प्रवीर भट्टाचार्य
देश की सरहदो पर करीब 13 से 14 लाख सैनिक तैनात है। इनमें से करीब करीब 11 लाख सैनिक हर त्यौहार पर अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए सीमा पर या फिर चौकी पर ही तैनात रहते हैं, घर नहीं जा पाते। ऐसे में एक सैनिक द्वारा परिवार के साथ त्योहार ना मना पानी की पीड़ा एक भुक्तभोगी सैनिक ही समझ सकता है । हर त्यौहार की तरह रक्षाबंधन पर भी लाख प्रयास के बाद भी सेना के इन जवानों की कलाई सुनी ही रह जाती है। वैसे तो देश भर से सेना के जवानों को रक्षाबंधन पर राखियां भेजने का प्रचलन तो है, लेकिन सही माध्यम ज्ञात न होने से अक्सर यह राखियां उन सैनिकों तक पहुंच ही नहीं पाती। जिसे देखते हुए पूर्व सैनिकों के वेलफेयर के लिए गठित संगठन सिपाही ने एक अधूतपूर्व निर्णय लिया और भारत के दूरदराज चेक पोस्ट और सीमाओं पर तैनात सैनिकों को रक्षाबंधन पर राखी भेजने के अभियान ऑपरेशन सिपाही रक्षा सूत्र का आरंभ किया ।
भारत सरकार और संबंधित एजेंसियों से अनुमति मिलने के बाद इस साल 26 जुलाई कारगिल विजय दिवस से इस अभियान की शुरुआत हुई। अभियान के तहत सभी स्कूल, सामाजिक संगठनों, शासन -प्रशासन को इस संबंध में सूचित किया गया। भारतीय सेना के जवानों को राखी भेजने के लिए बाकायदा फॉर्मेट बनाया गया, जिसके तहत देश भर के लोगों से रक्षा सूत्र और उनके नगर की पवित्र मिट्टी एक लिफाफे में संग्रहित की गई । यह पूरा अभियान पूरी तरह निशुल्क रहा। देश और देश के बहादुर सैनिकों के प्रति आम लोगों ने भी हमेशा की तरह अपने जज़्बे का इजहार किया और लाखों की संख्या में फौजी जवानों को लोगों ने राखियां भेजी। अलग-अलग बॉक्स में भरकर बिलासपुर से ही करीब साढ़े 4 लाख राखियां सिपाही को प्राप्त हुई। जिसके बाद इन्हें सैनिकों तक पहुंचाने के सफर की शुरुआत हुई और रास्ते में करीब 2 लाख राखियां और संग्रहित हो गई।
S भारत न्यूज़ के साथ चर्चा करते हुए अभियान से जुड़े पूर्व सैनिक महेंद्र प्रताप सिंह राणा ने बताया कि एक पूर्व सैनिक होने के नाते उन्होंने इस दर्द को खुद अनुभव किया है । रक्षाबंधन पर सैनिकों की सुनी कलाई उन्हें भीतर से कमजोर करती है, इसलिए इस अभियान से हर भारतवासी को जोड़ते हुए रक्षा सूत्र और देश की पवित्र मिट्टी की एक चुटकी तिलक के रूप में फौजी भाइयों को भेजी गई। इस दौरान कुल 6 लाख 71 हजार राखियां संग्रहित हुई, जो अपने आप में कीर्तिमान है।
विशाल राखी ने बनाया एक और कीर्तिमान
एक और कीर्तिमान बिलासपुर में उस वक्त बनी जब 13 अगस्त को साईं मौली, पारिजात एक्सटेंशन कॉलोनी में साईं मौली के वरिष्ठ कलाकार कौस्तुभी पात्रिकर और दिलीप पात्रिकर द्वारा एक विशाल राखी अर्पित की गई । राखी का चक्र ही 6 फुट गुणित 6 फुट का है। इसके दोनों के तिरंगे रक्षा सूत्र 11-11 फिट के है। इस प्रकार राखी 27 फुट की है । राखी लगभग 2 फीट ऊंची है और इसका वजन 50 से 55 किलो है। इसे