
आलोक अग्रवाल


कल्पना कीजिए हालात कितने भयाभव और मायूस करने वाले हैं, जब एक बाप अपने बेटे का, एक भाई और बहन अपने भाई की और दूसरे रिश्तेदार भी एक शख्स के मौत की दुआ करने लगे। ऐसा ही हुआ बिलासपुर के चर्चित सकरी गोलीकांड में, जहां रिश्तो को शर्मसार करने वाला ऐसा मामला सामने आया जिसने पूरे परिवार को कलंकित किया है।
जब बुनियादी अपराध का हो तो फिर वहां संस्कार की उम्मीद कैसे की जा सकती है ? गोरखपुर से बिलासपुर आकर बसा जय नारायण त्रिपाठी आदतन अपराधी था। कुछ समय तक यहां नौकरी करने के बाद वह अपने असली रंग में आ गया यानी अपराध की दुनिया में उतर गया। उसकी देखा देखी उसके दोनों बेटे संजू और कपिल त्रिपाठी भी इसी राह के मुसाफिर बन गए। बाप- बेटों ने मिलकर ऐसा कौन सा अपराध नहीं ,है जिसे अंजाम नहीं दिया। बिलासपुर के हर थाने में उनके खिलाफ मामला दर्ज है। एक्सटॉर्शन, सूदखोरी, जबरन जमीन पर कब्जा कर खरीदी बिक्री जैसे तमाम अपराध करने वालों ने अपनों को भी नहीं छोड़ा। जय नारायण त्रिपाठी ने एक बच्ची को गोद लिया था। कहते हैं एक दिन संजू त्रिपाठी ने अपने बाप को उसी दत्तक पुत्री के साथ आपत्तिजनक अवस्था में देख लिया था, जिसके बाद वह भी उसका शोषण करने लगा। हद तो तब हो गई जब वह बेटी बड़ी हो गई और उसकी शादी हो गई तब भी संजू त्रिपाठी जबरन उसके घर जाकर उसके पति के सामने यही सब दोहराता रहा।

इधर एक जमीन के मुआवजे के रूप में जय नारायण त्रिपाठी को 8 करोड़ रुपए मिलने वाले थे। संजु त्रिपाठी अकेले ही उसमें से 4 करोड रुपए चाहता था। शनिचरी वाले मकान और दुकान पर भी उसकी नजर थी।
एक समय जब संजू त्रिपाठी जेल में था तो उसका क्राईम पार्टनर कपिल त्रिपाठी अपना वजूद बनाने लगा। उसने किसी जमीन का सौदा किया जो संजू त्रिपाठी को रास नहीं आया। इसी मामले पर भाई और बाप को समझौते के लिए बुलाकर संजु त्रिपाठी ने कपिल त्रिपाठी के सर पर फरसे से जानलेवा वार कर दिया।
ऐसी तमाम घटनाओं के बाद इन लोगों के बीच ऐसी गहरी खाई बन गई जिसमें किसी एक की मौत सुनिश्चित थी। संजु त्रिपाठी बाहुबली ही नहीं था बल्कि उसे राजनीतिक संरक्षण भी हासिल था। संजु उर्फ प्राण नाथ त्रिपाठी कांग्रेस का पदाधिकारी था। इसलिए 30 से अधिक मामले दर्ज होने के बावजूद वह जेल से बाहर था और तमाम अपराधों को लगातार अंजाम दे रहा था। लेकिन लगता है उसके पाप का घड़ा भर गया था। आखिर उसके भाई कपिल त्रिपाठी और पिता जय नारायण त्रिपाठी ने ही उसकी हत्या की साजिश रची। इसमें और तमाम लोगों को शामिल किया गया। इस वारदात से पहले भी एक बार इन लोगों ने संजू त्रिपाठी की हत्या की नाकाम कोशिश की थी, लेकिन इस बार फुलप्रूफ प्लान बनाया गया। कपिल त्रिपाठी ने सभी को समझाया था कि वह बाहर रहकर उन्हें सुरक्षा देगा। उसने कुछ लोगों के पास वह हथियार रखे थे जिन से हत्या हुई ही नहीं थी। वह चाहता था कि इन हथियारों के साथ वे लोग पकड़े जाए और बाद में अदालत में यह साबित हो कि इन हथियारों से हत्या नहीं हुई है। इसके बाद वह योजनानुसार सभी को कोर्ट से छुड़ा लेगा। उसके इन वायदों पर भरोसा कर तमाम लोग इस अपराध के भागीदार बने।

