छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण और लव जिहाद के विरुद्ध उबाल, बिलासपुर में हिंदू आक्रोश रैली मंगलवार को

आकाश मिश्रा

बिलासपुर — छत्तीसगढ़ सहित पूरे भारत में लगातार सामने आ रहे धर्मांतरण और लव जिहाद के मामलों को लेकर हिंदू समाज में गहरा असंतोष और चिंता का माहौल बनता जा रहा है। विशेष रूप से छत्तीसगढ़ के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में कथित ईसाई मिशनरियों द्वारा धर्मांतरण के आरोपों और मुस्लिम युवाओं पर लव जिहाद के आरोपों ने सामाजिक ताने-बाने को झकझोर दिया है। इसी के खिलाफ मंगलवार को बिलासपुर में “हिंदू आक्रोश रैली” का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें भारी संख्या में सनातन धर्मावलंबियों के जुटने की संभावना है।

यह रैली 24 जून को दोपहर 1 बजे गांधी चौक, बिलासपुर से प्रारंभ होगी। सर्व हिंदू समाज टास्क फोर्स के नेतृत्व में आयोजित इस रैली को लेकर आयोजकों का दावा है कि इसमें 3000 से अधिक लोग भाग लेंगे। रैली का उद्देश्य केंद्र और राज्य सरकार पर दबाव बनाकर धर्मांतरण और लव जिहाद के विरुद्ध कड़े और प्रभावी कानूनों की मांग को बल देना है।

रैली के आयोजक ठाकुर राम सिंह ने कहा, “यह केवल एक प्रदर्शन नहीं, बल्कि सनातनियों के अस्तित्व की अंतिम लड़ाई है। इतिहास गवाह है कि जहां-जहां धर्मांतरण हुआ, वहां से हिंदू संस्कृति और पहचान मिट गई। अब हालात ऐसे हैं कि भारत में भी हिंदुओं का अंतिम आश्रयस्थल असुरक्षित होता जा रहा है।”

राम सिंह ने आगे कहा, “अगर सरकार अब भी नहीं चेती और धर्मांतरण तथा लव जिहाद के खिलाफ सख्त कानून नहीं बनाए गए तो आने वाले दिन हिंदू समाज के लिए अत्यंत भयावह हो सकते हैं। इस देश के बाहर हमारे लिए कोई दूसरा देश नहीं है। इसलिए यह लड़ाई हर सनातनी को एकजुट होकर लड़नी होगी।”

रैली में संत-समाज, सामाजिक संगठनों, युवा समूहों और महिला इकाइयों की भी भागीदारी तय मानी जा रही है। आयोजकों ने यह भी स्पष्ट किया है कि रैली पूर्णतः शांतिपूर्ण होगी, परंतु यदि सरकार ने इस आवाज को नजरअंदाज किया तो आगे और भी बड़े आंदोलन की चेतावनी दी जा रही है।

छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण को लेकर पूर्व में भी कई बार विवाद खड़े हो चुके हैं, और कई स्थानों पर प्रशासन को हस्तक्षेप करना पड़ा है। वहीं, लव जिहाद को लेकर भी राज्य में सामाजिक ध्रुवीकरण की स्थिति बनती जा रही है। इन दोनों ही मुद्दों को लेकर अब हिंदू संगठनों ने सीधा राजनीतिक और सामाजिक मोर्चा खोल दिया है।

रैली के माध्यम से यह स्पष्ट संकेत देने का प्रयास किया जा रहा है कि हिंदू समाज अब अपने धार्मिक और सामाजिक अस्तित्व को लेकर पहले से अधिक सजग और मुखर हो चुका है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस बढ़ते जनआंदोलन पर किस प्रकार की प्रतिक्रिया देती है और क्या धर्मांतरण तथा लव जिहाद पर कड़ा कानून लाने की दिशा में कोई ठोस कदम उठाया जाता है या नहीं।

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