*श्री पीताम्बरा पीठ त्रिदेव मंदिर में मनाया जा रहा है आषाढ़ गुप्त नवरात्र

छत्तीसगढ़ बिलासपुर सरकण्डा स्थित श्री पीताम्बरा पीठ त्रिदेव मंदिर में आषाढ़ गुप्त नवरात्र उत्सव हर्षोल्लास के साथ धूमधाम से मनाया जा रहा है। पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. दिनेश जी महाराज ने बताया कि त्रिदेव मंदिर में नवरात्र के आठवे दिन प्रातःकालीन श्री ब्रह्मशक्ति बगलामुखी देवी का विशेष पूजन श्रृंगार किया गया।श्री शारदेश्वर पारदेश्वर महादेव का महारुद्राभिषेक, महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती देवी का षोडश मंत्र द्वारा दूधधारिया पूर्वक अभिषेक किया गया।परमब्रह्म मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम जी का पूजन एवं श्रृंगार किया गया।प्रतिदिन मध्यानकालीन पीताम्बरा हवनात्मक महायज्ञ मे श्री ब्रह्मशक्ति बगलामुखी मंत्र के द्वारा आहुतियाँ दी जा रही है, नवमी को कमला देवी के रूप में कन्याओं का पूजन किया जाएगा,तत्पश्चात कन्या भोजन का आयोजन किया जाएगा।

पीताम्बरा पीठाधीश्वर आचार्य डॉ.दिनेश जी महाराज ने बताया कि माता बगलामुखी दस महाविद्याओं में आठवीं महाविद्या हैं। इन्हें माता पीताम्बरा भी कहते हैं। सम्पूर्ण सृष्टि में जो भी तरंग है वो इन्हीं की वजह से है। ये भोग और मोक्ष दोनों प्रदान करने वाली देवी है।माता की उपासना विशेष रूप से वाद विवाद,शास्त्रार्थ,मुकदमे में विजय प्राप्त करने के लिए कोई आप पर अकारण अत्याचार कर रहा हो तो उसे रोकने सबक सिखाने असाध्य रोगों से छुटकारा बंधन मुक्त संकट से उद्धार, उपद्रवो की शांति,ग्रह शांति,संतान प्राप्ति जिस कन्या का विवाह ना हो रहा हो उसके मनचाहे वर्ग की प्राप्ति के लिए की जाती है। भक्त का जीवन हर प्रकार की बाधा से मुक्त हो जाता है। कहा जाता है कि देवी के सच्चे भक्त को तीनों लोक मे अजेय है, वह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाता है।

पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. दिनेश जी महाराज ने बताया कि बगला शब्द संस्कृत भाषा के वल्गा का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ है दुलहन अत: मां के अलौकिक सौंदर्य और स्तंभन शक्ति के कारण ही इन्हें यह नाम प्राप्त है। देवी बगलामुखी रत्नजड़ित सिंहासन पर विराजित होती हैं और रत्नमय रथ पर आरूढ़ हो शत्रुओं का नाश करती हैं।

एक बार सतयुग में महाविनाश उत्पन्न करने वाला ब्रह्मांडीय तूफान उत्पन्न हुआ, जिससे संपूर्ण विश्व नष्ट होने लगा इससे चारों ओर हाहाकार मच गया। संसार की रक्षा करना असंभव हो गया। यह तूफान सब कुछ नष्ट-भ्रष्ट करता हुआ आगे बढ़ता जा रहा था, जिसे देख कर भगवान विष्णु जी चिंतित हो गए।इस समस्या का कोई हल न पा कर वह भगवान शिव को स्मरण करने लगे, तब भगवान शिव ने कहा: शक्ति रूप के अतिरिक्त अन्य कोई इस विनाश को रोक नहीं सकता अत: आप उनकी शरण में जाएं।तब भगवान विष्णु ने हरिद्रा सरोवर के निकट पहुंच कर कठोर तप किया। भगवान विष्णु के तप से देवी शक्ति प्रकट हुईं। उनकी साधना से महात्रिपुरसुंदरी प्रसन्न हुईं। सौराष्ट्र क्षेत्र की हरिद्रा झील में जलक्रीड़ा करती महापीतांबरा स्वरूप देवी के हृदय से दिव्य तेज उत्पन्न हुआ। इस तेज से ब्रह्मांडीय तूफान थम गया।

पीले फूल,फल,वस्त्र नारियल चढाने से देवी प्रसन्न होतीं हैं। देवी की मूर्ति पर पीला वस्त्र चढाने से बड़ी से बड़ी बाधा भी नष्ट हो जाती है, दुखों का नाश करने के लिए बगलामुखी देवी के मन्त्रों को फलदायी माना जाता है।

More From Author

ग्राम पंचायत दर्राभाठा में शाला प्रवेश उत्सव शामिल हुए चंद्र प्रकाश सूर्या

मोहर्रम पर बिलासपुर में आस्था और व्यवस्था का संतुलन, बंग्ला यार्ड से निकलती है मानता वाली सवारी, एसएसपी रजनेश सिंह ने मोहर्रम के छठवें दिन किया शहरभर के इमामबाड़ों का निरीक्षण, खादिमों से किया संवाद

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *