शासकीय स्कूल बेलतरा के तीन कर्मचारियों ने वित्तीय घोटाला करते हुए सरकार को लगाया करीब 78 लाख का चूना, मामले में तीन के खिलाफ रतनपुर में एफ आई आर दर्ज, आरोपियों में से एक की हो चुकी है मौत

यूनुस मेमन

शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला बेलतरा रतनपुर में 77 लाख से अधिक के गबन का मामला सामने आया है। 3 कर्मचारियों ने मिलीभगत कर शासन को लाखों रुपए का चूना लगाया है । मामले का दिलचस्प पहलू यह है कि इनमें से एक आरोपी का निधन हो चुका है, जिसके बाद उसके खिलाफ रतनपुर थाने में एफ आई आर दर्ज की गई है। मामले की शिकायत जिला शिक्षा अधिकारी दिनेश कुमार कौशिक ने रतनपुर थाने में की है ।
अप्रैल 2022 में इस स्कूल के प्राचार्य एन पी राठौड़ द्वारा विभागीय जांच के दौरान आर्थिक अनियमितता पाए जाने पर सहायक ग्रेड 2 कैलाश सूर्यवंशी को निलंबित कर दिया था।


इसके बाद बिल रजिस्टर एवं ऑनलाइन ई बिल की बारीकी से जांच करने पर पाया गया कि इसी अवधि में शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला बेलतरा के व्याख्याता पी एल कुर्रे को एरियर्स के रूप में 77,71,932 रुपए का भुगतान उनके बचत खाता एवं सामान्य निधि खाते में हुआ है। पीएल कुर्रे को एरियर्स के रूप में दिनांक 2 नवंबर 2018 से 21 अक्टूबर 2019 के बीच कुल 77 लाख 71 हज़ार 932 रुपए उनके एसबीआई के खाता क्रमांक 0000011480080599 और सामान्य भविष्य निधि खाता क्रमांक 651329 में किया गया।


जांच के दौरान पाया गया कि तत्कालीन प्राचार्य प्यारे लाल मरावी के कार्यकाल में 11 माह 20 दिन की अवधि में इतनी बड़ी राशि का बिल 22 बार कोषालय बिलासपुर में पेश किया गया। कूट रचना करते हुए आर्थिक अनियमितता कर 77,71,932 रु का आहरण पीएल कुर्रे के खातों में किया गया। पीएल कुर्रे ने वह राशि आहरण कर उसका उपयोग भी कर लिया।
इस षडयंत्र में तत्कालीन प्रभारी प्राचार्य प्यारेलाल मरावी, सहायक ग्रेड 2 कैलाश सूर्यवंशी और तत्कालीन व्याख्याता पी एल कुर्रे की भूमिका पाई गई है। पता चला कि उक्त राशि का आहरण अन्य भत्ता बेसिक पे बताकर बिल के माध्यम से जिला कोषालय बिलासपुर द्वारा किया गया है, जिसका कोई भी वित्तीय अभिलेख संस्था में उपलब्ध नहीं है।
दिलचस्प बात यह है कि इस मामले में दोषी पाए गए तत्कालीन प्राचार्य प्यारे लाल मरावी का कोरोना काल मे 22 मई 2021 को निधन भी हो चुका है,

इधर शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला बेलतरा के नियमित प्राचार्य एन पी राठौर के अवकाश में रहने के कारण 6 महीने के लिए पी एल कुर्रे को संस्था का वित्तीय आहरण संवितरण अधिकार प्रदान किया गया था। हैरानी की बात यह है कि नियमित प्राचार्य के कार्य पर उपस्थित होने के बाद भी पी एल कुर्रे ने उन्हें प्रभार नहीं सौंपा। इतना ही नहीं इस दौरान भी वे अवैधानिक और अनधिकृत रूप से आहरण अधिकार का उपयोग करते रहे। मामले का दिलचस्प पहलू यह है कि इस वित्तीय अनियमितता में जिस प्रभारी प्राचार्य की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, उस प्यारे लाल मरावी का निधन हो चुका है।

इसी मामले में उनकी मदद करने वाले सहायक ग्रेड 2 कैलाश सूर्यवंशी के खिलाफ थी रतनपुर थाने में शिकायत की गई है, जो पहले से ही वित्तीय अनियमितता के चलते निलंबित है। जाहिर सी बात है कि कूट रचना करते हुए तत्कालीन प्रभारी प्राचार्य प्यारे लाल मरावी और सहायक ग्रेड 2 कैलाश सूर्यवंशी ने व्याख्याता पी एल कुर्रे को लाखों रुपए का आर्थिक लाभ पहुंचाया। जाहिर सी बात है इसमें उनकी भी हिस्सेदारी रही होगी, लेकिन इनमें से एक आरोपी अब जीवित नहीं है। तीनों आरोपियों के खिलाफ धारा 420, 34 और 409 के तहत अपराध पंजीबद्ध किया है। बताया जा रहा है आरोपी कि पीएल कुर्रे ने करीब 78 लाख रुपए खर्च भी कर डाले हैं। कानूनी कार्यवाही के साथ इस राशि की वसूली के भी प्रयास किए जा रहे हैं। सरकारी खजाने से इतनी बड़ी राशि के गबन में और किन-किन कर्मचारियों की भूमिका है इसकी भी जांच आवश्यक है।

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