रतनपुर ///——–+++ रतनपुर में अदूरदर्शिता पूर्ण निर्णय लेकर किसी गुप्त एजेंडे के तहत 18 परिवारों को इस बरसात के मौसम में बेघरबार कर दिया गया। उनके सर से उनकी छत अकारण छीन ली गई। शनिचरी बाजार के पास सड़क चौड़ीकरण के नाम पर तोड़ा जाना था 40 फीट, लेकिन अतिरिक्त 20 फीट तोड़ दिया गया। और ऐसा सिर्फ एक तरफ किया गया, जिससे यह पूरी कार्यवाही ही संदिग्ध हो गई। इस मामले में एक बार फिर पीड़ित पक्षकारों ने कलेक्टर से मिलकर तहसीलदार की शिकायत की है। बताया गया कि 50 वर्षों से काबिज लोगों के दुकान और मकान तोड़ दिए गए जबकि नोटिस 40 फीट कब्जा हटाने का था लेकिन यहां तो 100 फीट तक बुलडोजर चला दिया गया। ना ही उनके पुनर्वास की व्यवस्था की गई, ना उन्हें मुआवजा दिया गया। शुरू से ही आरोप लग रहे हैं कि यह सब कुछ पीछे मौजूद जमीन के मालिक को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य किया गया है। एक तरफ पीड़ित पक्ष लगातार शिकायत कर इंसाफ मांग रहा है तो वही इस मामले में साम-दाम-दंड-भेद की नीति अपनाकर रसूखदार खुद को बचाने में लगे हुए हैं।

हमने पहले दिन से ही इस खबर को प्राथमिकता के साथ प्रकाशित करते हुए मजलुमो की आवाज बुलंद की थी, जो लोकतंत्र के चौथे पाये मीडिया का कर्तव्य भी है लेकिन सभी इसी कर्तव्य से बंधे हो ऐसा भी नहीं है। रतनपुर में पत्रकारो की एक ऐसा अध्यक्ष भी है जो मैडम के हाथ की कठपुतली बन चुकी है । जो इस मामले में न केवल लीपापोती कर रहे है बल्कि इशारे पर पूरी कार्यवाही को सही ठहराने का प्रयास भी कर रहे हैं।
ना खाता ना बही, जो मैं कहूं वही सही, के तर्ज पर खबरें छापने वाले पत्रकार का अध्यक्ष किसी चाबी वाले खिलौने की तरह वही कर रहे हैं जो मैडम करवा रही है।
सच की आंच बड़ी तेज होती है, कमजोरों से यह सहन नहीं होती। जब हमने सच प्रकाशित किया कि यह बात भी कई लोगों को चुभने लगी। खासकर उन्हें, जिनका स्वार्थ इससे टकरा रहा था। हाथ की कठपुतली बने कथित रतनपुर प्रेस क्लब अध्यक्ष ने सच दिखाने और पत्रकार का साथ निभाने की बजाय अपनी कलम गिरवी रखते हुए इस मामले में ना केवल मौन धारण किया बल्कि सच लिखने वाले पत्रकार को ही कटघरे में खड़ा कर दिया। अपनी जमीर बेच चुके अध्यक्ष बाजार में दूसरों का मोल लगाने लगे। खुद सच लिखने की बजाय सच लिखने वाले पत्रकार को अपनी ही उस खबर का खंडन छापने को विवश किया जाने लगा जिस सच को रतनपुर का एक एक व्यक्ति अपनी आंखों से देख रहा था।
जब हमने अपनी नैतिकता बचाते हुए ऐसा करने से मना किया तो फिर अपनी ही ओछी राजनीति का परिचय देते हुए कथित रतनपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष संतोष सोनी ने एक तरफा फरमान जारी करते हुए खबर लिखने वाले पत्रकार और रतनपुर प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष रवि ठाकुर को ही कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया। रवि ठाकुर ने दबाव के आगे झुकने की बजाय सच का साथ देना बेहतर समझा और ऐसी संस्था का अध्यक्ष जो कहने को तो पत्रकारों के हित में काम करती है लेकिन असल में वह पत्रकारों के लिए ही दीमक और नासूर बन चुकी है, ऐसे अध्यक्ष के चलते संस्था से ही अपना नाता तोड़ते हुए अपना इस्तीफा दे दिया।
