कौन बनेगा बिलासपुर का महापौर ?

आरक्षण के साथ ही यह साफ हो चुका है कि बिलासपुर का आगामी महापौर ओबीसी वर्ग से बनेगा। पिछली बार कांग्रेस की नगर निगम में सरकार बनी थी और पार्षद दल ने अपना नेता ओबीसी वर्ग से रामशरण यादव को चुना था हालांकि पिछले बार बिलासपुर मेयर का पद सामान्य वर्ग के लिए था। इस बार आरक्षण के साथ ही कई दावेदारों की आशाओं पर पानी फिर गया। भारतीय जनता पार्टी से अशोक विधानी, महेश चंद्रिकापुरे, राजेश सिंह जैसे दिग्गज कई सालों से महापौर बनने की उम्मीद पाले बैठे थे, लेकिन आरक्षण ने उनका समीकरण बिगाड़ दिया है। अशोक विधानी अब चाहेंगे कि उनकी जगह उनकी पत्नी पूजा विधानी को टिकट मिले क्योंकि वे भी ओबीसी वर्ग से है , लेकिन प्रदेश में पहले से ही 6 स्थानो पर महिलाओं को आरक्षण मिलने के बाद यह उम्मीद कम हो चुकी है कि बिलासपुर में भी ओबीसी वर्ग से किसी महिला को भाजपा टिकट देगी । अगर महिला को ही चुनना हो तो बिलासपुर से स्मृति जैन भी प्रबल दावेदार है जो ओबीसी वर्ग से लेकिन महिला दावेदारों की आशाएं फिलहाल क्षीण हो रही है। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी से कुछ नए चौंकाने वाले नाम आ सकते हैं।

पिछड़ा वर्ग से शैलेंद्र यादव, डॉ सोमनाथ यादव भी अपनी दावेदारी कर रहे हैं तो वहीं पूर्व महापौर किशोर राय अचानक से सक्रिय हो गए हैं। इसके बावजूद पूर्व जिला अध्यक्ष रामदेव कुमावत का पलड़ा भारी नजर आ रहा है, क्योंकि वे विधायक अमर अग्रवाल के बेहद गरीबी माने जाते हैं और उम्मीद की जा रही है कि विधायक अमर अग्रवाल ऐसे किसी व्यक्ति को महापौर बनना चाहेंगे जो पूरी तरह उनके साथ चले । इसलिए भारतीय जनता पार्टी में रामदेव कुमावत की उम्मीदें सबसे प्रबल नजर आ रही है।

कांग्रेस से कौन है दावेदार

पिछड़ा वर्ग के लिए महापौर का सीट आरक्षित होने के बाद कांग्रेस में बहुत अधिक दावेदार नहीं बचे हैं। महापौर रामशरण यादव खुद को दावेदार बता रहे हैं लेकिन उम्मीद कम है कि कांग्रेस उन्हें रिपीट करेगी। शेख नजीरुद्दीन एक विकल्प हो सकते हैं लेकिन हिंदू वोटो के ध्रुवीकरण को देखते हुए कांग्रेस शायद ही उन्हें अवसर दे। ऐसे में बिलासपुर महापौर के लिए कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर प्रमोद नायक का नाम लगभग फाइनल माना जा रहा है। राजनीति के गलियारे के जानकार बता रहे हैं कि इस बार महापौर का चुनाव प्रमोद नायक वर्सेस रामदेव कुमावत होने जा रहा है।

हालांकि कई बागी भी खेल बिगाड़ सकते हैं। इसे लेकर भी दोनों ही प्रमुख राजनीतिक पार्टियां अपनी रणनीति तैयार कर रही है। अंतिम वक्त पर क्या फैसला होगा यह कहना हालांकि फिलहाल मुश्किल है लेकिन वर्तमान में जो परिस्थितियां है उस पर गौर करें तो तस्वीर काफी हद तक साफ दिख रही है कि बिलासपुर महापौर का मुकाबला इस बार रामदेव कुमावत और प्रमोद नायक के बीच होने जा रहा है और अगर ऐसा हुआ तो रामदेव कुमावत का पलड़ा भारी दिख रहा है क्योंकि नगर निगम में उसी को सत्ता मिलती है जिसकी सरकार प्रदेश में हो। केंद्र और राज्य में कमल खिलाने के बाद भाजपा का प्रयास होगा कि बिलासपुर नगर निगम में भी शहर सरकार भाजपा की ही हो और ऐसे में भाजपा महापौर के जीतने की उम्मीद प्रबल हो जाती है। हालांकि एक बार ऐसा भी हुआ है जब बिलासपुर में भाजपा पार्षदों की संख्या तो अधिक थी लेकिन महापौर कांग्रेस की वाणी राव चुनी गई थी , इसलिए भाजपा कोई अतिरिक्त जोखिम लेना नहीं चाहेगी और ऐसे में जाहिर है कि करी प्रत्याशी का चयन ठोक बजाकर ही किया जाएगी।

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