

बिलासपुर। पहले जानलेवा मानी जाने वाली टाइप 1 डायबिटीज से जूझ रही 10 वर्षीय आकांक्षा पाटले को आखिरकार जीवनदान मिल गया। ग्राम बामनीह निवासी जगन्नाथ पाटले एवं सुनीता पाटले की पुत्री कु. आकांक्षा को 18 जून को अत्यंत गंभीर अवस्था में श्री शिशु भवन हॉस्पिटल, ईदगाह रोड, मध्य नगरी चौक में भर्ती कराया गया था। लगातार बिगड़ती हालत देख परिजन घबरा उठे थे, लेकिन डॉक्टरों की सूझबूझ और समर्पण ने उम्मीद की नई किरण जगाई।
श्री शिशु भवन के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. श्रीकांत गिरी ने जानकारी दी कि आकांक्षा को एडमिट करते ही तत्काल HBA1C जांच कराई गई, जिसमें सामने आया कि वह टाइप 1 डायबिटीज से ग्रसित है। यह बीमारी अब नवजातों से लेकर बुजुर्गों तक को अपनी चपेट में ले रही है। इस बीमारी में शरीर का पेनक्रियाज (अग्नाशय) इंसुलिन बनाना बंद कर देता है, जिससे शरीर में रक्त शर्करा का स्तर असंतुलित हो जाता है।

डॉ. गिरी ने बताया कि टाइप 1 डायबिटीज एक गैर-संचारी रोग है, लेकिन यह उतना ही खतरनाक होता है जितना कोई संक्रामक रोग। भारत में टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित बच्चों और किशोरों की संख्या विश्व में सबसे अधिक है। ऐसे में कु. आकांक्षा की स्थिति नाजुक बनी हुई थी, लेकिन डॉक्टरों की टीम ने लगातार मॉनिटरिंग और दवाइयों के माध्यम से त्वरित इलाज शुरू किया।
कुछ ही दिनों में आकांक्षा की स्थिति में सुधार आने लगा और 25 जून को वह स्वस्थ होकर अस्पताल से डिस्चार्ज कर दी गई। डिस्चार्ज के समय पेशेंट के माता-पिता को इंसुलिन इंजेक्शन लगाने और दवा प्रबंधन की पूरी विधि सिखाई गई, जिससे वे घर पर भी देखभाल कर सकें।
स्वस्थ होने के बाद आकांक्षा के माता-पिता ने श्री शिशु भवन के समस्त डॉक्टर्स और स्टाफ के प्रति हृदय से आभार व्यक्त किया। हॉस्पिटल प्रबंधक नवल वर्मा ने प्रेस को यह जानकारी साझा की और कहा कि हमारी टीम मरीजों की सेवा में समर्पित है और हर संभव प्रयास करती है कि हर बच्चे को बेहतर जीवन मिले।
