

सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। कहा जाता है यह पर्व मैथिल,मगध और भोजपुरी लोगो का सबसे बड़ा पर्व है ये उनकी संस्कृति है। छठ पर्व बिहार मे बड़े धुम धाम से मनाया जाता है
छठ एक ऐसा त्योहार है जो पवित्रता, भक्ति और सूर्य भगवान को प्रार्थना करने के बारे में है ; इस त्योहार की सटीक उत्पत्ति अस्पष्ट है लेकिन कुछ मान्यताएं हैं जो हिंदू महाकाव्यों से जुड़ती हैं। रामायण और महाभारत दो महाकाव्य हैं जो छठ पूजा से जुड़े हैं।
छठ पूजा सबसे पहले कौन किया था?
किंवदंती के अनुसार, ऐतिहासिक नगरी मुंगेर के सीता चरण में कभी मां सीता ने छह दिनों तक रह कर छठ पूजा की थी। पौराणिक कथाओं के अनुसार 14 वर्ष वनवास के बाद जब भगवान राम अयोध्या लौटे थे तो रावण वध के पाप से मुक्त होने के लिए ऋषि-मुनियों के आदेश पर राजसूय यज्ञ करने का फैसला लिया।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता सीता ने सबसे पहले मुंगेर के कष्टहरणी घाट पर छठ व्रत किया था. उसी के बाद इस महापर्व की शुरुआत हुई थी. जिस स्थान पर माता सीता ने छठ पूजा की थी
छठ पूजा कितने देश में मनाया जाता है?
जिस देश में भी बिहारी है वहां छठ पर्व मनाया जाता है। लगभग 22 देशों में मनाया जाता है।
छठ मैया, सूर्यदेव की बहन हैं और सूर्योपासना से वह प्रसन्न होकर घर परिवार में सुख-शांति प्रदान करती हैं। षष्ठी देवी को ही छठ मैया कहा गया है। षष्ठी देवी को ब्रह्मा की मानसपुत्री भी कहा गया है, जो निसंतानों को संतान प्रदान करती हैं।
बिहार का मुख्य त्योहार कौन सा है?
छठ पूजा बिहार का प्रसिद्ध और प्रमुख त्योहार है। बिहार एक प्राचीन भूमि है जिसकी धर्म में गहरी जड़ें हैं। बिहार में लोग आध्यात्मिक रूप से प्रवृत्त होने के कारण भगवान की पूजा करने के लिए कई त्योहार मनाते हैं। छठ पूजा एकमात्र वैदिक त्योहार है जो सूर्य देव को समर्पित है।
बिहार का कोई भी व्यक्ति देश दुनिया में कहीं भी रहे जैसे ही छठ का त्योहार आता है उसे अपने गांव, अपने घर और उस घर में होने वाली पूजा. पूजा के बाद बंटने वाले प्रसाद की खूब याद आती है. साफ़ है कि बिहार के किसी भी नागरिक के लिए छठ सिर्फ त्योहार नहीं बल्कि एक इमोशन है।
छठ में किसी शास्त्रीय विधान का जिक्र नहीं मिलता. ईश्वर और उपासक के बीच कोई बिचौलिया नहीं. कोई जातिभेद नहीं. तो मूल रूप से छठ को लोकपर्व माना जाना चाहिए. छठ के गीतों की पर्याय हैं शारदा सिन्हा. उनके आवाज की ठेठ देसी खनक ने हमेशा साबित किया है कि छठ लोक की रग-रग में बसा देसी त्योहार है.
बिहारी समाज ही एक ऐसा समाज है जो सूर्य के हर रूप की पूजा करता हैं। उगते सूर्य को भी अर्घ्य देता हैं और डूबते सूर्य को भी अर्घ्य देता हैं।
