

श्रावण मास में श्री पीताम्बरा पीठ सुभाष चौक सरकंडा स्थित त्रिदेव मंदिर में सावन महोत्सव एवं परम पावन पुरुषोत्तम मास पर श्री शारदेश्वर पारदेश्वर महादेव का महारूद्राभिषेकात्मक महायज्ञ 4 जुटाई से लेकर 31अगस्त तक प्रातः8:30 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक किया जा रहा है,तत्पश्चात श्री शारदेश्वर पारदेश्वर महादेव का महाआरती दोपहर 1:30 बजे किया जाता है। द्वितीय महारूद्र पाठ के साथ महारुद्राभिषेक नमक चमक विधि से किया जा रहा है।श्री पीताम्बरा हवनात्मक महायज्ञ रात्रि 8:30 बजे से प्रारंभ होकर रात्रि 1:30 बजे तक निरंतर चलता है। तत्पश्चात माँ ब्रह्मशक्ति बगलामुखी देवी की महाआरती रात्रि 1:30 बजे किया जाता है।

पीठाधीश्वर आचार्य दिनेश जी महाराज ने बताया कि भगवान शिव को महाकाल भी कहा जाता है।
काल का मतलब होता है समय। और महाकाल का मतलब हुआ है वह जो समय से परे है अथवा उसका नियंत्रणकर्ता है। मान्यताओं के अनुसार, शिव जी प्रलय, विघटन या मृत्यु के देव हैं और वह हमारे समय यानी काल को भी नियंत्रित करते हैं।
उज्जैन में एक शिव भक्त ब्राह्मण निवास करता था। यहां पर रहने वाले लोग दूषण नाम के राक्षस के प्रकोप से डरते थे। लोग उसे काल के नाम से जानते थे। ब्रह्माजी से दूषण को कई शक्तियां मिली थी, जिनका दुरुपयोग कर वह निर्दोष लोगों को परेशान करता था। राक्षस की शक्तियों के प्रकोप से ब्राह्मण काफी दुखी था, उसने भगवान शिव से राक्षस के नाश की प्रार्थना की, लेकिन भगवान ने काफी वक्त तक कुछ नहीं किया।प्रार्थनाओं का असर न होता देख एक दिन ब्रह्म भगवान शिव से नाराज हो गए और उनका पूजन बंद कर दिया। अपने ब्राह्मण भक्त को दुखी देख भगवान शिव हुंकार के रूप में प्रकट हुए और दूषण का वध कर दिया। क्योंकि लोग दूषण को काल कहते थे, इसलिए उसके वध के कारण भगवान शिव का नाम महाकाल पड़ा।जो भी भक्त सच्चे मन से बाबा महाकाल की आराधना करता है, उसे कभी मृत्यु का भय नहीं होता है।

