

बिलासपुर। एमबीबीएस प्रवेश के लिए बने ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट मामले में तहसील के बाबू प्रहलाद सिंह नेताम पर फर्जीवाड़े का आरोप पुख्ता हो गया है। तहसीलदार गरिमा सिंह की जांच रिपोर्ट में साफ हुआ है कि बाबू ने अपनी आईडी का दुरुपयोग करते हुए अलग-अलग तारीखों पर तीन छात्राओं के लिए ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र जारी किए, जिनमें से एक पूरी तरह फर्जी और दो अवैध पाए गए।
सोमवार को दिनभर चली जांच में तीनों छात्राओं – श्रेयांशी गुप्ता (पिता सुनील गुप्ता, सरकंडा), सुहानी सिंह (पिता सुधीर सिंह, सीपत रोड लिंगियाडीह) और भाव्या मिश्रा (पिता सूरज कुमार मिश्रा, सरकंडा) – के अभिभावकों ने बाबू नेताम का नाम लिया। बयान और दस्तावेजों के आधार पर बाबू पर दोष सिद्ध हो चुका है।
जांच में यह भी सामने आया कि बाबू ने अपनी आईडी किसी तीसरे व्यक्ति को उपलब्ध कराई थी, जिसके जरिए एक आवेदन दर्ज हुआ। हालांकि उस तीसरे व्यक्ति की पहचान अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाई है। इस बीच एक वकील का नाम सामने आने की भी चर्चा रही है।
एसडीएम मनीष साहू ने बताया कि तहसीलदार की रिपोर्ट कलेक्टर को भेजी जा रही है। बाबू के खिलाफ विभागीय जांच की अनुशंसा की गई है। निलंबन होगा या नहीं, यह निर्णय कलेक्टर लेंगे।
छात्रों का साल हुआ बर्बाद
रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि दो आवेदन सही दस्तावेजों के आधार पर बनाए गए थे, लेकिन चूंकि वे बाबू की आईडी से जारी हुए, इसलिए उन्हें भी अवैध मान लिया गया। नतीजतन एमबीबीएस में चयनित छात्राओं का भविष्य अधर में लटक गया है। शपथ पत्र लेकर नए सिरे से प्रमाण पत्र जारी होने के बावजूद उनका फायदा अब प्रवेश प्रक्रिया में नहीं मिल पाएगा।
विभागीय जांच के बाद अब इस मामले में कलेक्टर की कार्रवाई पर सभी की नजरें टिकी हैं।
