मुख्य बिंदु:
• हाईकोर्ट ने डीजीपी द्वारा बनाए गए नियमों में पक्षपात की आशंका जताई।
• न्यायमूर्ति पांडेय ने संवैधानिक समानता के उल्लंघन पर भर्ती प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लगाई।
बिलासपुर स्थित छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने आरक्षक संवर्ग 2023-24 की भर्ती प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लगा दी है। अदालत ने पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) द्वारा बनाए गए नियमों को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं, जिनमें पुलिस कर्मियों के बच्चों को विशेष रियायतें दी गई थीं। यह आदेश न्यायमूर्ति राकेश मोहन पांडेय ने डब्ल्यूपीएस नंबर 7593/2024 की सुनवाई के दौरान दिया। यह याचिका बेद राम टंडन ने राज्य शासन के खिलाफ दायर की थी।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता रवि कुमार भगत ने दलील दी कि भर्ती प्रक्रिया के नियमों में संशोधन कर केवल पुलिस कर्मियों के बच्चों को फिजिकल टेस्ट के मानकों में छूट दी गई, जो संविधान के समानता के अधिकार का उल्लंघन है। यह छूट 2007 के भर्ती नियमों की धारा 9(5) के तहत दी गई, जिसमें छाती और ऊंचाई के मानकों को शिथिल किया गया। इस बदलाव को डीजीपी द्वारा 20 अक्टूबर 2023 को जारी पत्र में सुझाया गया था, जिसे बाद में अवर सचिव ने अनुमोदित कर दिया।
याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि उसके पुत्र ने राजनांदगांव जिले में आरक्षक जनरल ड्यूटी के 143 पदों के लिए आवेदन किया था। हालांकि, पुलिस अधिकारियों के बच्चों को दी गई छूट के कारण उसकी उम्मीदवारी प्रभावित हुई। न्यायमूर्ति पांडेय ने कहा कि इस तरह की विशिष्ट रियायतें अन्य सामान्य उम्मीदवारों के साथ भेदभाव के समान हैं।
राज्य सरकार की ओर से पेश डिप्टी गवर्नमेंट एडवोकेट शैलजा शुक्ला ने इस मामले में विस्तृत उत्तर प्रस्तुत करने के लिए समय मांगा। मामले की गंभीरता को देखते हुए न्यायालय ने आगामी आदेश तक भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी और अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद निर्धारित की।
यह रोक न केवल भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करती है, बल्कि प्रभावित उम्मीदवारों के भविष्य पर भी अनिश्चितता का साया डालती है।