कांग्रेस अधिवेशन की तैयारियां पूरी…कांग्रेस का अधिवेशन छत्तीसगढ़ में होना राज्य के लिये गौरव का विषय- मोहन मरकाम

रायपुर/22 फरवरी । प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि कांग्रेस का 85 वां अधिवेशन छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में होने वाले अधिवेशन की तैयारियां पूरी हो चुकी है।देश भर से अतिथियों का आना शुरू हो गया है।यह क्षण कांग्रेस के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के लिये भी ऐतिहासिक और गौरव पूर्व है। कांग्रेस देश का अकेला राजनैतिक संगठन है जिसका गठन आजादी के पहले हुआ था जिसने देश की आजादी की लड़ाई का नेतृत्व किया। कांग्रेस का पहला अधिवेशन स्थापना के तत्काल बाद 1885 में मुंबई में हुआ जिसमें व्योमेशचंद्र बेनर्जी अध्यक्ष बने। कांग्रेस के 40 वें अधिवेशन 1924 में बेलगांव महात्मा गांधी अध्यक्ष बने थे। 46 वे अधिवेशन में 1929 के लाहौर अधिवेशन में पं. जवाहर लाल नेहरू अध्यक्ष बने थे तथा कांग्रेस के 52 वें अधिवेशन 1938 में हरिपुर तथा 1939 को त्रिपुरी मध्यप्रदेश के अधिवेशन में नेताजी सुभाष चंद्र बोस कांग्रेस के अध्यक्ष बने। रायपुर के पहले दिल्ली में कांग्रेस का 84वां अधिवेशन 2018 में हुआ था।

गुलाम भारत के लोगों में राजनैतिक चेतना जागृत कर उनमें आजाद मुल्क की ललक पैदा करना एक बड़ा कठिन काम था, जब तक लोगो मे आजादी और स्वराज की जरूरत की चेतना जागृत नही होगी अंग्रेजी शासन के खिलाफ कोई भी आंदोलन खड़ा नही हो सकता इस बात को कांग्रेस ने भली भांति समझ लिया था इसीलिए कांग्रेस ने शुरू से ही अपने विरोध के कार्यक्रमो में आम आदमी को जोड़ा और सामूहिक नेतृत्व पर जोर दिया।1915में महात्मा गांधी के भारत आगमन के बाद उन्हें कांग्रेस की अध्यक्षता सौपी गयी 1919 में गांधी जी कांग्रेस के प्रतीक पुरुष बन गए और इसके बाद कांग्रेस ने देश भर में अंग्रेजी हुकूमत के अत्याचारों के खिलाफ जनांदोलनों को खड़ा करना शुरू किया। छोटे-छोटे विरोध आंदोलनों की श्रृंखला धीरे धीरे राष्ट्रीय आंदोलन में परिवर्तित हो गयी। सविनय अवज्ञा, असहयोग आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन, स्वदेशी आंदोलन, पूर्ण स्वराज आंदोलन में परिवर्तित हो कर 15 अगस्त 1947 को आजाद भारत के पूर्ण लक्ष्य को अंततः प्राप्त कर ही लिया।

2014 में केंद्र की सत्ता हाथ से जाने के बाद कांग्रेस एक सजग विपक्ष की भूमिका निभा रही है। बहुमत के अतिवादी चरित्र का विरोध जिस बेबाकी और निडरता से सोनिया गांधी, राहुल गांधी, खड़गे जी कर रहे है वह कांग्रेस के उन्ही मूल्यों उपज है जिन मूल्यों को लेकर कांग्रेस ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक आंदोलन और भारत के सबसे बड़े राष्ट्रवादी आंदोलन भारत की आजादी की लड़ाई को लड़ा था। लोकतांत्रिक प्रक्रिया अपना कर तथा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे अनुभवी शख्स को पार्टी के निचले पायदान ब्लॉक अध्यक्ष से राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना जाना कांग्रेस जैसे दल में संभव है।

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