

प्रिंसिपल ने कलाई पर बरसाया डंडा, मुंह में चिपकाया टेप
छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में मदर टेरेसा स्कूल में नर्सरी की छात्रा से क्रूरता, आरोपी प्रिंसिपल गिरफ्तार
अभिवादन पर प्रिंसिपल भड़की, बच्ची पर बरसा कहर

दुर्ग ज़िले के नंदिनी थाना क्षेत्र अंतर्गत बागडुमर स्थित मदर टेरेसा इंग्लिश मीडियम स्कूल में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। महज़ साढ़े तीन साल की मासूम बच्ची ने जब स्कूल की प्रिंसिपल को ‘राधे-राधे’ कहकर अभिवादन किया, तो स्कूल की प्रिंसिपल ईला ईवन केल्विन ने उसके साथ बेरहमी से मारपीट की। बच्ची को न केवल डंडे से कलाई पर पीटा गया, बल्कि उसके मुंह पर करीब 15 मिनट तक टेप भी चिपका दिया गया।
‘बोलती नहीं है, तो हमेशा के लिए टेप लगा देती हूं’: प्रिंसिपल का अमानवीय बयान
सीएसपी हरीश पाटिल के अनुसार, बच्ची स्वभाव से अंतर्मुखी है। वह कक्षा में बहुत कम बोलती है और जवाब देने में हिचकिचाती है। जब प्रिंसिपल निरीक्षण के लिए कक्षा में पहुंची और बच्ची ने ‘गुड मॉर्निंग’ की जगह ‘राधे-राधे’ कहा, तो प्रिंसिपल ने गुस्से में आकर पहले उसकी कलाई पर डंडा मारा और फिर टेप चिपकाकर मुंह बंद कर दिया।
घर आकर बयां किया दर्द, परिजनों ने दर्ज कराई एफआईआर

घटना के बाद जब बच्ची घर पहुंची तो उसने परिजनों को पूरी आपबीती बताई। बच्ची के पिता प्रवीण यादव ने पहले गांव की सरपंच दामिनी साहू को इसकी जानकारी दी और फिर गुरुवार को थाने में जाकर FIR दर्ज कराई। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए प्रिंसिपल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
बीएनएस और जेजे एक्ट की गंभीर धाराओं में केस दर्ज
पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 115(2), 299 और किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 75 के तहत मामला दर्ज किया है। इस बीच बजरंग दल के कार्यकर्ता भी थाने पहुंचकर बच्ची के पक्ष में कार्रवाई की मांग करने लगे।
क्या ‘राधे-राधे’ कहना अपराध है? सवालों में घिरी शिक्षा व्यवस्था
यह घटना केवल एक बच्ची पर अत्याचार नहीं, बल्कि उस सोच पर भी सवाल है जिसमें धार्मिक अभिव्यक्ति को दंडित किया जा रहा है। यह अकेला मामला नहीं है । राज्य में बच्चों के तिलक, कलावा, या पारंपरिक अभिव्यक्ति को लेकर पूर्व में भी प्रताड़ना की घटनाएं सामने आती रही हैं। हालांकि सामाजिक चेतना और जागरूकता के चलते कई बार कार्रवाई होती है, परंतु कई मामले कभी सामने नहीं आ पाते।
राजनीतिक चुप्पी पर सवाल, सांस्कृतिक अस्मिता की आवाज बुलंद
भानुप्रतापपुर के कुड़ाल गांव में जनजातीय अस्मिता की रक्षा के लिए लगाए गए ‘प्रवेश निषेध’ बोर्ड की चर्चा के बीच यह घटना चेतावनी देती है कि बच्चों की आस्था और पहचान से छेड़छाड़ अब असहनीय होती जा रही है। समाज को अब यह तय करना है कि वह इन घटनाओं पर चुप रहेगा या अपनी संस्कृति और मासूमों की सुरक्षा के लिए मुखर होकर आवाज उठाएगा।
हम उस बच्ची के साथ हैं…
यह केवल एक बच्ची की नहीं, हर बच्चे की सुरक्षा और सम्मान का प्रश्न है। हर संवेदनशील नागरिक को यह आवाज बुलंद करनी चाहिए कि प्रिंसिपल ईला ईवन केल्विन जैसी मानसिकता को सिर्फ सज़ा नहीं, बल्कि सबक भी मिलना चाहिए ताकि फिर कोई मासूम सिर्फ ‘राधे-राधे’ कहने पर प्रताड़ित न हो।