बिलासपुर के चर्चित सकरी गोलीकांड मैं बिलासपुर के हिस्ट्रीशीटर और कांग्रेस नेता की हत्या के मामले में पुलिस ने उसके ही पिता जय नारायण त्रिपाठी, भाई कपिल त्रिपाठी, बहनोई भरत तिवारी समेत 13 लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस को अब भी पांच शूटर्स और झारखंड एवं रायगढ़ के हथियार सप्लायर की तलाश है।
एक तरफ वर्चस्व की लड़ाई में जय नारायण त्रिपाठी और कपिल त्रिपाठी संजू की जान लेना चाहते थे, तो वही जय नारायण त्रिपाठी की दत्तक पुत्री और उसका पति भी संजु त्रिपाठी के अत्याचार से त्रस्त हो चुके थे। इसलिए वे भी अपने रिश्तेदारों के साथ इस हत्याकांड के सहयोगी बन गए। इनके ही कुछ और परिचितों ने भी इनकी मदद की। इन लोगों ने फुलप्रूफ प्लान बनाया। हत्या करने के बाद कौन कहां भागेगा, कहां छिपेगा, किस तरह से भागेगा इसकी पूरी रूपरेखा तय की गई।
हत्या को अंजाम देने के लिए कुछ शूटर बुलाए गए, जिन्हें कपिल त्रिपाठी ने अपने घर पर रखा। यह लोग एक महीने तक संजू त्रिपाठी की रेकी करते रहे और उचित मौके का इंतजार किया जाता रहा । 14 दिसंबर को कपिल त्रिपाठी को खबर मिली कि आज संजू सावाताल स्थित फार्म हाउस जाएगा। फार्महाउस से वापसी के दौरान उसकी हत्या की योजना बनाई गई। तय किया गया कि सकरी पुराना थाना चौक, खनिज बैरियर के पास स्पीड ब्रेकर में जैसे ही संजु त्रिपाठी अपनी कार धीमी करेगा उसी दौरान उसकी हत्या कर दी जाएगी। योजना के अनुसार अमन गुप्ता, भरत तिवारी, आशीष तिवारी, रवि तिवारी और प्रेम श्रीवास अमन गुप्ता की कार में सवार होकर संजू त्रिपाठी की रेकी करते रहे । यह लोग तखतपुर रोड की ओर आगे बढ़े। आगे पीछे और 3 और कार शामिल थे। इसी दौरान इन्हें संजू त्रिपाठी की एमजी हेक्टर कार दिखी। प्रेम श्रीवास ने व्हाट्सएप कॉल के जरिए शूटर को इसकी जानकारी दी। नीले रंग के बलेनो कार में सवार शूटर ने घटना को सफलतापूर्वक अंजाम दिया । कांग्रेस महामंत्री पर 10 राउंड फायर किया गया, जिसके बाद शूटर बलेनो कार से कोटा की ओर भागे। रास्ते में स्कॉर्पियो कार उसके पीछे पीछे कोटा रोड की ओर बढ़ गई। बलेनो कार को पोड़ी में छोड़कर 5 शूटर और प्रेम श्रीवास डिजायर कार में बैठकर शहडोल की तरफ भाग गए, तो वही
