


इस रविवार को टिकरापारा स्थित दुर्गाबाड़ी बंग भवन में छत्तीसगढ़ बंगाली अकादमी द्वारा कवि गुरु रवींद्रनाथ टैगोर की 163वी जयंती मनाई गई ,जहां उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए उनकी रचनाओं का पाठ किया गया । इस अवसर पर रविंद्र संगीत और रविंद्र नृत्य, आलेख से समां बांधा गया। कार्यक्रम का शुभारंभ बांग्ला एकेडमी के थीम सोंग आमार भाषा, तोमार भाषा के साथ किया गया । बंगाली संस्कृति और साहित्य पर कवि गुरु रविंद्र नाथ टैगोर की अमिट छाप है।बांग्ला भाषी चाहे दुनिया के किसी भी कोने में रहे, वे इससे अछूते नहीं रह सकते। बिलासपुर में भी हजारों की संख्या में रहने वाले प्रवासी बांगाली भीतर से अपनी सांस्कृतिक जड़ों से उतने ही जुड़े हुए हैं जैसा कि बंगाल में रहने वाले बंगाली। बंगाली मूल रूप से साहित्य और कला प्रेमी होते हैं ।यही कारण है कि बिलासपुर में भी छत्तीसगढ़ बांग्ला एकेडमी की स्थापना 1999 में की गई।

अभिभाजित मध्य प्रदेश के दौर से ही यह संस्था ललित कला, साहित्य , संगीत , नृत्य, गीत आदि के क्षेत्र में न केवल कलाकारों को मंच प्रदान करती रही बल्कि लगातार साहित्यिक संगोष्ठी, साहित्य रचना और समाज के बच्चों में मातृभाषा एवं संस्कृति के प्रति प्रेम जगाने के साथ उन्हें गर्मी की छुट्टियों में बांग्ला भाषा का ज्ञान दिलाना भी क्रियाकलापों में शामिल रहा। साहित्यिक गतिविधियों में अग्रणी रहने वाली छत्तीसगढ़ बांग्ला एकेडमी द्वारा इस रविवार को कोबी प्रणाम कार्यक्रम के तहत बांग्ला गौरव रवि ठाकुर को श्रद्धांजलि अर्पित की गई ।कलाकारों ने उनकी रचनाओं की प्रस्तुति देकर समां बांध दिया।

छत्तीसगढ़ बांग्ला एकेडमी के सचिव राजा दास गुप्ता ने बताया कि टिकरापारा स्थित बंग भवन में नियमित रूप से साहित्य और अन्य ललित कलाओं को लेकर कार्यक्रम आयोजित होते रहते हैं, तो वही वार्षिक रविंद्र जयंती का भी आयोजन होता है, जिसमें शहर भर के बंगाली समाज के लोग जुटते और कवि गुरु रविंद्र नाथ टैगोर के प्रति अपनी भावनाओं का प्रदर्शन करते है। इस वर्ष भी यहां एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दी गई, जिससे मंत्र मुग्ध श्रोता और दर्शक मानो विश्व भारती पहुंच गए और वैसी ही अनुभूति करने लगे।
इन्होंने दी प्रस्तुति

रविंद्र जयंती के अवसर पर समूह गीत में निहार मलिक, नमिता घोष, अमित चक्रवर्ती ,प्रबल मुखर्जी, मौसमी चक्रवर्ती ,सौरभ उमादास, प्रीता सरकार, प्रतिमा पाल मोनिका घोष, गोपा दास गुप्ता, अचिंतो बोस,तबला में जय डे ने सहयोग किया
डा गोपाल चंद्र मुखर्जी द्वारा रविंद्रनाथ टैगोर के जीवनी पर प्रकाश डाला गया।
अध्यक्ष श्रीमती नमिता घोष द्वारा संगठन की गतिविधियो पर चर्चा करते हुए एक सुंदर कविता पाठ किया गया।
इस कार्यक्रम में
एकल गीत अमित चक्रवर्ती,
प्रतिमा पाल, सुब्रांगशु घोष,अचिंतो बोस,पृथा सरकार, सुतापा देवनाथ ने किया।
रूपा राहा,अशोक कुंडू ने कविता पाठ किया। आयुषी,पेखम,इशानी चैटर्जी ने नृत्य प्रस्तुत किया।
राजा दासगुप्ता द्वारा लिखित नृत्यगीती आलेख में निहार मल्लिक, सौरभ मौसमी चक्रवर्ती द्वारा गीत एंव नमिता घोष, डा गोपाल मुखर्जी द्वारा पाठ एवं नृत्य में पियाली घटक,और प्रीथा सरकार ने प्रस्तुति दिया।
असितबरन दास द्वारा लिखित एव निर्देशित नाटक मंचन किया गया,जिसमे असितबरन दास,प्रबाल मुखर्जी, देवाशीष सरकार,पार्थ सारथी बोस एवं राजा दासगुप्ता ने अभिनय किया।
मंच संचालन राजा दासगुप्ता न किया।
इस कार्यक्रम में उपाध्यक्ष डा सोमनाथ मुखर्जी एवं अनुराधा मुखर्जी का विशेष सहयोग रहा।
इस क्रयाक्रम में
आर एन चैटर्जी,प्रमिला गुप्ता,अजय गांगुली,श्रीमती जयश्री सरकार,सुश्री स्वप्ना जाना,श्रीमती सुतपा देवनाथ,सुब्रत झरना चट्टोपाध्य,प्रबीर छंदा घोष, मीनूदास,श्रीमती कुंडू, रूमा, पार्थों, मुक्ता सरकार, श्रावणी चक्रवर्ती,श्रीमती सरकार उपस्थित रहे। कार्यक्रम को सफल बनाने में सभी का सहयोग रहा।
धन्यवाद ज्ञापन
डा गोपाल चंद्र मुखर्जी द्वारा किया गया।