असल में वर्तमान अध्यक्ष संतोष सोनी को पता है कि रतनपुर प्रेस क्लब की नींव रखने वाले रवि ठाकुर का दबदबा हमेशा प्रेस क्लब में रहा है। आने वाले चुनाव में भी उन्हें रवि ठाकुर का मुकाबला करना पड़ेगा। प्रेस क्लब का एक बड़ा धड़ा हमेशा से रवि ठाकुर के साथ था, इसलिए इस प्रतिस्पर्धा को ही सिरे से खत्म करने के उद्देश्य से यह पूरी साजिश की गई है। एक कथित बैठक लेकर रतनपुर प्रेस क्लब के वरिष्ठ सदस्य और पूर्व अध्यक्ष रवि ठाकुर को कथित तौर पर निष्कासित कर दिया गया, जबकि उन्होंने पहले ही अपना इस्तीफा सौंप दिया था।
विडंबना है कि जिस प्रेस क्लब को अपने पत्रकार साथी के साथ जिस वक्त कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा होना चाहिए था, उस वक्त अध्यक्ष ने अपना जमीर बेचते हुए उन ताकतों के आगे झुकना बेहतर समझा, जिनके खिलाफ लिखना पढ़ना उनका नैतिक कर्तव्य है और रतनपुर इस वक्त उन से यही उम्मीद थी रख रहा था।
कलम की ताकत तो बहुत होती है लेकिन अगर यही कलम् गिरवी रख दी जाए तो उसकी ताकत भोथली हो जाती है। ऐसा कि रतनपुर में हुआ। एक खबर ने पूरे रतनपुर में भूचाल ला दिया। खासकर रतनपुर प्रेस क्लब अध्यक्ष की नींव हिल गई। वर्तमान अध्यक्ष ने कहने को तो पूर्व अध्यक्ष की सदस्यता ही समाप्त कर दी लेकिन शायद उन्हें इस बात का एहसास नहीं है कि इससे आने वाले दिनों में किस तरह की चुनौतियों का उन्हें सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि रतनपुर प्रेस क्लब के सदस्यों का एक बड़ा हिस्सा इस फैसले से नाराज है जो रवि ठाकुर के साथ है, इसलिए आने वाले दिनों में अगर रतनपुर प्रेस क्लब के दो फाड़ हो जाए तो फिर हैरान नहीं होना चाहिए। कुल मिलाकर जो लड़ाई अनैतिक बेजा कब्जा हटाने से शुरू हुई थी उसकी परिणति में फिलहाल रतनपुर प्रेस क्लब में आसन्न तोड़फोड़ नजर आने लगी है। पहले से ही रतनपुर प्रेस क्लब में गुटबाजी हावी रही है, यहां दो धड़े हैं। इस फैसले से नाराज धड़ा जल्द ही कोई बड़ा कदम उठाने की तैयारी में है।
उधर बेवजह बेघर बार किए गए लोग इस बरसात के मौसम में भारी तकलीफ के साथ अपना जीवन यापन कर रहे हैं। सड़क चौड़ीकरण के लिए 40 फीट बेजा कब्जा हटाने की जरूरत थी लेकिन निजी जमीन के मालिक को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से जो कार्यवाही की गई है उसका जवाब संबंधित अधिकारी को देना ही होगा। अगर कुछ लोगों को लगता है कि कुछ पत्रकारों को साथ लेकर इस पर पर्दा डाला जा सकता है तो फिर वे मुगालते में हैं।

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