कपिल त्रिपाठी को लग रहा था कि उसने फुलप्रूफ प्लान बनाया है, लेकिन घटना के कुछ घंटे बाद ही पुलिस को उस पर संदेह हो गया । संजू त्रिपाठी की पत्नी किरण त्रिपाठी ने पूछताछ में पुलिस को बता दिया था कि संजु त्रिपाठी का अपने पिता जय नारायण त्रिपाठी और छोटे सगे भाई कपिल त्रिपाठी से पैतृक संपत्ति को लेकर विवाद था, इसलिए उसे अपने ससुर और देवर पर शक था। पुलिस ने कपिल की पतासाजी की तो उसका मोबाइल बंद और वह गायब मिला। जिससे उस पर शक बढ़ता चला गया। पुलिस ने उसके पिता जय नारायण त्रिपाठी, कपिल की पत्नी, उसके बहनोई भरत तिवारी को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो मामले की परत खुलती चली गई।
योजना अनुसार भरत तिवारी पुलिस के सामने चीख चीख कर कहता रहा कि हत्या उसने करवाई है। उसे भरोसा था कि उसके पास से जो हथियार मिले हैं , चूंकि उससे हत्या नहीं हुई है इसलिए वह अदालत में बरी हो जाएगा, लेकिन उसकी होशियारी नहीं चल पाई । हत्या के समय चार अलग-अलग कारो से संजू त्रिपाठी का पीछा किया गया
इधर हत्या की घटना को अंजाम देने के बाद पांच शूटर अपनी बलेनो कार को कोटा रोड स्थित ग्राम पोड़ी, दूसरे स्कॉर्पियो बाग कोविलाइल इंदिरा कार को मुंगेली रोड पर गांव मेडिकल स्टोर के पास छोड़कर भाग गए थे
कहते हैं अपराधी कितना भी शातिर क्यों ना हो उससे चूक हो ही जाती है। जय नारायण त्रिपाठी के मोबाइल पर ऑटो कॉल रिकॉर्डिंग ऑन था। इसलिए कपिल त्रिपाठी और अन्य लोगों से होने वाली बातचीत रिकॉर्ड होती रही, जिससे पुलिस को महत्वपूर्ण सुराग हाथ लगा। इससे ही पता लगा कि जय नारायण त्रिपाठी ने जिस लड़की को गोद लिया था, संजु त्रिपाठी उसी पर बुरी नियत रखता था और उसका शारीरिक शोषण करता था। जय नारायण त्रिपाठी का शनिचरी बिलासपुर में जो संपत्ति था उसे भी जालिम संजु त्रिपाठी अपने नाम लिखवाना चाहता था। इसके लिए पिता के सहमत ना होने पर संजू त्रिपाठी ने कई बार पिता के साथ भी मारपीट की थी। इसलिए जय नारायण त्रिपाठी भी अपने बड़े बेटे के खिलाफ था।
संजू त्रिपाठी ने हर किसी को अपना दुश्मन बना लिया था। इसलिए जब उसकी हत्या की बात सामने आयी तो कई लोग सहयोग करने को तैयार हो गए। शनिचरी में स्थित मकान और दुकान जय नारायण त्रिपाठी अपनी दत्तक पुत्री और दामाद को देना चाहता था लेकिन संजु त्रिपाठी इसके आड़े आ रहा था, इसलिए दत्तक पुत्री और दामाद भी संजू के खिलाफ हो गए। इसलिए सबने मिलकर संजू को ठिकाने लगाने की योजना बनाई ।
किस किसको किया शामिल
जय नारायण त्रिपाठी, कपिल त्रिपाठी, जय नारायण की दत्तक पुत्री , उसके पति भरत तिवारी और भरत तिवारी के रिश्तेदार आशीष तिवारी एवं रवि ने संजीव त्रिपाठी की हत्या की योजना बनाई। इसके बाद उन्होंने अपने सहयोगियों सुमित निर्मलकर और प्रेम श्रीवास को भी योजना में शामिल कर लिया। उत्तर प्रदेश से 5 शूटर बुलाने में प्रेम श्रीवास की ही भूमिका रही। यह सभी शूटर एक महीने पहले ही बिलासपुर पहुंच गए थे, जिसे कपिल त्रिपाठी ने अपने घर के पास स्थित फार्महाउस शैलेंद्र नगर अमेरी में रुकवाया था। रायगढ़ के हथियार सप्लायर के साथ प्रेम श्रीवास और कपिल त्रिपाठी अंबिकापुर गए थे, जहां झारखंड के हथियार सप्लायर से 2 लाख रुपए देकर एक पिस्टल तथा 10 राउंड खरीदा गया था।