बनाने में लगभग 1 महीने का समय लगा है । इसे बनाने में दिनेश योगी , विशाल और चंद्रभान के साथ तेजस्विनी संस्थान की छात्राओं का भी सहयोग मिला। प्रधानमंत्री द्वारा अंडमान निकोबार द्वीप समूह में 21 परमवीर चक्र विजेताओं के नाम को समर्पित द्वीपो के नाम पर यह भव्य राखी निर्मित की गई है । इसमें वीर चक्र विजेताओं के फोटोग्राफ्स के साथ-साथ द्वीपों के नाम प्रदर्शित किए गए हैं। इस अद्भुत राखी में चार सैनिक प्रमुखों के साथ राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री एवं रक्षा मंत्री के फोटो भी दर्शाए गए हैं। रक्षा सूत्र के रूप में तिरंगा प्रदर्शित है, जिस पर जवानों के नाम एक कविता लिखी गई है। पूरा रक्षा सूत्र श्री यंत्र के अनुरूप तथा रक्षा यंत्र के रूप में प्रतिष्ठित है। पिछले दिनों 13 अगस्त को एक समारोह के साथ जिला सैनिक कार्यालय के कर्नल आशीष पांडे और सिपाही संस्था के महेंद्र प्रताप सिंह राणा एवं भूतपूर्व सैनिकों को यह राखी समर्पित की गई।
महेंद्र प्रताप सिंह राणा ने बताया कि देश की रक्षा के लिए तैनात सैनिक की असली ताकत देशवासी और उनका प्यार है । यही प्यार बिलासपुर और देश भर की बहनों ने रक्षा सूत्र बॉक्स एवं सैनिकों के नाम संदेश के रूप में जवानों को भर- भर कर समर्पित किया है। 15 अगस्त तक रक्षा सूत्रों का संग्रहण किया गया, जिसके बाद देश के जवानों तक रखी पहुंचने के सफर की शुरुआत बिलासपुर से 16 अगस्त को हुई। यही यात्रा रायपुर, दुर्ग , भिलाई, राजनंदगांव , नागपुर, बैतूल, इंदौर, उज्जैन उदयपुर होते हुए हल्दीघाटी पहुंची, जहां की विश्व प्रसिद्ध पवित्र माटी को रक्षा सूत्रों के साथ मिश्रित किया गया, जिसका तिलक वीर जवान लग सके। इसके बाद यह यात्रा जयपुर से दिल्ली पहुंची । रास्ते भर जगह-जगह आम नागरिकों और सेना से जुड़े संगठनों ने अभूतपूर्व स्वागत किया । जगह-जगह बहनों ने लिफाफे में राखियां अर्पित की । इंदौर में करणी सेना द्वारा 1 लाख 51 हज़ार राखियां भेंट की गई। साथ ही टीम सिपाही का हौसला बढ़ाने करणी सेना काफिले के रूप में इस सफर में कुछ दूर तक साथ भी चली ।
इस प्रकार हुआ स्वागत
अभियान 16 अगस्त को बिलासपुर के सैनिक स्मारक अमर जवान से प्रारंभ हुआ और बिलासपुर से चलकर यह अभियान रायपुर पहुंचा, जहां जगह जगह पर इनका स्वागत हुआ ।जैसे अमर जवान बंजारी मंदिर और रायपुर में भारत माता चौक में भारत माता की आरती के साथ वहां के सामाजिक संगठनों ने भव्य स्वागत किया और रक्षा सूत्र समर्पित किया। रायपुर के बाद इस अभियान का स्वागत दुर्ग, भिलाई और राजनांदगांव में इस अभियान का टाउन हॉल में भव्य स्वागत हुआ। जहां पर सभी स्कूलों के बच्चे सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ एवं सभी पैरा मिलिट्री फोर्सेज के जवान सीसी और सैनिक संगठन राजनंदगांव सामाजिक संगठन उपस्थित हुए। इसके पश्चात नागपुर में सिपाही रक्षासूत्र का भव्य स्वागत हुआ। नागपुर से आगे चलकर यह अभियान बैतूल पहुंचा, जहां पूर्व सैनिक संगठन बैतूल ने भव्य स्वागत किया।
