प्रवीर भट्टाचार्य

10 दिनों के गणेश उत्सव के बाद गुरुवार अनंत चतुर्दशी पर भगवान गणेश की प्रतिमाओं का विधि विधान के साथ विसर्जन किया गया। भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है। महाभारत के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने इसी तिथि पर अपना विराट रूप दिखाया था। उनके अनंत रूप के कारण इस तिथि का नाम अनंत चतुर्दशी पड़ा। इस दिन एक तरफ जहां भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है तो वही 10 दिवसीय गणेश उत्सव के बाद उनकी प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है।

सुबह सभी गणेश पंडालो में विशेष पूजन, हवन, आरती की गई, जिसके बाद ढोल ताशा के साथ प्रतिमाओं को घाटों तक ले जाया गया। सार्वजनिक गणेश उत्सव के साथ घरों में भी गणपति स्थापित करने वाले अपने-अपने साधन से बिलासपुर के अलग-अलग घाट पर पहुंचे। बिलासपुर के शिव घाट, पचरीघाट के साथ छठ घाट में भी गणेश विसर्जन के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। इस वजह से छठ घाट पुल पर जाम की स्थिति भी बनी।

घाट पर पहुंचकर भक्तों ने बप्पा की पूजा अर्चना और आरती की। इसके बाद गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ की कामना के साथ उनकी प्रतिमाओं को नदी के जल में विसर्जित किया गया। बड़ी प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए यहां क्रेन की भी व्यवस्था की गई थी, जिसकी मदद से प्रतिमाओं को विसर्जित किया गया। सुरक्षा की दृष्टि से घाट पर गोताखोर भी तैनात किए गए हैं तो वहीं प्रकाश की भी व्यवस्था की गई है।

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