
यूनुस मेमन


प्रशासनिक इच्छा शक्ति रहे तो क्या कुछ संभव नहीं है, यह पिछले दिनों रतनपुर में दिखा भी। प्रदेश के हर क्षेत्र की तरह रतनपुर की सड़कों पर भी घुमंतू मवेशियों का कब्जा है । खासकर बारिश के मौसम में गीली जमीन से बचने गोवंश सड़कों पर ही डटे रहते हैं, जिस कारण से आए दिन दुर्घटनाएं हो रही है। जिसमें कभी राहगीर तो कभी गोवंश की जान जा रही है। पिछले दिनों जब महामहिम राष्ट्रपति का रतनपुर द्वारा हुआ तो प्रशासनिक मुस्तैदी नजर आई । उस दौरान रतनपुर की सड़कों से यकायक सारे मवेशी गायब हो गए, लेकिन जैसे ही राष्ट्रपति वापस गई , वापस वही नजारे दिखने लगे। लोगों का कहना है कि रतनपुर नगर पालिका के अध्यक्ष और सीएमओ की उदासीनता के चलते आम लोगों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है ।
रतनपुर में गौठान का निर्माण भी ठंडे बस्ते में चला गया है , जिस कारण मवेशी खुले में घूम रहे हैं। गोवंश को पालने वाले भी रोका छेका के इस दौर में भी अपने मवेशियों को खुला छोड़ रहे हैं, जो या तो लोगों के खेत में घुसकर फसल बर्बाद कर रहे हैं या फिर सड़क पर दुर्घटना का कारण बन रहे हैं। रतनपुर खंडोबा बाईपास से लेकर रतनपुर शहर जाने वाले मार्ग में खंडोबा, भैरव बाबा, शनिचरी बाजार, तुलजा भवानी मंदिर के पास, नया बस स्टैंड, महामाया चौक, रेस्ट हाउस ,गांधीनगर जैसे कई जगहो पर हर वक्त सड़क पर मवेशियों का डेरा लगा रहता है ।


इधर शासन द्वारा सड़कों को मवेशी मुक्त करने और गौठान में गायों को रखने के खोखले दावे किए जा रहे हैं, जबकि हकीकत में नजारे कुछ और ही है। ऐसा भी नहीं है कि सड़क से मवेशियों को नहीं हटाया जा सकता। यह संभव है ,यह बात पिछले दिनों राष्ट्रपति के नगर आगमन के दौरान साबित भी हुआ, लेकिन लोगों की यह खुशी क्षणिक साबित हुई। राष्ट्रपति के लौटते ही फिर से प्रशासनिक नाकामी नजर आने लगी है। बताया जा रहा है कि रतनपुर में 2021 में ही 19.11 लाख की लागत से गौठान निर्माण का टेंडर हुआ था, जिसे 2022 तक पूरा किया जाना था, लेकिन अब तक गौठान का निर्माण तक नहीं हो पाया है। बताया जा रहा है कि गौठान निर्माण की राशि प्राप्त न होने के कारण ही गौठान का निर्माण संभव नहीं हो पाया है। नगर में गौठान ना होने का खामियाजा लोग सड़कों पर भोग रहे हैं, जिसे लेकर ना तो नगर पालिका अध्यक्ष घनश्याम रात्रे गंभीर है और ना ही मुख्य नगर पालिका अधिकारी हरदयाल रात्रे।