संजु त्रिपाठी की हत्या के लिए प्रत्यक्ष तौर पर सुमित निर्मलकर, प्रेम श्रीवास, अमन गुप्ता, भरत तिवारी, आशीष तिवारी, रवि तिवारी और राजेंद्र ठाकुर शामिल थे। इनके अलावा भी इनके कई और सहयोगी थे। पूरी योजना को कपिल त्रिपाठी ने ही तैयार किया था जो लगातार संजू त्रिपाठी का रेकी कर रहा था। साथ ही उसने खुद को बचाने की भी योजना बना ली थी।
योजना अनुसार संजु त्रिपाठी की हत्या के बाद सुमित निर्मलकर, कपिल त्रिपाठी, प्रेम श्रीवास नेपाल भाग जाने वाले थे। सुमित की पत्नी का घर नेपाल की सीमा पर है, इसलिए उसने वहां ठहरने की व्यवस्था की थी। योजना थी कि यहां रहकर भरत तिवारी, आशीष तिवारी और रवि तिवारी हथियार के साथ गिरफ्तार होंगे, वो हथियार जिसका इस्तेमाल हुआ ही नहीं था।
पुलिस ने शनिचरी वाले घर और अन्य जगह से तीन पिस्टल बरामद किया है।
घटना के बाद सुमित निर्मलकर किराए की स्कॉर्पियो कार से भिलाई चला गया था। कपिल त्रिपाठी भी बिलासपुर से लिफ्ट लेकर भिलाई पहुंच गया। जहां सुमित निर्मलकर उसका इंतजार कर रहा था। यह दोनों भिलाई से गोंदिया होते हुए भोपाल पहुंचे। दोनों टैक्सी ड्राइवर से लिफ्ट लेकर इंदौर पहुंचे। इंदौर से बस से दिल्ली पहुंचे। दिल्ली से नेपाल जाने वाली बस में बैठ गए, लेकिन नेपाल जाते समय लखनऊ टोल प्लाजा के पास उत्तर प्रदेश पुलिस के सहयोग से कपिल और सुमित निर्मलकर पकड़े गए।
वही शहडोल होते हुए उत्तर प्रदेश भाग गए प्रेम श्रीवास को लखनऊ से गिरफ्तार किया गया। भरत तिवारी, रवि तिवारी ,आशीष तिवारी एवं राजेंद्र सिंह ठाकुर शहडोल होते हुए दिल्ली भाग गए थे। उन्हें दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया । अमन गुप्ता को सिरगिट्टी बस स्टैंड के पास से गिरफ्तार किया गया।
आरोपियों की गिरफ्तारी में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली और उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ बस और टैक्सी ड्राइवर का भी सहयोग मिला। बिलासपुर पुलिस की टीम ने इस दौरान 20 लाख से अधिक मोबाइल नंबरों का विश्लेषण किया। 100 से अधिक स्थलों के मोबाइल की कॉल डिटेल रिकॉर्ड का अध्ययन किया गया तथा पांच राज्यों में 1000 से अधिक सीसीटीवी कैमरे का भी विश्लेषण किया गया। इन राज्यों में 50 से अधिक टोल प्लाजा में लगे सीसीटीवी कैमरे की जांच की गई।
इस मामले में 13 आरोपी गिरफ्तार
