न्याय मांग रही भीड़ के खिलाफ दर्ज एफआईआर के विरोध में गुरुवार को निकली सर्व हिंदू समाज की आक्रोश रैली, कलेक्ट्रेट का किया घेराव

नवल वर्मा

तोरवा थाना क्षेत्र के तोरवा बस्ती पटेल पारा में रहने वाली 19 साल की नासमझ छात्रा 1 जुलाई को परीक्षा देने घर से निकली थी, जिसका ब्रेनवाश करते हुए उसकी एक सहेली पहले उसे अन्नपूर्णा कॉलोनी स्थित अपने घर ले जाती है, जहां से सहेली अपने भाई आफताब के साथ छात्रा को कहीं बाहर भेज देती है। छात्रा के परेशान परिजनों ने जब आफताब परिवार से संपर्क किया तो उन्हें रूखा सा जवाब देते हुए कहा गया कि उनकी बेटी सुरक्षित और खुश है। परिजन जब इसकी शिकायत करने तोरवा थाने पहुंचे तो केवल गुमशुदगी का मामला दर्ज किया गया।


पटेल मोहल्ले में रहने वाली रेल करने की बेटी को किसी मुस्लिम युवक द्वारा भगाकर ले जाने के मामले को लव जिहाद बताते हुए आरोपी युवक और उसकी बहन एवं मां के खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज कराने पीड़िता के पिता सहित नागरिकों ने तोरवा थाने में प्रदर्शन किया था, लेकिन पुलिस ने उनकी तो नहीं मानी उल्टे एक हफ्ते बाद भीड़ के ही खिलाफ सरकारी काम में बाधा डालने के आरोप में अलग-अलग धाराओं में मामला पंजीबद्ध कर लिया, जिसे लेकर बिलासपुर शहर उबल पड़ा है।


इसी मुद्दे पर एक प्रतिनिधिमंडल ने कलेक्टर से मुलाकात की थी। बताया गया था कि कलेक्टर ने उन्हें एफ आई आर खारिज करने का आश्वासन दिया था लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ, जिसके बाद तमाम हिंदू संगठनों ने गुरुवार को आक्रोश रैली निकाली। हाथों में भगवा ध्वज और तख्तियां लिए हजारों की संख्या में पुरुष एवं महिलाएं लाल बहादुर शास्त्री स्कूल मैदान में एकत्र हुए, जहां से रैली की शक्ल में भीड़ नेहरू चौक पहुंची । कई व्यापारिक संगठनों ने भी इस आक्रोश रैली को समर्थन दिया था। बिलासपुर के अलग-अलग हिंदू संगठनों से जुड़े लोग और आम नागरिक इस रैली का हिस्सा बने, जिन्होंने पुलिस कार्रवाई का विरोध करते हुए तत्काल मामला वापस लेने की मांग की। रैली जब नेहरू चौक पहुंची तो पुलिस ने उनका रास्ता रोक दिया। यहां आक्रोश रैली में शामिल लोग आईजी को मौके पर बुलाने की मांग करने लगे और अपनी मांग के समर्थन में चौक पर ही बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ किया। करीब घंटे भर के प्रयास के बाद भी जब बात नहीं बनी तो फिर आक्रोश रैली में शामिल लोग कलेक्ट्रेट पहुंच गये, यहां भी कलेक्टर भीड़ से मिलने बाहर नहीं आये।

बताया गया था कि आक्रोश रैली में शामिल एक प्रतिनिधिमंडल कलेक्टर से मिलकर अपनी बात रखेगा लेकिन कलेक्ट्रेट के गेट बंद कर दिए गए। इसके बाद एक बार फिर पुलिस और प्रशासन के खिलाफ भीड़ ने जमकर नारेबाजी की और सड़क पर ही बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ किया। आक्रोश रैली में शामिल नेताओं ने कहा कि पिछले कुछ सालों में ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि हिंदू अपनी बात भी लोकतांत्रिक तरीके से नहीं रख सकता । अगर कोई मुस्लिम युवक नादान लड़की को लेकर भाग जाए और पुलिस मामला दर्ज न करे तो फिर क्या थाने पहुंचकर मामला दर्ज करने के लिए भी कहना गुनाह हो गया ? पिछले कुछ समय में ऐसे मामलों में बार-बार एफ आई आर दर्ज कर आम लोगों में डर पैदा किया जा रहा है । इसे प्रशाशनिक गुंडागर्दी कहा गया, साथ ही कहा गया कि जब तक तोरवा थाने में दर्ज भीड़ के खिलाफ f.i.r. को खारिज नहीं किया जाता क्रमिक रूप से यह आंदोलन चलता रहेगा ।


गुरुवार की आक्रोश रैली में 5000 से अधिक की भीड़ पहुंची थी, जिसमें भारतीय जनता पार्टी, आर एस एस, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल जैसे अलग-अलग संगठनों से जुड़े पदाधारी पदाधिकारी एवं सदस्य मौजूद थे। आक्रोश रैली का समर्थन करने पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल, बेलतरा विधायक रजनीश सिंह भी पहुंचे थे। इस आक्रोश रैली में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हुई, साथ ही शामिल हुए पीड़ित किशोरी के पिता भी, जिनका कहना है कि उनकी बेटी का ब्रेनवाश किया गया था। इधर बिलासपुर में निकली आक्रोश शैली को लेकर जिस तरह से पुलिस और जिला प्रशासन की बेरुखी दिखी उससे आंदोलनकारियों का आक्रोश और बढ़ गया
धीरे-धीरे भीड़ घटती रही लेकिन आंदोलनकारियों का गुस्सा और उत्साह उसी क्रम में बढ़ता गया।

शाम को बिलासपुर कलेक्टर ने अपने केबिन में एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। बातचीत के दौरान कलेक्टर ने स्पष्ट किया कि वे f.i.r. खारिज नहीं कर सकते। उन्होंने एसपी से भी मामले में चर्चा की और कहा कि मामले की जांच कर न्यायालय के माध्यम से इस मामले को खारिज करने का प्रयास किया जाएगा।

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