बैतूल से यह अभियान आगे चलकर इंदौर पहुंचा जहां क्षत्रिय करणी सेना ने इस अभियान का भव्य स्वागत किया। इस अभियान के साथ रैली के रूप में बहुत दूर तक पूरे शहर में चलते रहे। करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष राज शेखावत जी ने सिपाही रक्षा सूत्र का स्वागत किया। आगे जाकर यह अभियान उज्जैन पहुंचा जहां श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के प्रमुख सुखदेव सिंह गोगामेडी जी ने इस अभियान का स्वागत किया और रक्षा सूत्र समर्पित किया ।यह अभियान आगे चलता हुआ उदयपुर चित्तौड़गढ़ और हल्दीघाटी पहुंचा जहां तीनों जगह इस अभियान का भव्य स्वागत हुआ । इस अभियान की मुख्य विशेषता यह है कि इस अभियान में हल्दीघाटी जिसको शौर्य की भूमि कहा जाता है उस हल्दीघाटी की मिट्टी, इन रक्षासूत्रों में सम्मिलित की गई। उसके पश्चात यह अभियान जयपुर पहुंचा जहां पूर्व सैनिक संगठन वाइस ऑफ एक्स सर्विसमैन तथा यूनाइटेड फ्रंट ऑफ एक्स सर्विसमैन के पूर्व सैनिकों ने इस अभियान का स्वागत किया और इसके साथ दिल्ली तक आए।
दिल्ली पहुंचकर 25 अगस्त को सी डब्ल्यू ब्रांच को यह राखियां समर्पित की गई ।सुरक्षा के लिए प्रत्येक राखी का स्कैन किया गया और फिर इन्हें देश के सभी सीमाओं पर तैनात जवानों को भेज दिया गया। रक्षाबंधन पर देशभर की बहनों द्वारा भेजी गई यही रक्षासूत्र जवानों की कलाइयों पर सज रहे है, तो वही देश भर से एकत्रित पवित्र मिट्टी का तिलक जवान लगाकर देश की रक्षा का संकल्प ले रहे हैं ।
भारतीय परंपराओं में रक्षा सूत्र बांध कर बहने, भाई से रक्षा का वचन लेती है ।इसलिए सेना के जवानों से अधिक योग्य कलाई और किसकी हो सकती है जो देश और देशवासियों की रक्षा के लिए हर संकट सहकार अपने प्राण न्यौछावर करने के लिए भी हर पल तैयार रहते है। संगठन सिपाही के इस प्रयास को सभी वर्गों से स्वागत, सम्मान और सरहाना मिली है। साथ ही यह अपने आप में एक कीर्तिमान भी है । इतनी बड़ी संख्या में रक्षासूत्र का संग्रह कर उन्हें देश के जवानों तक उचित माध्यम से पहुंचने का यह संभवतः प्रथम प्रयास है। इसी के साथ एक विशाल आकार के राखी ने भी निःसंदेह देश के जवानों का हौसला हिमालय तक पहुंचा दिया होगा।
बिलासपुर के पूर्व सैनिको के संगठन सिपाही के साथ इस अभियान में पूर्व सैनिक महासभा, वॉइस ऑफ एक्स सर्विसमैन यूनाइटेड फ्रंट ऑफ एक्स सर्विसमैन ,राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, क्षत्रिय करणी सेना परिवार, हेल्पिंग हैंड्स, मारवाड़ी समाज, वंदे मातरम मित्र मंडल और ढेर सारे सामाजिक संगठनों और आम लोगों की हिस्सेदारी रही। पूरी तरह निशुल्क इस अभियान के साथ देश का हर छोटा -बड़ा आदमी जुड़ सका और इस तरह उसने सैनिकों के प्रति अपनी भावनाओं का खुलकर इजहार किया।