

प्रशासनिक लापरवाही के चलते सड़क पर गायों के बैठने का सिलसिला थम नहीं रहा ।इसी कारण से एक बार फिर रविवार रात अज्ञात वाहन ने मस्तूरी रायपुर नेशनल हाईवे पर बैठे 23 गायों को कुचल दिया, जिसमें से 18 की मौत हो गई, तो वही 5 से अधिक घायल है। सोमवार सुबह नेशनल हाईवे पर खून से सने गायों के शव बिखरे पड़े थे। पूरा मामला चकरभाठा थाना क्षेत्र का है।

रात में कोई अज्ञात गाड़ी का ड्राइवर गायों को कुचल कर भाग गया। सुबह स्थानीय लोगों और गौ रक्षको ने देखा तो फिर गायों का अंतिम संस्कार किया गया। 13 दिन के भीतर यह दूसरी घटना है। इससे पहले 14 जुलाई को तेज रफ्तार वाहन ने 22 गायों को कुचल दिया था, जिसमें 17 की मौत हो गई थी। एक साल के भीतर 100 से अधिक गौ माता सड़क पर अपनी जान गवा चुकी है ।


न्यायधानी की सड़कों पर लगातार हो रहे हादसों को लेकर हाईकोर्ट ने भी नाराजगी जताई थी लेकिन उसका भी असर कहीं नहीं दिख रहा।
सड़क पर मवेशी लगातार घूम रहे हैं और इस तरह के हादसों में उनकी जान जा रही है। अब तो यह छत्तीसगढ़ की पहचान बन चुकी है। छत्तीसगढ़ की सड़कों पर ही इस तरह बड़ी संख्या में गाय पूरे परिवार के साथ नजर आती है। सोमवार को भी सड़क हादसे के बाद गायों की मौत की सूचना पाकर गौ सेवक पहुंचे जिन्होंने शवों को हटाया और उनका अंतिम संस्कार किया। साथ ही चकरभाठा थाने में अज्ञात वाहन चालक के खिलाफ शिकायत भी दर्ज कराई और आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।

गौ रक्षको का मानना है की कार्यवाही नहीं होने के कारण ही इस तरह के हादसे लगातार हो रहे हैं। इधर प्रशासन ने कहा था कि सड़क पर गायों को छोड़ने वाले मवेशी मालिकों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज किया जाएगा लेकिन अब तक केवल एक ही कार्रवाई हुई है, इसलिए गौ पालक इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रहे, जिस कारण से सड़कों पर गौ माता इस तरह से अपनी जान गंवा रही है। गायों का दुर्भाग्य है कि या तो उन्हें बूचड़खाने जाना पड़ रहा है या फिर सड़कों पर इस तरह से वह मारी जा रही है । गौ अभयारण्य की मांग कागजों में ही सिमट गई है , जिस कारण से हालात नहीं बदल रहे। इसे लेकर गौ सेवक विपुल शर्मा ने भी एक बार फिर से नाराजगी जताई है।

