी:
“पक्ष-विपक्ष सभी की बातें सुनी गई हैं। पार्षदों की समस्याओं का समाधान किया जाएगा।”
भरत कश्यप, नेता प्रतिपक्ष:
“सड़क-नाली, बिजली-पानी और सफाई के मुद्दों पर हमें संतोषजनक जवाब नहीं मिला।”
संतोषी बघेल, उपनेता प्रतिपक्ष:
“पार्षद गायत्री साहू पर एफआईआर कराकर निगम ने गलत किया है।”
नगर निगम की यह साधारण सभा एक बार फिर विकास के बजाय राजनीति की भेंट चढ़ गई। पार्षदों की नाराजगी, मेयर और सभापति के टकराव तथा एफआईआर विवाद ने साफ कर दिया कि शहर की सड़कों से लेकर सफाई व्यवस्था तक सबकुछ राजनीति के घेरे में है।
