नाग पूजा से वंश वृद्धि, पितरों को शांति, एवं कुंडलिनी शक्ति होती है जागृत – पीतांबरा पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. दिनेश जी महाराज

सरकण्डा स्थित श्री पीताम्बरा पीठ त्रिदेव मंदिर में सावन महोत्सव श्रावण मास मे महारुद्राभिषेकात्मक महायज्ञ नमक चमक विधि द्वारा निरंतर किया जा रहा हैं।11 जुलाई 2025 से आरंभ सावन के अवसर पर त्रिदेव मंदिर में महारुद्राभिषेकात्मक महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा हैं। यह आयोजन 9 अगस्त सावन शुक्ल पूर्णिमा तक निरंतर चलेगा। इस अवसर पर नित्य प्रतिदिन प्रातः 9:00 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक श्री शारदेश्वर पारदेश्वर महादेव का महारुद्राभिषेक नमक चमक विधि से किया जा रहा है। इसी कड़ी पर सावन मास का तृतीय सोमवार धूमधाम से मनाया गया, साथ ही मंगलवार को नाग पंचमी का पावन पर्व मनाया जाएगा ।

पीतांबरा पीठाधीश्वर आचार्य डॉक्टर दिनेश जी महाराज ने कहा कि श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है,नाग पंचमी का वर्णन हिन्दू धर्म शास्त्रों में प्रमुखता से किया गया है भगवत पुराण, महाभारत, गरुड़ पुराण, तथा स्कंद पुराण में विशेष रूप से किया गया हैं।स्कंद पुराण के अनुसार नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा करने से भय, रोग और अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है,इस दिन विशेष रूप से शेषनाग, वासुकी, तक्षक, कर्कोटक, पद्म, महापद्म नागों की पूजा की जाती है।महाभारत ग्रंथ में नाग पंचमी से जुड़ी एक प्रमुख कथा है जब पांडव खांडव वन में अपने महल के लिए जगह खोज रहे थे, तब उन्होंने सफाई के लिए वहां आग लगा दी, जिससे हजारों सर्प जलकर मर गए,फिर उन सर्पों में एक ने अर्जुन को मारने की कोशिश की थी। एक अन्य कथा के अनुसार, राजा परीक्षित के पुत्र जन्मेजय ने नागों से बदला लेने के लिए एक यज्ञ किया था। इस यज्ञ में सभी नाग जलने लगे, तब ऋषि आस्तिक ने यज्ञ को रोककर नागों की रक्षा की,उस दिन पंचमी तिथि थी, जिसे नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, नागों की पूजा पितरों की शांति और वंश वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। सर्प देवता को देवी की शक्ति का प्रतीक माना जाता है, जो विशेष रूप से कुंडलिनी शक्ति से जुड़ा हुआ है।

नाग पूजा से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता हैं। नाग पूजा से वंश वृद्धि होती है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है, सर्प देवता कुंडलिनी शक्ति का प्रतीक है, जो आध्यात्मिक विकास और आत्म-ज्ञान के लिए महत्वपूर्ण है। नाग पंचमी पर नागों की पूजा करने से कालसर्प दोष से भी मुक्ति प्राप्त होती है, नाग पंचमी पर किसी शिवालय में पीतल तांबा या चांदी से बने हुए नाग नागिन का जोड़ा भगवान के समक्ष अर्पित करें, या पूजा कर जल में प्रवाहित करें।

सावन सोमवार हर्षोल्लास के साथ मनाया गया इस अवसर पर विश्व हिंदू परिषद संगठन मंत्री श्री नंददास दंडोतिया, श्री उमेश अग्रवाल, संगीता अग्रवाल, तूलिका अग्रवाल, परमानंद पटेल, लोहरेश्वरी पटेल, गुणेन्द्र पटेल,नयन पटेल, ब्रह्मचारी मधुसूदन पांडेय, केसरी नंदन पांडेय, पं. चिरंजीवी पांडेय, पं.भुवनेश शर्मा,डॉ अंकिता पांडेय, अधिवक्ता अपराजिता पांडेय, श्रीमती लक्ष्मी देवी पांडेय, अमिता- दीपेश पाण्डेय, गौरी पांडेय आदि उपस्थित रहे।

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