अपोलो कैंसर सेंटर ने लॉन्च किया ‘कैनविन’: कैंसर विजेताओं के अनुभवों से रोशन हुआ उम्मीदों का मंच

शशि मिश्रा

बिलासपुर,
अपोलो कैंसर सेंटर (एसीसी) बिलासपुर ने आज एक महत्वपूर्ण सामाजिक पहल के तहत ‘कैनविन’ (Can Win) नामक कैंसर समर्थन समूह की शुरुआत की। यह मंच उन लोगों के लिए समर्पित है जो कैंसर से जूझ चुके हैं, वर्तमान में इसका इलाज करवा रहे हैं, या फिर किसी मरीज के सहयोगी (caregiver) हैं। इस पहल का उद्देश्य कैंसर से लड़ने की प्रक्रिया को एकाकी नहीं रहने देना, बल्कि उसे साझा साहस और सामूहिक समर्थन की यात्रा बनाना है।

‘कैनविन’ का मूल मंत्र है — “साझा शक्ति जीवन बदल सकती है।”


यह मंच सिर्फ एक समर्थन समूह नहीं, बल्कि एक सशक्त समुदाय है जिसमें कैंसर विजेता, मरीज, मनोवैज्ञानिक, चिकित्सक, देखभालकर्ता और स्वयंसेवक मिलकर न केवल प्रेरणा साझा करते हैं, बल्कि एक-दूसरे के सहारे बनते हैं।

प्रेरणास्पद कहानियों से हुआ शुभारंभ

‘कैनविन’ के पहले कार्यक्रम की शुरुआत भावनात्मक रूप से समृद्ध कहानी कहने वाले सत्र से हुई, जिसमें कैंसर विजेताओं ने अपने अनुभवों को साझा किया। इन कहानियों ने यह स्पष्ट कर दिया कि कैंसर से लड़ना सिर्फ एक चिकित्सीय प्रक्रिया नहीं, बल्कि साहस, धैर्य और मानसिक दृढ़ता की यात्रा है।

श्रीमती आराधना त्रिपाठी: आशा की जीवंत मिसाल

2012 में जब श्रीमती त्रिपाठी को सेकंड स्टेज कैंसर का पता चला, तो वह पूरी तरह मानसिक रूप से टूट चुकी थीं। अपोलो हॉस्पिटल बिलासपुर के डॉक्टर परीदा और डॉक्टर अमित वर्मा ने न केवल उन्हें चिकित्सकीय सहयोग दिया, बल्कि मानसिक रूप से उन्हें पुनः खड़ा किया। उनके पति श्री त्रिपाठी ने भी हर मोड़ पर उनका साथ निभाया।
इलाज के दौरान उन्होंने तीन महत्वपूर्ण सबक सीखे:

  1. सही जानकारी केवल जानकार लोगों से लें – अन्यथा भ्रांतियां भ्रम पैदा करती हैं।
  2. लॉजिक ही नहीं, मैजिक पर भी विश्वास करें।
  3. बीमारी पहले मन में होती है, फिर शरीर में – इच्छा शक्ति से विजय संभव है।

आज वह न केवल स्वस्थ हैं, बल्कि कैंसर रोगियों की एक सफल काउंसलर के रूप में कार्य कर रही हैं।

बिन्नी सलूजा: समय पर जाँच और आत्मबल से मिली जीत

2017 में बिन्नी सलूजा ने लक्षण महसूस होते ही बिना देर किए डॉक्टर अमित वर्मा से संपर्क किया और सभी जरूरी जांचें करवाईं। उनकी तत्परता के चलते कैंसर प्रारंभिक अवस्था में ही पकड़ में आ गया। नियमित योग, मजबूत इच्छाशक्ति और सकारात्मक सोच ने उन्हें इस बीमारी से उबरने में मदद की। उनका मानना है कि “ईश्वर वही चुनौती देता है, जिसके पास उसे जीतने की ताकत हो।”

श्रीमती मधुरिमा श्रीवास्तव: दूसरी बार भी नहीं डिगा हौसला

2017 में ब्रेस्ट कैंसर से जीतने के बाद 2024 में जब दोबारा उन्हें बीमारी ने घेरा, तो उन्होंने फिर भी साहस नहीं खोया। अपोलो कैंसर सेंटर में उन्होंने दोबारा उपचार शुरू किया और अपने दैनिक जीवन को सामान्य बनाए रखा। उनकी यह यात्रा दूसरों के लिए प्रेरणा है कि बीमारी चाहे दोबारा आए, लेकिन आत्मबल और भरोसा सबसे बड़ा उपचार है।

चिकित्सकीय नेतृत्व और समुदाय का सहयोग

कार्यक्रम में अपोलो कैंसर सेंटर के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अनिल कुमार गुप्ता ने कहा,

“‘कैनविन’ के ज़रिए हम एक ऐसा समुदाय बना रहे हैं जहां न केवल उपचार, बल्कि भावनात्मक समर्थन भी रोगियों को मिलता है। यह मंच दिखाता है कि सकारात्मक कहानियां और अनुभव, दवा जितना ही असरदार सहारा बन सकते हैं।”

डॉ. गुप्ता ने बताया कि आज कैंसर की पहचान और इलाज में काफी उन्नति हुई है, जिससे सर्वाइवल रेट में सभी आयु वर्गों में सुधार आया है। उन्होंने यह भी कहा कि ‘कैनविन’ जैसी पहलें उपचार प्रक्रिया में सहायक साबित होती हैं और रोगियों की जीवन गुणवत्ता को बेहतर बनाती हैं।

‘कैनविन’ एक पहल नहीं, बल्कि एक क्रांतिकारी आंदोलन है, जो यह संदेश देता है कि कैंसर से लड़ाई व्यक्तिगत नहीं – सामूहिक प्रयास का परिणाम है।
अपोलो कैंसर सेंटर द्वारा उठाया गया यह कदम न केवल कैंसर रोगियों के लिए आशा की किरण है, बल्कि एक स्वस्थ, जागरूक और सहयोगी समाज की दिशा में एक प्रेरणास्पद पहल भी है।

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