गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय में गंदा पानी से भोजन पकाने के चलते छात्राएं हुई फ़ूड प्वाइजनिंग का शिकार , कैंपस में ही मेडिकल कैंप लगाकर करना पड़ रहा है इलाज

केंद्रीय गुरु घसीदास विश्वविद्यालय के छात्रावास में रहने वाली छात्राओं ने जिस बात की आशंका जाहिर की थी, आखिरकार वह सच साबित हुई। मेस में गंदे पानी से भोजन बनाने और खाने में कीड़े मकोड़े परोसने की वजह से सेंट्रल यूनिवर्सिटी की छात्राएं फूड प्वाइजनिंग का शिकार हो गई। पिछले दो दिनों से छात्राओं का इलाज चल रहा है। कुछ छात्राओं को सिम्स भी जाना पड़ा है, तो वही हॉस्टल में ही मेडिकल कैंप लगाकर छात्राओं का इलाज करना पड़ रहा है।

पिछले 15 दिनों से सेंट्रल यूनिवर्सिटी के बिलासा देवी और मिनीमाता गर्ल्स हॉस्टल में वाटर प्यूरीफायर खराब था। गंदे टंकी के पानी से ही भोजन तैयार किया जाता था, इस समस्या को लेकर छात्राओं ने बीटेक की शिक्षिका, हॉस्टल वार्डन को बार-बार शिकायत की, पर उनकी बात को अनसुना कर दिया गया। रविवार को छात्राओं ने मोर्चा खोलते हुए बताया था कि किस तरह से बदबूदार पानी से भोजन तैयार किया जाता है। कुलपति के आवास का घेराव करने के बाद उनके आदेश पर व्यवस्था बहाली की कोशिश तो हुई लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। गंदे की पानी की वजह से एक-एक कर छात्राओं की तबीयत बिगड़ने लगी, लेकिन आरोप है कि इसके बाद भी वार्डन उन्हें अस्पताल जाने से रोक रही थी। मजबूरन छात्राओं ने ही एंबुलेंस बुलाया जिसमें 15 से अधिक छात्राएं बैठी। वार्डन ने एंबुलेंस को भी रोक दिया। काफी जद्दोजहद के बाद सुबह छात्राएं सिम्स पहुंच पाई , जहां उनका इलाज किया गया।

छात्राओं ने जानकारी देते हुए बताया कि मेस के नाम पर उनसे प्रति महीना ₹3,350 लिया जाता है। जहां की छात्राएं शिकायत कर रही है वहां करीब 400 छात्राएं हैं। इस तरह से एक महीने में मेस का चार्ज 13 लाख 40,000 रुपया बैठता है। लेकिन यहां ते मेनू के अनुसार भोजन नहीं मिलता। साफ सफाई नाम की चीज नहीं है। विश्वविद्यालय प्रबंधन हालत सुधारने की बजाय मामले को छुपाने में अपनी पूरी ताकत जाया कर रहा है। विश्वविद्यालय के चिकित्सक तो छात्राओं के बीमार होने और फूड प्वाइजनिंग की बात से ही इनकार कर रहे हैं।
कभी यूनिवर्सिटी में मारपीट हो रही है, कभी छात्राएं गंदा खाना खाकर बीमार पड़ रही है , ऐसे में नेक की टीम भी जहां ग्रेडिंग के लिए आने वाली है, जिससे सेंट्रल यूनिवर्सिटी की परेशानी बढ़ती दिख रही है।

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