आकाश मिश्रा

सरकंडा थाने में पदस्थ आदिवासी प्रधान आरक्षक लखन मेश्राम द्वारा 2 मई की दरमियानी रात खुदकुशी किए जाने के मामले में सर्व आदिवासी समाज ने विरोध दर्ज कराते हुए त्वरित कार्यवाही की मांग की है। सर्व आदिवासी समाज युवा प्रभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष परते ने कहा कि प्रधान आरक्षक को उनके वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा था। एक पुलिसकर्मी को आत्महत्या करनी पड़ी, इससे समझ में आ रहा है कि वह किस मानसिक शारीरिक दबाव में काम कर रहे हैं ।सुभाष परते ने दोषियों को संरक्षण देने का भी आरोप लगाया। इस मुद्दे पर सुभाष ने कहा कि जल्द ही मुख्यमंत्री, गृहमंत्री और उच्च अधिकारियों से मुलाकात कर इस मुद्दे पर ज्ञापन सौंपा जाएगा। दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही के लिए 15 दिन का समय दिया गया है ,अन्यथा उग्र आंदोलन करने की चेतावनी दी गई है, जिसमें एसपी कार्यालय का घेराव भी शामिल है ।

उधर मृत हेड कांस्टेबल लखन मेश्राम के कथित आत्महत्या मामले में उनके बेटे कृष्णकांत मेश्राम ने सरकंडा पुलिस पर ही आत्महत्या के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया है, जिसने कहा कि घटना के दिन वे बार-बार थाना आना-जाना कर रहे थे। थाने से भी कई बार फोन आ रहा था। वह रात 12:00 बजे आए और फिर अचानक गायब हो गए। अगले दिन घर के पीछे मौजूद नीम के पेड़ पर उनकी लाश लटकती मिली। इधर इस मुद्दे पर एचपी रजनेश सिंह ने स्पष्ट कहा है कि प्रधान आरक्षक की आत्महत्या के कारण की बारीकी से जांच की जा रही है और इसके लिए एडिशनल एसपी को जांच की जिम्मेदारी सौंप दी गई है, जो सभी पहलुओं पर विचार कर रहे हैं ।
जानकारी मिल रही है कि लखन मेश्राम सरकंडा थाने में मलखाना की जिम्मेदारी संभालते थे। मालखाना से स जप्त सामान न्यायालय में पेश करने के मुद्दे पर ही उन्हें फटकार लगाने की बात सामने आई है, जिस पर जांच की जा रही है।