साहित्य क़े उपासक समूह में दीपावली मिलन समारोह आयोजित किया गया. इस अवसर पर समूह में आभासीय गीत संध्या आयोजित की गयी. कार्यक्रम का आरम्भ जबलपुर की रचनाकार अर्चना द्विवेदी जी द्वारा सरस्वती वंदना माँ भुवनेश्वरी वरदायनी के गायन से हुआ. तदोपरान्त हरदा मध्य प्रदेश की श्रीमती वीणा चौबे ने अपने स्वरचित गीत “जाने कितनों ने दे दी वतन पे कुर्बानी” प्रस्तुत कर सभी को देशभक्ति के भाव से ओतप्रोत कर दिया. बनारस की अभिलाषा जी ने “जिंदगी प्यार का गीत है” गीत प्रस्तुत कर जीवन में प्रेम और दुःख क़े महत्व को रेखांकित किया. अर्चना गुदालू जी ने ‘आपकी इनायतें आपके करम’ प्रस्तुत कर कार्यक्रम में मधुरस घोल दिया. लखनऊ की भावना मिश्रा ने “कहे तोसे सजना ये तोहरी सजनियां
पग पग लिए जाऊं तोहरी बलइया”
क़े माध्यम से दिवंगत गायिका शारदा सिन्हा जी को श्रद्धांजलि अर्पित की. नयी दिल्ली की निशि अरोरा ने ‘न सुबूत है न दलील है’ ग़ज़ल द्वारा कर सभी को भावविभोर कर दिया. दिल्ली की डॉ. अंजू रानी जी ने “ओह रे ताल मिले नदी क़े जल में ” गीत प्रस्तुत कर कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिए. उज्जैन के प्रशांत माहेश्वरी जी ने तलत महमूद क़े गाये गीत “हैं सबसे मधुर वो गीत” एवं मुकेश क़े प्यासे पंछी नील गगन में… प्रस्तुत कर कार्यक्रम में मिठास घोल दी. इन्दौर की सपना साहू जी ने “वो जब याद आये… बहुत याद आये” प्रस्तुत कर आयोजन को स्मरणीय बनाया. निकिता श्रीवास्तव (गाज़ियाबाद), शीला बड़ोदिया (इंदौर) रजनी भास्कर संगरूर पंजाब अर्चना पंडित इन्दौर, मेघा राठी (भोपाल),और जूही कुमारी मिश्रा (मुजफ्फरपुर)की प्रस्तुतियाँ सराहनीय रहीं. आयोजन में लखनऊ क़े प्रसिद्ध व्यंग्यकार अयोध्या प्रसाद जी की भी उपस्थिति उल्लेखनीय रही. कार्यक्रम का संचालन प्रशांत माहेश्वरी ने किया. अंत में शीला बड़ोदिया द्वारा आभार ज्ञापन क़े साथ आयोजन सहर्ष संपन्न हुआ.