

बिलासपुर, रेल्वे परिक्षेत्र, एन.ई.कालोनी में स्थित श्री कोदंडा रामालयम एवं श्री बालाजी मंदिर में धनुर्मास में होने वाले वैकुण्ठ एकादशी में उत्तर द्वार से विशेष प्रवेश पूजा 23 दिसंबर, दिन शनिवार, समय सुबह 5 बजे ब्रम्हमुहूर्त से किया जावेगा। यह उत्सव सभी विष्णु मंदिरों में मनाया जाता है। दक्षिण भारत के सभी विष्णु मंदिरों में भक्तों के प्रवेश करने के लिए एक विशेष प्रवेश द्वार होता है जिसे वैकुंठ द्वार कहा जाता है। यह प्रवेश द्वार केवल वैकुंठ एकादशी पर खोला जाता है। स्वर्ग द्वार से विष्णु की उत्सव मूर्ति बाहर निकलती है जिसे बहुत से भक्त बाहर से दर्शन करते हैं कुछ भक्त मूर्ति के पीछे पीछे ही बाहर निकलते हैं। माना जाता है कि कोई भी व्यक्ति जो इस दिन 'वैकुंठ द्वार' से निकलती मूर्ति के दर्शन करता है या मूर्ति के पीछे 'वैकुंठ द्वार' से गुजरता है, वह वैकुंठ प्राप्त करता है। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी 23 दिसंबर, दिन शनिवार, समय सुबह 5 बजे से अखिल भारतीय अय्यप्पा सेवा संघम बिलासपुर के द्वारा अय्यप्पा पड़ी पूजा एवं अन्नदानम किया जावेगा। पूजा का विवरण सुबह 5 बजे वैकुण्ठ उत्तर द्वार विशेष प्रवेश, सुबह 5 बजे से 6:30 बजे तक श्रीगोदादेवी माता जी का कुमकुम पूजा, सुबह 7 बजे स्वामी अय्यप्पा पूजा, सुबह 9 बजे भजन-कीर्तन, सुबह 11 बजे पड़ी पूजा एवं भोग, सुबह 11:30 बजे महाआरती एवं दोपहर 12 बजे भक्तों के लिये अन्नदानम का विशेष धार्मिक अनुष्ठान पूजा किया जावेगा। स्वामी अय्यप्पा का पूजा जो भक्त स्वामी अय्यप्पा माला का दीक्षा जो लेते हैं उन्हें के द्वारा यह पूजा किया जाता है। बिलासपुर निवासी 18 भक्त भगवान स्वामी अय्यप्पा का माला धारण किये हैं। माला धारण करने वाले भक्त काला वस्त्र ही पहनाते हैं। ब्रम्हचारी जीवन यापन करते हैं, बिना चप्पल के रहते हैं, चटाई में ही विश्राम करते हैं, सेविंग नहीं करते हैं, सात्विक भोजन ही ग्रहण करते हैं, किसी भी तरह का नशा का सेवन सख्त प्रतिबंध है। केरल में भगवान अयप्पा के पहाड़ी निवास सबरीमाला मंदिर में जाने से पहले प्रत्येक भक्त को 41 दिनों का उपवास रखना अनिवार्य है। सबरीमाला मंदिर जाने से पहले 41 दिनों तक अयप्पा दीक्षा का पालन करते हैं। पूजा अर्चना, धार्मिक अनुष्ठान, विधि-विधान एवं सुचारू रूप से करवाने हेतू मंदिर प्रबंधक समिति के सदस्य जिसमें सर्वश्री आर.वीरास्वामी (अध्यक्ष), पट्नायक विपिन प्रसाद (कार्यवाहक अध्यक्ष), एस. साई. भास्कर (सचिव), जी.रविकन्ना (सह सचिव), पी.धर्मा राव (कोषाध्यक्ष), ई. सिम्माचलम (सह कोषाध्यक्ष), पंच प्रबंधक सदस्य - बी. शंकर राव, एल श्रीनिवास, प्रभाकर राव, जी. एस. प्रकाश, टी. राजेश एवं अन्य समाज के सम्मानीय जन इस धार्मिक अनुष्ठान को सफल करने के लिये लगे हुए हैं। उपयुक्त कि जानकारी मंदिर के सहसचिव जी.रविकन्ना के द्वारा दी गयी।
