गुरु पूर्णिमा पर वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक कुमार वर्मा हुए सम्मानित, वकालत के 50 वर्षों का गौरवपूर्ण सफर

बिलासपुर, 10 जुलाई 2025 —
गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय अधिवक्ता संघ एवं अधिवक्ता परिषद छत्तीसगढ़ प्रांत की उच्च न्यायालय इकाई के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सम्मान समारोह में अधिवक्ता श्री अशोक कुमार वर्मा को शाल एवं श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें अधिवक्ता के रूप में 50 वर्षों की सेवा पूर्ण करने पर प्रदान किया गया, जो स्वयं में एक प्रेरणादायक उपलब्धि है।

📘 संक्षिप्त परिचय – एक प्रेरक अधिवक्ता का जीवन यात्रा

नाम: श्री अशोक कुमार वर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता
प्रारंभिक शिक्षा एवं वकालत:
श्री वर्मा ने सन 1974 में अनेक विषयों में प्रावीण्यता प्राप्त करते हुए प्रथम श्रेणी में विधि परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके पश्चात जनवरी 1975 में उन्होंने विधिवत रूप से वकालत प्रारंभ की और तब से अब तक न्याय की सेवा में समर्पित हैं।

पारिवारिक पृष्ठभूमि:
आपके पिता स्व. श्री कृष्णानंद वर्मा सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता थे। वे इस क्षेत्र के एकमात्र ऐसे अधिवक्ता रहे हैं जिन्हें स्वयं सुप्रीम कोर्ट द्वारा ‘सिनीयर एडवोकेट’ के रूप में डिज़िग्नेट किया गया था। उनके आदर्शों और मूल्यों को श्री अशोक वर्मा ने न केवल आत्मसात किया बल्कि आगे भी बढ़ाया।

उल्लेखनीय उपलब्धियाँ:

  • वर्ष 2003 में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय कॉलेजियम द्वारा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश पद हेतु श्री वर्मा का नाम सुप्रीम कोर्ट को प्रस्तावित किया गया था।
  • प्रख्यात न्यायविद जस्टिस वी. आर. कृष्णा अय्यर ने अपने अंतिम दिनों में लिखी पुस्तक ‘98 नॉट आउट’ के हिंदी अनुवाद का विशेष अधिकार श्री वर्मा को प्रदान किया था, जो उनके प्रति न्यायमूर्ति का विशेष स्नेह व सम्मान दर्शाता है।
  • अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय द्वारा हर वर्ष विधि अंतिम वर्ष में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले छात्र को दो स्वर्ण पदक श्री वर्मा के माता-पिता स्व. श्री कृष्णानंद वर्मा एवं स्व. श्रीमती शांति वर्मा की स्मृति में प्रदान किए जाते हैं। यह श्री वर्मा एवं उनके परिवार के योगदान का शैक्षणिक जगत में भी विशिष्ट उदाहरण है।

अधिवक्ता संघ में भूमिका:
श्री अशोक कुमार वर्मा छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय अधिवक्ता संघ के उपाध्यक्ष निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं, जो उनके प्रति अधिवक्ताओं के सम्मान और विश्वास का परिचायक है।

परिवारिक विरासत जारी:
उनके परिवार के कई सदस्य वर्तमान में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में विधि सेवा में कार्यरत हैं और अधिवक्ता के रूप में न्यायिक प्रणाली में योगदान दे रहे हैं।

सम्मान समारोह का भावपूर्ण क्षण

गुरु पूर्णिमा जैसे आत्मिक अवसर पर जब ज्ञान और मार्गदर्शन के प्रतीकों को नमन किया जाता है, ऐसे समय श्री अशोक वर्मा का सम्मान समारोह विशेष महत्व रखता है। उपस्थित अधिवक्ताओं, न्यायिक अधिकारियों व गणमान्यजनों ने उनके योगदान को नमन करते हुए तालियों की गड़गड़ाहट से उनका अभिनंदन किया।

श्री वर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा कि,

“यह सम्मान मेरे लिए नहीं, बल्कि उस न्याय व्यवस्था के लिए है जिसके प्रति मैं जीवनपर्यंत निष्ठावान रहा हूं। वकालत केवल पेशा नहीं, यह समाज सेवा का एक सशक्त माध्यम है।”

छत्तीसगढ़ न्यायिक जगत के इतिहास में यह अवसर गौरवपूर्ण अध्याय के रूप में अंकित होगा।



एस. भारत न्यूज़
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