

बिलासपुर।
तोरवा थाना क्षेत्र के केंवटपारा इलाके में अवैध धर्मांतरण की सूचना के बाद रविवार को भारी हंगामा हुआ। हिंदू संगठनों के विरोध के बीच पुलिस को सात घंटे तक थाने का घेराव, भीड़ को नियंत्रित करना और दोनों पक्षों के बीच तनाव को शांत करना पड़ा। अंततः पुलिस ने पास्टर सहित सात लोगों के खिलाफ छत्तीसगढ़ धर्म स्वतंत्र अधिनियम 1968 की धारा 3 व 4 के तहत मामला दर्ज किया।
धर्मांतरण की सूचना से शुरू हुआ विवाद
घटना की शुरुआत 29 जून की सुबह हुई जब हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं को जानकारी मिली कि तोरवा पावर हाउस क्षेत्र के केंवटपारा में मसीही समाज द्वारा स्थानीय हिंदू समुदाय के लोगों का धर्मांतरण कराया जा रहा है। संगठन के कार्यकर्ता पुलिस के साथ मौके पर पहुंचे और इसका विरोध किया। इसके बाद मसीही समाज के सैकड़ो लोग तोरवा थाना पहुंचकर मिथ्या आरोप लगाने लगे कि हिंदू संगठनों के लोगों ने उनके साथ मारपीट की है।
थाने का घेराव और तनावपूर्ण माहौल
इस घटनाक्रम के कुछ ही देर बाद बड़ी संख्या में हिंदू संगठन के कार्यकर्ता भी थाने पहुंच गए और अवैध धर्मांतरण में शामिल लोगों पर कार्रवाई की मांग करते हुए थाने का घेराव कर लिया। सात घंटे तक चले इस घेराव के दौरान तोरवा थाना परिसर पुलिस छावनी में तब्दील हो गया। दोनों पक्षों के बीच कई बार बहस और झड़प की स्थिति बनी, जिसे पुलिस को बड़ी मशक्कत के बाद नियंत्रण में लाना पड़ा।

FIR दर्ज, सात लोग नामजद
तनाव कम होने के बाद थाना पहुंचकर प्रकाश सिंह (35), निवासी पावर हाउस चौक ने लिखित शिकायत दी। उन्होंने आरोप लगाया कि पास्टर विनय सिंह परिहार और उनके सहयोगियों द्वारा पैसों का लालच देकर उन्हें और अन्य लोगों को प्रार्थना भवन में धर्म बदलने के लिए प्रेरित किया जा रहा था। इस शिकायत के आधार पर पुलिस ने पास्टर विनय सिंह परिहार, मालती धीवर, पवन श्रीवास, हर्ष रजक, बादल, मधु धीवर और पुलू के खिलाफ अपराध क्रमांक 289/25 के तहत FIR दर्ज की है।
धारा 3 व 4 के तहत मामला दर्ज
इन सातों आरोपियों पर छत्तीसगढ़ धर्म स्वतंत्र अधिनियम 1968 की धारा 3 और 4 के तहत मामला दर्ज किया गया है, जो बिना पूर्व अनुमति के धर्म परिवर्तन और किसी को प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित करने को अपराध मानता है।
अवैध धर्मांतरण पर सवाल
हिंदू संगठनों का आरोप है कि बिलासपुर जिले में लंबे समय से अवैध तरीके से धर्मांतरण की गतिविधियां चल रही हैं। गरीब और अशिक्षित वर्ग को बहला-फुसलाकर उनका धर्म और जीवनदर्शन बदलने का काम किया जा रहा है। शनिवार की घटना के दौरान कई लोग, जो शक्ल और नाम से हिंदू प्रतीत हो रहे थे, लेकिन उनकी भाषा, विचार और व्यवहार ईसाई मत की ओर झुके हुए नजर आए। कुछ लोगों ने यहां तक कहा कि “हिंदू कोई धर्म नहीं है” और “सच्चा धर्म ईसाई धर्म है”।
सरकार पर भी निशाना
हंगामे के दौरान कुछ मसीही समुदाय के लोगों द्वारा राज्य और केंद्र सरकार पर भी सवाल खड़े किए गए। उन्होंने धर्मांतरण विरोधी गतिविधियों को जबरन रोकने की कोशिश करने वालो पर आरोप लगाया कि उन्होंने महिलाओं के साथ अभद्रता तथा पत्थरबाजी की है, जो आरोप बेबुनियाद निकले।
अंततः सत्य की जीत
घंटों तक चले तनाव और थाने के घेराव के बाद पुलिस अधिकारियों की सूझबूझ और मध्यस्थता से स्थिति को नियंत्रित किया गया। सभी पक्षों के शांत होने के बाद पुलिस ने निष्पक्ष कार्रवाई करते हुए सात लोगों पर मामला दर्ज किया। यह कार्रवाई स्थानीय समुदाय में प्रशासन की निष्पक्षता और कानून व्यवस्था की दृढ़ता का संदेश देती है।
