थाने के भीतर महिला को अश्लील गालियाँ और चरित्र हनन, पुलिस की कार्यशैली पर भी उठ रहे सवाल

रायपुर. राजधानी रायपुर के खम्हारडीह थाने में गुरुवार शाम एक अत्यंत गंभीर और स्तब्ध कर देने वाली घटना सामने आई, जिसने न केवल छत्तीसगढ़ पुलिस की संवेदनशीलता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है, बल्कि महिला सुरक्षा और वरिष्ठ अधिकारियों की प्रतिष्ठा तक को चुनौती दे डाली है।

शिकायतकर्ता जो कि अपने फ्लैट में हुई चोरी से संबंधित बयान देने और सबूत प्रस्तुत करने हेतु थाने पहुंची थीं, उन्हें थाने के भीतर ही मौजूद सोनू गरचा नामक व्यक्ति ने न सिर्फ अश्लील गालियाँ दीं, बल्कि उनके चरित्र पर अत्यंत अमर्यादित व अपमानजनक टिप्पणियाँ भी कीं। यह पूरी घटना तीन पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में हुई, जिन्होंने न तो बीच-बचाव किया, न ही आरोपी को रोका। जब शिकायतकर्ता ने इस अपमानजनक कृत्य का विरोध किया और थाना प्रभारी मनोज कुमार साहू से शिकायत की, तब स्थिति और भी शर्मनाक हो गई। आरोपी सोनू गरचा ने थाना प्रभारी के समक्ष भी अभद्र भाषा का प्रयोग किया, जबकि थाना प्रभारी मनोज कुमार साहू मौन बने रहे।

वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशों की अवहेलना

घटना की सूचना मिलते ही कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने फोन के माध्यम से और कुछ अधिकारियों ने स्वयं थाना पहुंचकर थाना प्रभारी को स्पष्ट निर्देश दिए कि आरोपी सोनू गरचा की तत्काल गिरफ्तारी की जाए। लेकिन पुलिसिया अनुशासन और आदेशों का खुलेआम उल्लंघन करते हुए थाना प्रभारी मनोज कुमार साहू ने इन निर्देशों को सिरे से नजरअंदाज कर दिया।

इतना ही नहीं, घटना के बाद सोनू गरचा ने रातभर अपना मोबाइल फोन स्वेच्छा से बंद रखा, जिससे पुलिस उस तक न पहुँच सके। लेकिन आज शाम वह कुछ प्रभावशाली लोगों के साथ थाना पहुंचा और एक मनगढ़ंत शिकायत लेकर आया। आश्चर्य की बात यह रही कि जब सोनू गरचा थाना पहुँचा, तो थाना प्रभारी मनोज कुमार साहू ने न सिर्फ चुप्पी साध ली, काफी लंबी चर्चा भी की बल्कि उसकी शिकायत लेकर उसे आराम से जाने भी दिया।

महिला गरिमा, पुलिस तंत्र और कानून – तीनों पर चोट

इस समूचे घटनाक्रम ने न केवल एक महिला की गरिमा को पुलिस थाना जैसे संस्थान में सार्वजनिक रूप से कुचला, बल्कि यह भी उजागर कर दिया कि कैसे वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों की थाने में कोई कीमत नहीं रही और अपराधियों का मनोबल बढ़ाते हैं यह न सिर्फ पुलिस अनुशासन की विफलता है, बल्कि सामाजिक न्याय और महिला-सुरक्षा की अवधारणाओं पर करारा प्रहार है।

पुलिस की कमजोरी स्पष्ट, आरोपी का दुस्साहस चरम पर

इस घटनाक्रम ने एक कड़वा सत्य उजागर किया
पुलिस अब कमजोर हो गई है और आरोपी बेखौफ। आरोपी की हिम्मत देखिए — वह थाने में आकर महिला को अपमानित करता है, वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशों को रौंदते हुए शिकायत देकर चला जाता है, और पुलिस चुपचाप तमाशा देखती रहती है।

अब सवाल यह है कि क्या राज्य पुलिस प्रशासन अपनी विश्वसनीयता बनाए रख पाएगा? या यह मामला भी सत्ता, दबाव और मिलीभगत की भेंट चढ़ जाएगा?

अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या थाना प्रभारी मनोज कुमार साहू अपराधी प्रवृत्ति के व्यक्ति सोनू गरचा पर कानून की सही धाराएं लगाकर सख्त कार्यवाही करेंगे, या फिर पुलिस की पुरानी आदत के मुताबिक कुछ “कमजोर और खानापूर्ति” वाली धाराओं में मामला दर्ज कर, पूरी घटना को दबाने का प्रयास करेंगे? क्या पीड़िता के अपमान, महिला गरिमा के उल्लंघन, और वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशों की अवहेलना जैसे गंभीर पहलुओं को दरकिनार कर दिया जाएगा? या पुलिस इस बार अपना कर्तव्य निभाकर यह साबित करेगी कि वह दबाव या साठगांठ के तहत नहीं, बल्कि संविधान और क़ानून के प्रति जवाबदेह है?

More From Author

बिलासपुर यातायात पुलिस की क्विक रिस्पांस टीम सक्रिय, तत्काल पहुंचकर सुचारू कर रही है आवागमन

छत्तीसगढ़ में शिक्षा का नया सूर्योदय: अब कोई स्कूल शिक्षक विहीन नहीं, एकल शिक्षकीय शालाओं की संख्या में हुई 80 प्रतिशत की कमी, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में युक्तियुक्तकरण से शिक्षा व्यवस्था को मिली नई दिशा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent Posts