आकाश दत्त मिश्रा
यह बिलासपुर और बिलासपुर प्रेस क्लब के लिए सौभाग्य का विषय था कि महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पौत्र सोमनाथ बोस बिलासपुर में थे और शनिवार को वे बिलासपुर प्रेस क्लब के पहुना कार्यक्रम में अतिथि बनकर पहुंचे। बिलासपुर प्रेस क्लब से मिले सम्मान से अभिभूत नेता जी के पौत्र ने सुभाष बाबू से संबंधित कई रोचक और महत्वपूर्ण जानकारी पत्रकारों से साझा की। बिलासपुर में पहुंचे नमो सेना इंडिया भारत के प्रमुख यहां सैल्यूट तिरंगा और वंदे भारत संगठन के कार्यक्रम में भी शामिल हुए।
शनिवार को वे बिलासपुर प्रेस क्लब पहुंचे जहां उन्होंने अपने व्यक्तिगत जीवन के अलावा नेताजी सुभाष चंद्र बॉस के संबंध में ढेर सारी बातें की। उन्होंने बताया कि आजादी की लड़ाई में यूं तो हजारों नेता थे लेकिन सुभाष बाबू का कद और उनकी जनप्रियता सबसे ऊपर थी। वे प्रतिभाशाली, निर्भीक और सर्वाधिक लोकप्रिय भी थे। भारत की स्वतंत्रता के लिए उन्होंने अपना जीवन न्योछावर कर दिया। उनके सामने उज्जवल कैरियर था, लेकिन उन्होंने आजादी की लड़ाई को अपना सर्वस्व माना। उन्होंने आजाद हिंद फौज बनाकर आंशिक स्वतंत्र भी हासिल की और देश के पहले प्रधानमंत्री भी बने। उस दौर में उनके कद का कोई नेता भारत में नहीं था। देश में ही नहीं विदेशों में भी उनकी लोकप्रियता इस कदर थी कि वे कई देशों के समर्थन से अपनी सेना बनाने में कामयाब हुए।
सोमनाथ बोस ने उस विवाद को भी विराम दिया जिसमें कई बार सुभाष चंद्र बोस को कम्युनिस्ट कहा जाता है। उनके पौत्र ने स्पष्ट किया कि सुभाष चंद्र बोस कम्युनिस्ट नहीं बल्कि सोशलिस्ट विचारधारा के समर्थक थे। आजाद भारत के सबसे बड़े मिस्ट्री सुभाष चंद्र बोस की विमान दुर्घटना में मौत को सोमनाथ बोस ने सिरे से नकारते हुए कहा कि उस विमान दुर्घटना और उनकी मौत तो दूर की बात उस दिन उस हवाई अड्डे से कोई विमान उड़ा भी नहीं था ।उन्होंने कहा कि उनकी मृत्यु पर एक जांच कमेटी भी बनाई गई थी जिसके सदस्य उनके पिता सुरेंद्र बोस भी थे लेकिन यह रिपोर्ट भी हर बार की तरह दबा दी गई। सोमनाथ बोस ने तल्ख लहजे से कहा कि आजादी के बाद सुभाष बाबू को हाशिए पर डालने का काम किया गया। ना उन्हें यथोचित सम्मान मिला और ना ही उनकी मृत्यु पर पड़ा पर्दा उठाने का ही कोई सार्थक प्रयास हुआ। हालांकि उनका मानना है कि 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद हालात अवश्य बदले हैं । जिसके बाद सुभाष चंद्र बोस को देश में अधिक मान सम्मान मिला है। इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति भी आभार जताया। साथ ही कहा कि इस सरकार द्वारा बनाई गई जांच कमेटी से कई बातें स्पष्ट हुई है।
गुमनामी बाबा के सवाल पर उन्होंने साफ कहा कि सुभाष चंद्र बोस निर्भीक और देश के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता थे इसलिए उन्हें इस तरह छिपकर रहने की कोई आवश्यकता नहीं थी। हालांकि एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है जो आज भी मानता है कि सुभाष चंद्र बोस ही गुमनामी बाबा थे। लेकिन यह रहस्य भी हमेशा रहस्य ही बना रहा। बिलासपुर प्रेस क्लब के पहुना कार्यक्रम के दौरान नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पौत्र सोमनाथ बोस ने विस्तार से नेताजी के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सुभाष बाबू का जन्म 23 जनवरी 1997 को उड़ीसा के कटक में हुआ था। अपनी शिक्षा उन्होंने कोलकाता में पूरी की और उसके बाद पूरा जीवन स्वतंत्रता संग्राम के नाम समर्पित कर दिया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने लेकिन गांधीजी के विरोध के बाद त्यागपत्र देकर उन्होंने फॉरवर्ड ब्लॉक का गठन किया और बाद में आजाद हिंद फौज बनाकर भारत की आजादी की लड़ाई लड़ने लगे। इसी दौरान एक रहस्यमयी विमान दुर्घटना के बाद वे अचानक हमेशा के लिए गायब हो गए।