अब केवल स्मृतियों में शेष, अपने जन्मदिन पर खूब याद आयी मुंगेली की बेटी, देश की उभरती कवियत्री दिव्या दुबे नेह, जन्मदिन विशेष

आकाश दत्त मिश्रा

दिव्या को दिव्यलोक वासी बने 9 महीने हो गए, लेकिन आज भी जैसे इस पर यकीन ही नही होता, और शुक्रवार 7 अक्टूबर को तो मुंगेली की बेटी दिव्या पौराणिक खूब याद आयी, क्योंकि बैकुंठ लोक गमन के बाद यह उनका पहला जन्मदिन जो था। मुंगेली का नाम राष्ट्रीय स्तर पर रौशन करने वाली पौराणिक परिवार की लाडली बेटी यूं हठात सब कुछ छोड़ कर चली जाएगी, यह किसने कल्पना की थी।


2022 की पहली सुबह वो मनहूस खबर लेकर आयी, जिसने एक भरपूर संभावनाओं का असमय अंत कर दिया। आज सिर्फ दिव्या दुबे नेह की यादें ही शेष है। मुंगेली में ऐसी ऐसा कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं होता था, जो नेहा और उनकी बहन निधि के बिना पूरा हो। मंच संचालन से लेकर गायन और अपनी कविताओं से लोगों का मन जय करने वाली मुंगेली की बेटी नेहा और पूरे संसार के लिए दिव्या दुबे ने नेह स्मृतियों में आज भी रची बसी है।


मुंगेली के प्रतिष्ठित पौराणिक परिवार वीरेंद्र पौराणिक और करुणा पौराणिक की बेटी नेहा आरंभ से ही बहुमुखी प्रतिभा की धनी थी । कवि ह्रदय नेहा को स्कूल में लोग दिव्या के नाम से बेहतर जानते थे। मुंगेली में 7 अक्टूबर 1987 को जन्मी दिव्या की आरंभिक शिक्षा मुंगेली के सरस्वती शिशु मंदिर में हुई थी। यही वजह है कि उसमें संस्कार इतने गहरे थे। पिता बिरेंद्र पौराणिक अपने दिनों में गायक बनना चाहते थे, लेकिन परिस्थितियां अनुकूल नहीं रही तो फिर उन्होंने अपनी परछाइयों नेहा और निधि में खुद को तलाशा, और दोनों बेटियों को कला के क्षेत्र में कुछ करने के लिए प्रोत्साहित किया और उन्हें बेहतर अवसर उपलब्ध कराया। मुंगेली में शरद पूर्णिमा के पवित्र दिन जन्मी नेहा खुद एक दिव्य आत्मा थी, इसलिए उसका नाम भी दिव्या रखा गया। स्कूली शिक्षा के अलावा दिव्या ने खैरागढ़ इंदिरा गांधी कला महाविद्यालय से संगीत की उच्च शिक्षा ग्रहण की।

अपनी आवाज से तो सीधे लोगों के दिल में उतरने वाली नेहा और निधि की जोड़ी की तुलना लोग लता और आशा की जोड़ी से करते थे । निधि के आवाज में शोखी है तो वही नेहा की आवाज में लता दीदी की तरह शांति और गहराई थी।
एक तरफ जहां नेहा अपनी आवाज से लोगों के दिलों पर राज कर रही थी, वही वह देश की उभरती हुई कवित्री भी थी। अपनी आवाज और अपनी रचनाओं से एक के बाद एक उपलब्धि वो अपने नाम करती चली गई। दिव्या दूबे ने बेमेतरा में आयोजित व्यापार मेले का भी कुशल संचालन किया, जिसकी यादें भी ताजा है।


हिंदी साहित्य अकादमी में बतौर सदस्य दिव्या का चयन होना पूरे मुंगेली के लिए गौरव का विषय था। इसके बाद दिव्या का नाम राष्ट्रीय स्तर पर सुनाई पड़ने लगा। गायन की राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में खिताब जीतने वाली दिव्या दुबे नेहा को बतौर कवियत्री आज तक पर प्रसारित कवि युद्ध में भी आमंत्रित किया गया था। ज़ी 24 घंटे में भी नेहा की कविताओं का प्रसारण हुआ। ऑल इंडिया मुशायरा में भी नेहा ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 72 घंटे चले कविता पाठ के आयोजन में भी नेहा ने भाग लिया था । अपनी बहुमुखी प्रतिभाओं की वजह से दिव्या दुबे को हिंदी साहित्य अकादमी का सदस्य नियुक्त किया गया था।
छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध कवि सुरेंद्र दुबे के भतीजे नवनीत दुबे के साथ ब्याहने के बाद दिव्या की जिंदगी में मानो पंख लग गए। प्यार करने और प्रतिभाओं को खुला आसमान देने वाला पति , प्यारी सी बेटी अवनी, सब कुछ कितना स्वप्नलोक जैसा सुखद लग रहा था।


नेहा कहती थी जीवन बहुत छोटा है, उसे जियो क्योंकि जीवन को ढलना तो एक दिन है। किसे पता था कि वह ऐसा खुद के लिए कह रही है। जिस वक्त पूरी दुनिया नए साल के जश्न में डूबी थी 1 जनवरी 2022 को अपने घर पर अपनी बेटी अवनी की देखभाल करने के दौरान अचानक दिव्या को बाथरूम में हार्ट अटैक आया और वह जिस वक्त इस दुनिया से कूच कर गई, उस वक्त उनका कोई भी करीबी उनके पास नहीं था।
जिसने भी यह खबर सुनी उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। नन्ही बिटिया अनाथ हुई तो माता, पिता, पति और बहन की उम्मीदें भी एक पल में बिखर गये।


नेहा कहती थी जीवन बहुत छोटा है , उसे जियो, प्रेम दुर्लभ है, उसे पकड़ कर रखो, क्रोध बहुत खराब है, उसे दबा कर रखो, भय बहुत भयानक है , उसका सामना करो । स्मृतियां बहुत सुखद है उन्हें संजो कर रखो।
आज उनके चाहने वालों के बीच दिव्या की बस स्मृतियां ही तो है, जितनी सुखद है उतनी ही भयावह भी। दिव्या की याद टिस पैदा करती है जिसे सहना उनके अपनों और चाहने वालों के लिए आसान तो कतई नहीं है। यह भयावह है, लेकिन बकौल दिव्या, इसका सामना तो करना ही होगा…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!