नई पीढ़ी के बच्चों को मोबाइल की लत किस कदर लग चुकी है इसका उदाहरण बिलासपुर में देखा गया, जहां मोबाइल न मिलने पर सातवीं कक्षा के बच्चे ने फांसी लगाकर जान दे दी। अब पूरा परिवार सर पीट रहा है। सरकंडा अशोक नगर में रहने वाले देवानंद जायसवाल प्राइवेट जॉब करते हैं। उनका 13 वर्षीय बेटा सोम जायसवाल सातवीं कक्षा का छात्र था। पिछले दिनों उसकी तबीयत खराब थी पिता और पुत्र रात में एक ही कमरे में सो रहे थे। इस दौरान सोम ने अपने पिता से मोबाइल मांगा लेकिन बेटे की तबीयत खराब होने के कारण पिता ने मोबाइल देने से मना करते हुए उसे जल्दी सो जाने के लिए कहा।

बस इतनी सी बात से बेटा नाराज हो गया और कुछ देर बाद वह कमरे से बाहर निकल गया। देवानंद की भी नींद लग गई। जब उनकी नींद खुली तो बेटा नहीं था। आसपास देखा तो बेटे ने फांसी लगा ली थी। तुरंत परिवार उसे फंदे से उतार कर सिम्स से लेकर पहुंचा, लेकिन चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी इस तरह की कई घटनाएं सामने आ चुकी है ,जहां पेरेंट्स द्वारा डांटने या फिर मोबाइल न देने पर छोटे-छोटे बच्चे खुदकुशी जैसा कदम उठा रहे हैं। इसे लेकर मनोवैज्ञानिक भी हैरान है। उनका कहना है कि जब माता-पिता दिनभर मोबाइल पर चिपके रहते हैं तो बच्चों को भी आदत पड़ जाती है। तो वहीं कई माता-पिता अपनी व्यस्तता के कारण बच्चों के हाथ में मोबाइल लेकर अपनी जिम्मेदारी से भागते हैं। यह भी आफत का संकेत है तो वही बच्चों को जिस तेजी से मोबाइल की लत लग रही है वह चिंता का विषय है।

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