गणेश चतुर्थी पर खुटाघाट में लगा पारंपरिक मेला, मेले का आनंद लेने आसपास के गांवों से पहुंचे हजारों लोग

यूनुस मेमन

रतनपुर खारंग जलाशय खुटाघाट में गणेश चतुर्थी के दिन लगने वाले मेले में हजारों लोग खुटाघाट का खूबसूरत नजारा देखने के लिए उमड़ी भीड़ रास्ते पर चलने की जगह नहीं बची। खूंटाघाट की पहाड़ी मे भी लगा मेला नगर के साथ आसपास ग्रामीण अंचल से पहुंचे लोगों ने खूब पिकनिक मनाई और सैर-सपाटा किया।

रतनपुर का खुटाघाट बांध अंग्रेजों के जमाने का बनना बताया जा रहा है इस बांध का काम 1921 में शुरू हुआ जो कि 1930 में बांध बंद कर पूर्ण हुआ । तब से आज तक अनवरत गणेश चतुर्थी के दिन विशाल जनसमूह जिसमें महिलाओं बच्चों की संख्या सर्वाधिक होती है । लोग यहां की नैसर्गिक छटा (प्राकृतिक) का आनंद उठाते हैं । यहां पर निसंदेह बांध लबालब भरा होता है । वही ओवरफ्लो  का दृश्य अनुपम होता है इसे देखने के लिए भारी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं ।

इस मेला की विशेषता गांव गांव से महिलाएं अपने बच्चों को साथ लेकर यहां घूमने आती हैं और तीजा उपवास के बाद वह अपने साथ में ठेठरी खुरमी चौसेला जो घर में बनाए रहते हैं । उसे लेकर वह बांध किनारे बड़े मजे से खुटाघाट को निहारते खाते हैं  जिसमें ग्रामीण महिलाओं बच्चों की संख्या ज्यादत्तर होती है । यह छोटी नहर से लेकर बड़ी नहर तक फैली हुई । विशाल जनसमूह दिखाई देती है । गणेश चतुर्थी पर जहां हजारों की संख्या में लोग पहुंचकर इस मेले और ओवरफ्लो का आनंद लेते हैं जहां पर छोटे-छोटे होटल ,ठेला, गुपचुप, मनिहारी के साथ कई खिलौने की दुकानें लगी हुई होती है । जहां पर बच्चे बड़े खरीदारी भी करते हैं ।

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