
शशि मिश्रा

बिलासपुर रेलवे कर्मचारी की मौत के मामले में लगातार छह दिनों से चल रहा धरना आखिरकार मंगलवार देर रात समझौते के साथ समाप्त हो गया। हाई कोर्ट के आदेश और प्रशासन-रेलवे के हस्तक्षेप के बाद मृतक प्रताप बर्मन के परिजनों ने शव का अंतिम संस्कार करने पर सहमति जताई। अब बुधवार सुबह शव को गांव ले जाकर अंतिम संस्कार किया जाएगा।
26.45 लाख मुआवजा, नौकरी और बच्ची की पढ़ाई

डीआरएम कार्यालय में रात 9.30 बजे एडीएम शिव बनर्जी, एडिशनल एसपी राजेंद्र जायसवाल और रेलवे मेंटेनेंस विंग के सीडीपीओ प्रणय मित्रा ने मृतक के परिजनों से चर्चा की। बातचीत के बाद यह तय हुआ कि परिजनों को कुल 26.45 लाख रुपये का मुआवजा मिलेगा। मृतक की पत्नी को आउटसोर्स कंपनी के माध्यम से कंप्यूटर ऑपरेटर की नौकरी दी जाएगी। वहीं उनकी बेटी की 12वीं तक की पढ़ाई रेलवे स्कूल में निशुल्क कराई जाएगी।
इसके अतिरिक्त, मृतक प्रताप बर्मन का खाता एसबीआई में होने के कारण बैंक की ओर से 2 लाख रुपये का बीमा लाभ भी परिजनों को मिलेगा।

हाई कोर्ट ने ठेकेदार को 5 लाख अतिरिक्त देने को कहा
इस मामले में जनहित याचिका पर मंगलवार को हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बी.डी. गुरु की डिवीजन बेंच में रेलवे, ठेकेदार और परिजनों की ओर से पक्ष रखा गया। रेलवे ने बताया कि 16 लाख 45 हजार रुपये का चेक लेबर कोर्ट में जमा करा दिया गया है। वहीं, कोर्ट ने ठेकेदार को 5 लाख रुपये अतिरिक्त मुआवजा देने के निर्देश दिए।

ठेकेदार ने दलील दी कि हादसा रेलवेकर्मी सुखराम मीना की लापरवाही से हुआ, जिसने बिजली सप्लाई बंद नहीं की। उसके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज है। हालांकि हाई कोर्ट ने यह कहते हुए ठेकेदार को अतिरिक्त राशि देने का आदेश दिया कि परिवार चाहे तो लेबर कोर्ट में और मुआवजे की मांग भी कर सकता है।
छह दिन तक अड़े रहे परिजन, बारिश में भी डटे रहे
प्रताप बर्मन की मौत के बाद उनके परिजन और भीम आर्मी सहित कई संगठनों ने एक करोड़ रुपये मुआवजा और सरकारी नौकरी की मांग को लेकर धरना शुरू किया था। मंगलवार शाम से भारी बारिश होने के बावजूद परिजन और समर्थक तिरपाल लगाकर धरने पर बैठे रहे। इसी बीच प्रशासन ने बातचीत का प्रस्ताव भेजा, जिसके बाद सहमति बनी।

हादसे की पृष्ठभूमि
प्रताप बर्मन रेलवे कोच के ऊपर चढ़कर काम कर रहे थे, तभी वे ओएचई लाइन की चपेट में आ गए। हादसे में वे करीब 70 फीसदी झुलस गए थे। इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। हाई कोर्ट ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया था और रेलवे-ठेकेदार से जवाब मांगा था।
रेलवे-ठेकेदार आमने-सामने
रेलवे का कहना है कि मुआवजे की रकम ठेकेदार से वसूल की जाएगी क्योंकि अनुबंध के अनुसार यह उसकी जिम्मेदारी है। दूसरी ओर ठेकेदार ने रेलवे कर्मचारी की गलती बताते हुए खुद को जिम्मेदारी से मुक्त करने की कोशिश की।
अंततः हाई कोर्ट के आदेश और प्रशासन की मध्यस्थता से मामला सुलझा और परिजन अंतिम संस्कार के लिए राजी हुए।
