

हर काम के लिए एक उम्र तय है। यही कारण है कि योग्य से योग्य व्यक्ति को भी कार्य से रिटायर होना पड़ता है। अब अगर 83 साल का बुजुर्ग ठगों के नए अंदाज और तकनीक से अपरिचित होने के बावजूद ऑनलाइन खरीदी बिक्री करेगा तो फिर वह ठगों का आसान शिकार तो बनेगा ही।
बिलासपुर में भी ऐसा ही हुआ है। जहां घरेलू फर्नीचर बेचने की कीमत लेने की बजाए बुजुर्ग उसके एवज में रकम पर रकम देते चले गए। कोल इंडिया कंपनी के रिटायर्ड चीफ जनरल मैनेजर 83 वर्षीय श्रीधर त्रिपाठी ठगों का शिकार बन गए ।
राजकिशोर नगर में रहने वाले श्रीधर त्रिपाठी सेवानिवृत्त कर्मचारी है। उन्होंने अपना एक पुराना सोफा बेचने के लिए ओ एल एक्स पर विज्ञापन डाला था । उनके इस ऐड को देखकर 31 जनवरी को किसी कथित सिद्धार्थ रेड्डी ने खुद को फर्नीचर व्यापारी बताते हुए उनसे संपर्क किया। दोनों के बीच 18 हज़ार रुपये में सौदा तय हुआ।
अगर कोई जानकार होता तो यह ₹18,000 या तो नगद लेता या फिर ऑनलाइन पेमेंट देने को कहता। लेकिन तकनीक से अनजान बुजुर्ग सोफा के लिए पैसा लेने की बजाय देने लगे। ठग ने उन्हें झांसे में लेते हुए बताया कि वह मर्चेंट सिस्टम से भुगतान करेगा इसलिए उसने श्रीधर त्रिपाठी से पहले ₹18,000 जमा करने को कहा और दावा किया कि वह उन्हें एक साथ ₹36,000 देगा।
पूछना यह था कि ऐसा जिंदगी में श्रीधर त्रिपाठी ने इससे पहले कब किया था ? यह उन्हें भी सोचना चाहिए था। बाजार से अगर कोई 10 हज़ार की कोई वस्तु खरीदता हैं तो क्या उन्हें पहले ₹20,000 देता हैं और वह फिर वापस ₹10,000 और सामान देता है। अगर बाजार में ऐसा उटपटांग नियम नहीं है तो फिर ओ एल एक्स भी कोई मंगल ग्रह का बाजार तो है नहीं । वहां भी बाजार का यही सिद्धांत चलता है लेकिन इन सब बातों से बेखबर श्रीधर त्रिपाठी ने गूगल पे के जरिए ठग को ₹18000 दे दिए। ठग समझ गया कि बुजुर्ग को किसी बात की जानकारी नहीं है, इसलिए उसने ट्रांजैक्शन फेल होने की बात कहकर दोबारा ₹18000 भेजने को कहा। त्रिपाठी जी ने उन्हें ₹18000 और भेज दिए।
इसके बाद ठग ने यह रकम लौटाने की शर्त रखी कि पहले उसके अकाउंट में ₹50,000 जमा करें तो वो सारे रुपये एक साथ लौटा देगा ।
अब तक गंवा चुके रकम वापस पाने की लालच में बुजुर्ग ठग की हर एक बात मानते चले गए और कथित सिद्धार्थ रेड्डी कुल डेढ़ लाख रुपये को दे दिए। जिसके बाद जाकर उन्हें ठगे जाने का अहसास हुआ।
हालांकि पुलिस के लिए भी ऐसे ठगों को इतने दिनों बाद ढूंढ निकालना आसान नहीं है। इससे पहले भी पुलिस ने साइबर क्राइम को लेकर लोगों को सचेत किया था लेकिन आज भी लोग आसानी से ठगों का शिकार बन जाते हैं। सवाल तो यह भी है कि आखिर एक 83 वर्षीय बुजुर्ग को क्या जरूरत थी ओएलएक्स पर इस तरह से अनजान लोगों से सौदा करने की। अगर करना भी था तो वे साफ-साफ कह सकते थे कि अगला नगद या ऑनलाइन पेमेंट कर सोफा ले जाये। सोफा बेचने के लिए भी जब पैसे देने पड़े तभी समझ लेना चाहिए कि मामला गड़बड़ है । यहां दाल में कुछ काला नहीं पूरी दाल ही काली है।
