दयालबंद गुरुद्वारे में धूमधाम से मनाया गया खालसा साजना दिवस, शबद कीर्तन और लंगर का आयोजन

बैसाखी के पावन अवसर पर रविवार को दयालबंद गुरुद्वारे में खालसा साजना दिवस श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया। तीन दिवसीय आयोजन का समापन रविवार को संगत की हाजिरी और धार्मिक आयोजनों के साथ हुआ।

सुबह से ही गुरुद्वारे में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। संगत ने गुरुद्वारे पहुंचकर मत्था टेका और प्रार्थना की। इसके बाद शबद कीर्तन का आयोजन हुआ, जिसमें गुरुद्वारे के हजूरी रागी जत्था जोगेंदर सिंह ने गुरुवाणी से संगत को निहाल किया।

हेड ग्रंथी मान सिंह ने खालसा साजना दिवस के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बच्चों और संगत को इसके ऐतिहासिक पहलुओं से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि बैसाखी का दिन सिखों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसी दिन सन् 1699 में श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी।

पंजाबी समाज के अमरजीत सिंह दुआ ने बताया कि अप्रैल 1699 में आनंदपुर साहिब में एक बड़ा आयोजन हुआ, जिसमें गुरु गोबिंद सिंह जी ने मानवता की रक्षा के लिए ‘पंच प्यारे’ चुने। लाहौर के भाई दयाराम खत्री सहित पाँच सिखों ने अपना बलिदान देकर खालसा पंथ की नींव रखी।

कार्यक्रम में गंगानगर से आए कीर्तनकार गगनदीप सिंह ने दो घंटे तक कीर्तन किया, जिसमें संगत पूरी श्रद्धा से शामिल रही। कार्यक्रम के अंत में गुरु का अटूट लंगर बरता गया, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।

पूरा आयोजन भक्तिभाव, श्रद्धा और सिख इतिहास की गौरवगाथा से ओतप्रोत रहा।

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