कहा जाता है कि प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती जीवन में आगे बढ़ने के लिए अगर प्रतिभा में थोड़ी कमी हो तो उसकी भरपाई सतत् परिश्रम से किया जा सकता है। कुछ ऐसे ही विचारों के साथ बाबा जी ने छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुऐ अपने संस्मरण में बताया कि वे बचपन में कितने भुलक्कड़ रहें हैं, अनवरत परिश्रम की बदौलत ही स्मरण शक्ति में वृद्धि कर आज इस मुकाम तक पहुँच पाऐं हैं ।
उक्त विचार नवीन शासकीय महाविद्यालय मैनपुर जिला गरियाबन्द के प्राचार्य डॉ बी. के. प्रसाद ने छात्र-छात्राओं से अपने जन्म दिवस के अवसर पर संबोधन में व्यक्त किए । महाविद्यालय के साथ-साथ मैनपुर अंचल में बाबा जी के नाम से विख्यात डॉ. बी. के. प्रसाद विद्यार्थियों के साथ-साथ आम नागरिकों के भी चहेते हैं। छात्र-छात्राओं ने महाविद्यालय में बाबा जी के 63 वें जन्म दिवस समारोह का धूमधाम से आयोजन किया। आयोजन में डॉ बी. के. प्रसाद ने अपनी माता स्व. भुवनेश्वरी देवी को याद करते हुए बताया कि माता जी सुबह 5 बजे लालटेन जला कर पढ़ने बैठा देती थी, इस तरह कठिन परिश्रम करते हुए स्कूल में द्वितीय स्थान के साथ 10वीं परीक्षा पास किया व अनवरत् परिश्रम को जारी रख बी.ए. की परीक्षा में प्रथम श्रेणी में द्वितीय स्थान विश्वविद्यालय में हासिल किया। बाद में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली में प्रवेश प्राप्त किया।
बाबा जी ने बताया कि राज्य प्रशासनिक सेवा त्यागकर सहायक प्राध्यापक व प्राचार्य के रूप में तीसरी शासकीय सेवा में हैं। यह सब छात्र जीवन के अथक परिश्रम की देन है ।
गौरतलब है कि जन्म दिवस समारोह में गत वर्ष की भांति अपराह्न में छात्र-छात्राओं व स्टॉफ हेतु सुरूचि भोज की व्यवस्था किया गया था जो कि बाबा जी के इच्छानुसार भोजन बनाने में व्यावसायिक सेवा कैटरर का उपयोग न कर छात्र-छात्राओं द्वारा स्वयं से भोजन पकाने की परंपरा विकसित की गई है। इस प्रसंग में उन्होने महात्मा गांधी से प्राप्त प्रेरणा का जिक कर बताया कि गांधी जी ने 1915 में शांतिनिकेतन प्रवास के दौरान वहाँ के छात्रों को कहा था कि प्रत्येक व्यक्ति को भोजन करने से पहले भोजन बनने के कार्य में किसी न किसी तरह सहयोग अवश्य ही करना चहिए। डॉ. बी. के. प्रसाद स्वयं भी अपने घर में रसोइया के साथ भोजन बनाने में सहयोग करते हैं।
इस दौर में ऐसा कम ही दिखता है, जब छात्र छात्राओं में अपने शिक्षक के प्रति इतना स्नेह और सम्मान हो कि वे उनके जन्मदिन को किसी उत्सव या समारोह की तरह मनाये। डॉक्टर ब्रजकिशोर प्रसाद का जीवन इतना सरल, परोपकार से परिपूर्ण और मिलनसार है कि वे जहां भी रहे हैं, उन्होंने इसी तरह की परंपरा स्वयं विकसित कर ली । छात्र छात्राओं के बीच बेहद लोकप्रिय डॉ बीके प्रसाद के जन्म समारोह को किसी उत्सव की तरह मनाते छात्र-छात्राओं का उत्साह देखते ही बन रहा था। आपको बताते चलें कि डॉक्टर ब्रजकिशोर प्रसाद बिलासपुर के वाशिंदे है, जो वर्तमान में नवीन शासकीय महाविद्यालय मैनपुर, गरियाबंद के प्राचार्य है।