पुलिस ने संजू त्रिपाठी हत्याकांड में उसके पिता जय नारायण त्रिपाठी, भाई कपिल त्रिपाठी के अलावा सहयोगी सुमित निर्मलकर, प्रेम श्रीवास उर्फ बजरंग श्रीवास , कपिल की पत्नी सुचित्रा त्रिपाठी , जय नारायण की दत्तक पुत्री, अपराधियों को वाहन उपलब्ध कराने वाले अमन गुप्ता, दत्तक पुत्री के पति भरत तिवारी, भरत तिवारी के भतीजे आशीष तिवारी, भरत तिवारी के भांजे रवि तिवारी, आरोपी प्रेम श्रीवास के कार ड्राइवर राजेंद्र सिंह को गिरफ्तार किया है ।अभी पुलिस को 5 शूटर और हथियार सप्लायर की तलाश है।
इस मामले को सुलझाना पुलिस के लिए भी बड़ी चुनौती थी ।हालांकि पहले दिन से ही हत्या किसने की है , पुलिस को इसका अंदाज़ा हो गया था। लेकिन इन आरोपियों को ढूंढ निकालना आसान नहीं था । पुलिस ने इस कठिन कार्य को केवल 4 दिनों के भीतर अंजाम देकर उल्लेखनीय कार्य किया है।
घटना में प्रयुक्त वाहनो का विवरण
प्रकरण में आरोपीगणों द्वारा घटना में प्रयुक्त वाहन एक नग एलांट्रा कार कमांक सी. जी. 10. एक्स.5566 एवं डिजायर कार सफेद रंग की क्रमांक सी.जी.10.बी.एल.0577 आरोपी अमन गुप्ता की थी, एक स्कार्पियों कार सफेद रंग की कमांक सी.जी. 10 ए.यू 9953 जिसे आरोपी सुमीत निर्मलकर द्वारा किराये पर आकाश कोशले से लिए थे तथा एक बलेनो कार नीले रंग की क्रमांक सी. जी. 10. एफ 1372 का प्रयोग किया गया गया है एलाण्ट्रा कार में आरोपी अमन गुप्ता, प्रेम श्रीवास, भरत तिवारी, रवि तिवारी बैठे, सफेद डिजायर कार में अज्ञात 03 शुटर्स एवं आशीष तिवारी एवं राजेन्द्र ठाकुर बैठे व बलेनो कार में 02 अज्ञात शुटर्स एवं स्कार्पिया सुमित निर्मलकर बैठकर आरोपी कपिल त्रिपाठी के घर निकले जो घुरू अमेरी रास्ते से गीता पैलेस होकर उसलापुर होकर मुख्य मार्ग में आए सबसे पहले डिजायर कार फिर बलेनो उसके बाद एलण्ट्रा कार एवं सबसे पीछे सफेद स्कार्पियो थी घटना स्थल सबसे पहले डिजायर कार एवं बलेनो कार थी एवं एलाण्ट्रा कार रेक करने वास्ते कानन पेण्डारी के आगे बढ़ गया स्कार्पियो वाहन घटना स्थल के पास खडी थी जो घटना घटित होने के बाद रायपुर रोड की ओर भाग गयी एवं एक डिजायर कार एवं बलेनो कार कोटा रोड तरफ भागे उसके बाद रेकी करने वाला वाहन एलाण्ट्रा रेकी कर वापस कोटा मोड पहुचे थे जिन्होने घटना में प्रयुक्त नीले रंग के बलेनो कार को देख काम हो जाने के अंदेशा पर बलेनो के पीछे एलाण्ट्रा चलने लगी एवं डिजायर भी पीछे पीछे आ गयी कोटा रोड भरनी के आगे पोडी ग्राम पहुंच मार्ग में एक सुनसान जगह में बलेनो कार को खड़ा कर सफेद स्वीफट डिजायर कार में 05 नफर अज्ञात शुटर्स व प्रेम श्रीवास तथा सफेद एलाण्ट्रा कार में अमन गुप्ता, राजेन्द्र ठाकुर, आशीष तिवारी, भरत तिवारी, रवि तिवारी बैठकर शहडोल की तरफ भाग गये डिजायर कार में सवार युवक शहडोल में नही मिलने से एलाण्टा में सवार आरोपी राजेन्द्र ठाकुर, आशीष तिवारी, भरत तिवारी, रवि तिवारी को अमन गुप्ता शहडोल में छोडकर सुबह सुबह वापस अपने घर आ गया और गाडी अपने घर के पीछे पार्क कर दिया था
