

सतविंदर सिंह अरोड़ा



भले ही बिलासपुर (चकरभाठा) को एयरपोर्ट के रूप में हवाई यात्रा की सुविधा मिली है किन्तु यात्रियों एवं एयरपोर्ट के कर्मचारियों के लिए अन्य आवश्यक सुविधाओं का अभाव बना ही हुआ है। भीषण गर्मी एवं उमस में हवाई अड्डे को वातानुकूल करने में लगभग असफल उपकरणों के बीच पसीना बहाते हुए कर्मचारी अपना दायित्व निर्वहन करने को विवश हैं एवं यात्री भी अन्य कोई उपाय न पाते हुए गर्मी एवं अन्य असुविधाएं झेलने को विवश। पीने के पानी तक के लिए चेक इन के पूर्व ढंग की व्यवस्था नहीं है।
हवाई जहाज के खड़े रहने की स्थिति में उसमें ठंडा करने की कोई व्यवस्था एयरपोर्ट में नहीं है जिसके कारण यात्रियों को एक तरह से गर्म तंदूर में यात्रा आरम्भ होने तक भुनना पड़ता है। वहीं एयरलाइंस के कर्मचारी भी अपनी दुर्गति रोक नहीं सकते।
आज बिलासपुर से जबलपुर होकर दिल्ली जाने वाले विमान की हवा में गोताखोरी के कारण यात्रियों की जान हलक में आ गई। एयर टर्बुलेंस की वजह से जबलपुर से दिल्ली के मार्ग में विमान अचानक होता खाकर एकदम से कई फिट नीचे आ गया। इसके कारण कई यात्री सीटों से गिर गए एवं उनके समान भी बिखर गए। केबिन क्रू एवं अनुभवी यात्रियों की समझाइश के बाद यात्रियों की जान में जान आई किन्तु दिल्ली में लैंडिंग तक सभी की सांसें अटकी रही। क्योंकि मौसम खराब रहने के कारण ऐसी स्थिति कई बार बनी।

ऐसे में लगता है कि कब तक बिलासपुर के भाग्य में छोटा सा सुविधाएं हवाईअड्डा, छोटा रनवे, छोटी फ्लाइट और सीमित यात्रा के विकल्प ही रहेंगे। आखिर कब बिलासा देवी की नगरी को, छग की न्यायधानी को उसका अधिकार मिलेगा एवं हर बार उसके छिनते उसके अवसर कब उसकी झोली में गिरेंगे। आखिर कब बिलासपुर के जनप्रतिनिधि व्यक्तिगत स्वार्थ से उठकर बिलासपुर की भलाई के लिए कुछ करेंगे।