आदिवासी छात्र युवा संगठन(ASYU) के महामंत्री विनोद कुमेटी ने कहा कि इन्होने दलितों व महिलाओं के उत्थान के लिए अनेक कार्य किये। 24 सितंबर 1873 ईo को इन्होंने महाराष्ट्र में सत्यशोधक समाज की स्थापना की। इन्होने समाज के सभी वर्गों के लिए शिक्षा प्रदान किये जाने शुरुआत की। ये भारतीय समाज में प्रचलित जाति व्यवस्था के घोर विरोधी थे। इन्होने समाज के जाति आधारित विभाजन का सदैव विरोध किया। इन्होंने जाति प्रथा को समाप्त करने के उद्देश्य से बिना पंडित के ही विवाह संस्कार प्रारंभ किया। इन्होंने बाल-विवाह का विरोध किया। ये विधवा पुनर्विवाह के समर्थक थे।
फुले ने महिलाओं तथा बालिकाओं के उद्धार के लिए महत्वपूर्ण कार्य किये. वर्ष 1848 में ज्योतिबा फुले ने महिलाओं को शिक्षा देने के उद्देश्य से बालिका स्कूल की स्थापना की जिसमें स्वयं सावित्री बाई पढाती हैं. उस समय भारत में महिला शिक्षा का यह एकमात्र विद्यालय था ।
ज्योतिबा फुले ने 28 नवंबर 1890 को पुणे में इस दुनिया को अलविदा कहा।
इस कार्यक्रम में निम्न उपस्थित थे:–विनोद कुमेटी , होस्टल अधीक्षक उमाशंकर कोड़ोपी,जागृति मंच के निवास अधिकारी, धानिराम नरेटी, रंजन नुरुटी दायारम कोमरा सोमकृत टांडिया, रजन नुरुटी ,सोनू पोटाई सुनिल, राकेश आचला, मुकेश आचला ,संदीप गावड़े आदि थे।