चकरभाटा ब्लाइंड मर्डर की गुत्थी सुलझी, लव ट्रायंगल के चलते मौसेरे भाई को ही दोस्त के साथ मिलकर लगाया ठिकाने

मृतक

अपराधी कितना भी शातिर क्यों न हो, लेकिन उसके गुनाह अपने पीछे कोई ना कोई सुराग जरूर छोड़ जाते हैं। चकरभाटा अंधे कत्ल मामले में भी बीयर बोतल के बारकोड की वजह ने अपराधियों की कलई खोल दी। पुलिस ने 24 घंटे के भीतर अंधे कत्ल की गुत्थी सुलझा ली। लव ट्रायंगल की वजह से इस हत्या को अंजाम दिया गया था।

एक दिन पहले 14 अप्रैल को चकरभाटा स्थित होटल सेंट्रल प्वाइंट के पास एक अज्ञात व्यक्ति की लाश मिली थी। पहली नजर में ही यह दिख रहा था कि उसकी बड़ी बेरहमी से हत्या की गई है। मृतक के हाथ का एक पंजा भी गायब था। जांच के दौरान मृतक की पहचान दीपक यादव के रूप में हुई। दीपक चौबे कॉलोनी अटल आवास सरकंडा में रहता था और पेशे से ड्राइवर था, जो किसी स्कूल की गाड़ी चलाता था। पुलिस को घटनास्थल के पास बियर की टूटी हुई बोतल मिली , बोतल के पंजीयन नंबर की जांच करने पर पुलिस को पता चला कि बियर व्यापार विहार स्थित शराब दुकान से खरीदी गई थी । शराब दुकान में लगे सीसीटीवी कैमरे से संदिग्ध आरोपियों की जानकारी मिल गयी। साथ ही इसकी भी जानकारी ली गई कि मृतक दीपक यादव का किन लोगों से विवाद था। जांच के दौरान पुलिस को एक महत्वपूर्ण जानकारी मिली।

पता चला कि सरकंडा अटल आवास में रहने वाली ललिता यादव का मृतक के साथ मधुर संबंध। वैसे तो ललिता यादव सरगांव की रहने वाली थी, जिसने अपने पति को छोड़ दिया था। उसका दुर्गेश यादव के साथ प्रेम संबंध था। इधर पिछले कुछ समय से ललिता यादव का झुकाव दुर्गेश यादव के ही मौसेरे भाई दीपक यादव की ओर होने लगा था , जिसे लेकर ललिता और दुर्गेश की कई बार बहस भी हुई थी। इतना ही नहीं लव ट्रायंगल के चलते कई बार दीपक और दुर्गेश के बीच भी झगड़ा हुआ। विवाद का नतीजा यह निकला कि दुर्गेश और ललिता , दीपक यादव की हत्या करने की योजना बनाने लगे। यह लोग फुलप्रूफ मर्डर प्लान बनाने में जुट गए , जिसके लिए कभी यूट्यूब देखते तो कभी क्राइम पेट्रोल ऐसे सीरियल से हत्या कर बचने का उपाय ढूंढते। फिर इन लोगों ने योजना को अंजाम तक पहुंचाने का फैसला कर लिया।


योजनाबद्ध तरीके से 14 अप्रैल को दीपक यादव के साथ दुर्गेश नूतन चौक में मिला। दीपक की गाड़ी वहीं नूतन चौक में खड़ी कर दी गई, जिसके बाद दोनों मारुति ब्रेजा में सवार होकर व्यापार विहार पहुंचे। वहां दुर्गेश का क्रेन ऑपरेटर दोस्त मनोज यादव मिला। वह भी उनके साथ हो लिया। तीनों ने सुनसान इलाके में बैठकर शराब पीने की योजना बनाई। इसके बाद व्यापार विहार शराब दुकान से शराब और बीयर खरीद कर यह सभी ब्रेजा गाड़ी में चकरभाठा की तरफ गए और फिर सुनसान इलाके में गाड़ी खड़ी कर तीनों ने बैठकर शराब पी। शराब पीने के बाद जैसे ही दीपक बेसुध होने लगा तो दुर्गेश और मनोज ने आसपास पड़े टाइल्स, पेचकस और बीयर बोतल को फोड़कर उससे लगातार प्रहार करते हुए दीपक यादव की जान ले ली। दुर्गेश की प्रेमिका को दीपक यादव ने स्पर्श किया था, यह बात दुर्गेश को इस कदर नागवार थी कि उसने एक के बाद एक कई हमले कर दीपक यादव का पंजा उसके शरीर से अलग कर दिया। लगता है कटा हुआ पंजा कोई जानवर उठा ले गया, क्योंकि पुलिस को वह नहीं मिल पाया। दीपक यादव की हत्या कर शव को वहीं छोड़कर दोनों कार से वापस लौट आए। लौटकर दुर्गेश यादव ने यह जानकारी अपनी प्रेमिका ललिता यादव को भी दी। उन्हें लग रहा था कि पुलिस उन तक कभी नहीं पहुंच पाएगी, लेकिन एक बीयर बोतल में छपे बारकोड के सहारे पुलिस उन तक पहुंच गयी। पकड़े जाने पर भी यह लोग असली मुद्दे से पुलिस को भटकाते रहे। इन्होंने बताया कि आपस में पैसे का लेनदेन था, इस कारण हत्या कर दी लेकिन उनका झूठ बहुत अधिक समय तक टिक नहीं पाया और आखिरकार आरोपी सच उगलने को मजबूर हो गए। इस लव ट्राइंगल में अपने दोस्त का साथ देते हुए मनोज यादव भी हत्या का आरोपी बन गया। घटना को सुलझाने में एसीसीयू की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही।

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