
लोक कला, लोक साहित्य और लोक संस्कृति को समर्पित बिलासा कला मंच का प्रतिष्ठित बिलासा महोत्सव इस वर्ष अपने नियत स्थान लाल बहादुर शास्त्री स्कूल मैदान की बजाय पंडित देवकीनंदन दीक्षित कन्या शाला मैदान में होने जा रहा है। आयोजन का यह 33 वा वर्ष है। हालांकि यह पहली बार नहीं हो रहा है कि बिलासा महोत्सव का आयोजन कहीं और हो रहा हो। इसकी शुरुआत ही जूना बिलासपुर से हुई थी। बाद में यह कुछ सालों तक राघवेंद्र राव सभा भवन में होता रहा। साल 2000 से लगातार इसका आयोजन लाल बहादुर शास्त्री स्कूल मैदान में हो रहा था। बीच में कोरोना के चलते इसमें कुछ बाधा आयी लेकिन इस वर्ष लाल बहादुर शास्त्री स्कूल मैदान में राम कथा और उसके बाद परीक्षाएं होने की वजह से आयोजकों को स्थान परिवर्तन करना पड़ा है।

देश भर की लोक संस्कृति के दर्शन बिलासा महोत्सव में हुए हैं । आर्थिक संकट से जूझते हुए भी आयोजको का प्रयास रहा है कि वे बिलासपुर के दर्शकों को देश भर की लोक संस्कृति और साहित्य से परिचित करा सकें। इस प्रयास के तहत इस बार रायपुर, बिलासपुर और कोरिया के लोक कलाकारों की प्रस्तुति बिलासा महोत्सव के दौरान होगी। इस वर्ष 33 वें विलासा महोत्सव का आयोजन 18 और 19 फरवरी को शाम 8 बजे से पंडित देवकीनंदन दीक्षित कन्या शाला मैदान तिलक नगर में होने जा रहा है। इस दौरान जहां लोक संस्कृति की छटा बिखरेगी तो वही हमेशा की तरह साहित्यकार और कलाकारों का सम्मान भी होगा। इसकी तैयारियां आरंभ हो चुकी है। बिलासा दाई के नाम से समर्पित यह महोत्सव बिलासपुर और छत्तीसगढ़ की पहचान रही है। जिसके साथ शहर और प्रदेश के कई स्वनाम धन्य साहित्यकार, लोक कलाकार जुड़े रहे हैं। इसीलिए हमेशा की तरह आज भी बिलासा महोत्सव में विशुद्ध लोक संस्कृति से जुड़ी प्रस्तुति की पूरी गारंटी होती है। यही वजह है कि जमीन से जुड़े लोक संस्कृति और साहित्य प्रेमियों को वर्ष भर इस आयोजन की प्रतीक्षा होती है।
