महिला सुरक्षा एक गंभीर चुनौती विषय पर ऑनलाइन विचार गोष्ठी का आयोजन

साहित्य के उपासक समूह में विगत दिनों  ‘महिला सुरक्षा एक गंभीर चुनौती और समाधान विषय पर आभासीय विचारगोष्ठी आयोजित की गयी, बैठक में देश के विभिन्न नगरों से सम्मलित हुए सदस्यों ने उक्त विषय पर अपने विचार साझा किये…
नयी दिल्ली की निशि अरोरा  ने लड़का एवं लड़की दोनों के महत्व को बतलाते हुए दोनों के पालन पोषण में समानता पर बल दिया, उन्होंने बढ़ती मानसिक विकृतियों की रोकथाम के लिए योग की ज़रुरत को रेखांकित किया। वाराणसी की अभिलाषा लाल जी ने लघु लेख के माध्यम से उक्त विषय पर अपने विचार रखे… समस्तीपुर (बिहार) के अम्बिका प्रसाद नंदन ने बढ़ते पाश्चात्य सभ्यता के प्रभाव को मानव के चारित्रिक पतन का दोषी माना… गाज़ियाबाद की निकिता श्रीवास्तव ने महिलाओं से ही उत्पीड़न के विरुद्ध एक स्वर में आवाज़ उठाने और आत्मरक्षा के लिए स्वयं को तैयार करने का आह्वान किया. लखनऊ की भावना मिश्रा  और लखनऊ के ही अयोध्या प्रसाद  ने आरम्भ से ही बच्चों को संस्कारवान बनाने पर बल दिया, इंदौर की निर्मला द्विवेदी ने आरम्भ से ही लड़के और लड़कियों के लालन-पालन में समानता पर बल दिया… जबलपुर की अर्चना द्विवेदी ने महिला अत्याचारों के विरुद्ध दंड के प्रावधान को कठोर किये जाने की बात कही,शुचि भवी (भिलाई) ने कहा क़ि हर पुरुष को नारी का सम्मान करना सीखना होगा… संगरूर (पंजाब) की रजनी शर्मा ने बच्चों को बाल्यावस्था से ही नैतिक शिक्षा दिए जाने पर बल दिया। अखिल भारतीय साहित्य परिषद ( लखनऊ महानगर) के अध्यक्ष निर्भय गुप्त ने बच्चों को संस्कारवान बनाने में माता-पिता की भूमिका पर ज़ोर देते हुए बढ़ते हुए महिला अपराधों के लिए तड़क-भड़क वाले पहनावे को भी इस कुकृत्य का मुख़्य कारण बतलाया। कोलकाता की प्रणाली श्रीवास्तव ने भी अपनी मर्मस्पर्शी कविता “वो चार थे मैं एक थी” के माध्यम से उक्त विषय पर अपने विचार व्यक्त किये… कानपुर की कृतिका ‘कृति’ ने महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों के प्रति महिलाओं से मुख़र होने की अपील करते हुए कहा कि बच्चों को संस्कारवान बनाना है तो माँ-बाप को भी अपने दृष्टिकोण में परिवर्तन करना होगा। सुनीता राजीव (दिल्ली) और शीला बरोदिया (इंदौर) ने समाज में घटित हो रहे ऐसी घटनाओं के लिए क्रमश: लालन-पालन में असमानता और संस्कारों के अभाव को उत्तरदाई माना… प्रशांत माहेश्वरी ने ऐसी घटनाओं के लिए संस्कारों के अभाव, राजनेताओं की सत्तासुख की अभिलाषा, जनता द्वारा गलत नेताओं का चुनाव, वकीलों द्वारा धन के लालच में आकर ऐसे अपराधियों को बचाना, और न्याय व्यवस्था की मंद गति को दोषी बतलाया।कार्यक्रम का संचालन प्रशांत माहेश्वरी ने किया, अंत में कोलकाता की वीरांगना रेप पीड़िता ट्रेनी डॉक्टर को श्रद्धांजलि देते हुए बैठक संपन्न हुई।

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