डीलिस्टिंग की मांग के साथ प्रदेश का जनजाति समाज 16 को राजधानी में करेगा महारैली, एक लाख से अधिक लोगों के जुटने की संभावना, तैयारी बैठक में दो टूक कहा- जो भोलेनाथ का नहीं, वह हमारे जात का नहीं

आकाश दत्त मिश्रा

जनजाति सुरक्षा मंच द्वारा आगामी 16 अप्रैल को राजधानी रायपुर में डीलिस्टिंग महारैली के माध्यम से धर्मांतरित व्यक्तियों को अनुसूचित जनजाति की सूची से बाहर करने की मांग की जाएगी। पूरे प्रदेश से इस महारैली में एक लाख लोगों के जुटने की संभावना है। बताया जा रहा है कि बिलासपुर से भी करीब 30,000 आंदोलनकारी इस महारैली का हिस्सा बनेंगे, इसे लेकर शनिवार को बिलासपुर में भी मीटिंग हुई और अधिक से अधिक संख्या में डीलिस्टिंग महारैली में अनुसूचित जनजाति वर्ग से शामिल होने, रायपुर चलने का आह्वान किया गया।

मांग लंबे समय से उठ रही है । अब जनजाति सुरक्षा मंच के द्वारा डीलिस्टिंग की मांग को लेकर आगामी 16 अप्रैल को एक बड़े आंदोलन एवं महारैली का आह्वान किया गया है, जिसमें एक लाख के करीब जनजाति नागरिक शामिल होंगे, जिनकी एक ही मांग होगी- डीलिस्टिंग। रायपुर के वीआईपी रोड स्थित राम मंदिर के सामने इस रैली का आयोजन किया जाएगा । समाज की मांग है कि जिन नागरिकों ने अपनी मूल संस्कृति और अपने मूल धर्म को छोड़कर अन्य धर्म अपनाया है, उन्हें अनुसूचित जाति की श्रेणी से तत्काल बाहर किया जाए और इसके लिए आवश्यक संवैधानिक संशोधन किया जाए।

छत्तीसगढ़ में भी बड़ी संख्या में धर्मांतरण करने वाले लोगों द्वारा मूल जनजातियों के हिस्से की सुविधाओं को अवैध रूप से छीना जा रहा है। जिसमें आरक्षण भी एक प्रमुख तत्व है। करोड़ों जनजातियों के साथ हो रहे अन्याय को रोकने के लिए ही डीलिस्टिंग महारैली का आयोजन किया जा रहा है।


संविधान के अनुच्छेद 342 में 341 की भांति संशोधन की मांग की जा रही है, अर्थात अनुसूचित जनजातियों के मानक में अनुसूचित जातियों की भांति धर्म परिवर्तन करने वालों को बाहर किए जाने की मांग है। बताया जा रहा है कि धर्म परिवर्तन कर इस समुदाय के लोग ईसाई और मुस्लिम हो चुके हैं, इसलिए उन्हें अब अल्पसंख्यकों के कानूनी स्टेटस का लाभ मिल ही रहा है, इसलिए उन्हें अनुसूचित जाति के अतिरिक्त लाभ की आवश्यकता नहीं है। दावा किया जा रहा है कि करीब 40% ऐसे लोगों को अनुसूचित जाति का लाभ मिल रहा है जो अपना धर्म त्याग चुके हैं। इसके लिए संयुक्त संसदीय समिति की 10 जुलाई 1967 की उस सिफारिश को आधार बनाया जा रहा है, जिसमें कहा गया था कि 2अ कंडिका 2 में निहित किसी बात के होते हुए कोई भी व्यक्ति जिसने जनजाति, आदि मत तथा विश्वासों का परित्याग कर दिया हो और ईसाई या इस्लाम धर्म ग्रहण कर लिया हो वह अनुसूचित जनजाति का सदस्य नहीं समझा जाएगा।


16 अप्रैल 2023 रविवार शाम 4:00 बजे श्री राम मंदिर के सामने वीआईपी रोड रायपुर में होने वाले आंदोलन में पुरजोर तरीके से मांग उठाई जाएगी कि जिन्होंने पुरखों की संस्कृति छोड़ दी है, अब वे आरक्षण भी छोड़ दे। अनुसूचित जाति की भांति अनुसूचित जनजाति में भी धर्मांतरित हो चुके सदस्यों की डिलिस्टिंग हो क्योंकि कानून वे अल्पसंख्यक है, वही रहे। 1970 से उक्त हेतु डीलिस्टिंग बिल संसद में लंबित है। उसे पारित करने की मांग भी की जाएगी। बताया जा रहा है कि 5% धर्मांतरित लोग मूल जनजाति की 70% नौकरियां, छात्रवृत्ति और विकास फंड हड़प रहे हैं, अर्थात 95% को मात्र 30% लाभ मिल रहा है, जिसे अन्याय पूर्ण बताया जा रहा है। इसलिए अब पंचायत से लेकर संसद तक के लिए अनुसूचित जनजाति अपने हक की लड़ाई लड़ रहा है। महारैली को कामयाब बनाने के लिए हुई बैठक में सभी से परंपरागत वेशभूषा और वाद्य यंत्रों के साथ रैली में शामिल होने कहा गया है। छत्तीसगढ़ में आदिवासी वोट बैंक हमेशा से ही प्रभावी रहा है, जाहिर है इस चुनावी वर्ष में इस महारैली के बाद सरकार को भी जनजातियों की मांग के आगे झुकना पड़े।


दूसरी तरफ यह कोशिश भी चल रही है कि जनजातियों को गैर हिंदू बताया जाए , तो वही महारैली के माध्यम से जनजाति सुरक्षा मंच छत्तीसगढ़ ने साफ संदेश दिया है कि- जो भोलेनाथ का नहीं, वह हमारे जात का नहीं।

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