श्री पीताम्बरा पीठ स्थित त्रिदेव मन्दिर मे 19 जून 2023 से गुप्त नवरात्र उत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा

श्री पीताम्बरा पीठ सुभाष चौक सरकण्डा बिलासपुर छत्तीसगढ़ स्थित त्रिदेव मंदिर में आषाढ़ गुप्त नवरात्र उत्सव 19 जून 2023 से 27 जून 2023 तक हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा।पीताम्बरा पीठाधीश्वर आचार्य दिनेश जी महाराज ने बताया कि इस अवसर पर श्री पीताम्बरा पीठ त्रिदेव मंदिर में स्थित श्री ब्रह्मशक्ति बगलामुखी देवी का विशेष पूजन,श्रृंगार जपात्मक यज्ञ, हवन किया जाएगा,साथ ही श्री शारदेश्वर पारदेश्वर महादेव का रुद्राभिषेक,पूजन एवं परमब्रह्म मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम जी का पूजन,श्रृंगार किया जाएगा। श्री महाकाली,महालक्ष्मी,महासरस्वती राजराजेश्वरी,त्रिपुरसुंदरी देवी का श्रीसूक्त षोडश मंत्र द्वारा दूधधारियाँ पूर्वक अभिषेक किया जाएगा।

गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है।गुप्त नवरात्रि के दौरान काली, तारा ,षोडशी, त्रिपुरभैरवी, भुवनेश्वरी,छिन्नमस्ता, धूमावती,बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा की जाती हैं।

गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं के पूजन को प्रमुखता दी जाती है. देवी भागवत के अनुसार महाकाली के उग्र और सौम्य दो रुपों में अनेक रुप धारण करने वाली दस महा-विद्याएँ हुई हैं।भगवान शिव की यह महाविद्याएँ सिद्धियाँ प्रदान करने वाली होती हैं।दस महाविद्या देवी दुर्गा के दस रूप कहे जाते हैं। प्रत्येक महाविद्या अद्वितीय रुप लिए हुए प्राणियों के समस्त संकटों का हरण करने वाली होती है।इन दस महाविद्याओं को तंत्र साधना में बहुत उपयोगी और महत्वपूर्ण माना जाता है।
काली- दस महाविद्याओं मे से एक मानी जाती हैं।तंत्र साधना में तांत्रिक देवी काली के रूप की उपासना किया जाता है।
तारा- दस महाविद्याओं में से माँ तारा की उपासना तंत्र साधकों के लिए सर्वसिद्धिकारक मानी जाती है।माँ तारा परारूपा हैं एवं महासुन्दरी कला-स्वरूपा हैं तथा देवी तारा सबकी मुक्ति का विधान रचती हैं।
षोडशी- माँ ललिता की पूजा से समृद्धि की प्राप्त होती है। दक्षिणमार्गी शाक्तों के मतानुसार देवी ललिता को चण्डी का स्थान प्राप्त है।
त्रिपुरभैरवी – माँ त्रिपुर भैरवी तमोगुण एवं रजोगुण से परिपूर्ण हैं।
भुवनेश्वरी – माता भुवनेश्वरी सृष्टि के ऐश्वर्य की स्वामिनी हैं।भुवनेश्वरी माता सर्वोच्च सत्ता की प्रतीक हैं।इनके मंत्र को समस्त देवी देवताओं की आराधना में विशेष शक्ति दायक माना जाता है।
छिन्नमस्तिका -माँ छिन्नमस्तिका को मां चिंतपूर्णी के नाम से भी जाना जाता है. माँ भक्तों के सभी कष्टों को मुक्त कर देने वाली है.
धूमावती – माँ धूमावती के दर्शन पूजन से अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है।माँ धूमावती जी का रूप अत्यंत भयंकर हैं इन्होंने ऐसा रूप शत्रुओं के संहार के लिए ही धारण किया है।
बगलामुखी – माँ बगलामुखी स्तंभन की अधिष्ठात्री हैं।इनकी उपासना से शत्रुओं का नाश होता है तथा भक्त का जीवन हर प्रकार की बाधा से मुक्त हो जाता है।
मातंगी – यह वाणी और संगीत की अधिष्ठात्री देवी कही जाती हैं।इनमें संपूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति का समावेश हैं।भगवती मातंगी अपने भक्तों को अभय का फल प्रदान करती हैं।
कमला – माँ कमला सुख संपदा की प्रतीक हैं।धन संपदा की आधिष्ठात्री देवी है।भौतिक सुख की इच्छा रखने वालों के लिए इनकी अराधना सर्वश्रेष्ठ मानी जाती हैं।

बगलामुखी देवी की उपासना विशेष रूप से वाद-विवाद,शास्त्रार्थ,मुकदमे में विजय प्राप्त करने के लिए, अकारण कोई आप पर अत्याचार कर रहा हो तो उसे रोकने,सबक सिखाने,बंधन मुक्त,संकट से उद्धार, उपद्रवो की शांति,ग्रहशांति एवं संतान प्राप्ति के लिए विशेष फलदाई है। भवदीय पं. मधुसूदन पाण्डेय 'व्यवस्थापक' "श्री पीताम्बरा पीठ" सुभाष चौक सरकण्डा बिलासपुर छत्तीसगढ़ मो. नं.- 7354678899

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!