विजयादशमी के अवसर पर परंपरा अनुसार की गई अस्त्र- शस्त्रों की पूजा, पुलिस शस्त्रागार और सिविल लाइन थाना में भी हुई शस्त्र पूजा

दशहरा विजय उत्सव है, जब भगवान श्रीराम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी। इसी दिन नवरात्रि की समाप्ति भी होती है और देवी प्रतिमाओं का विसर्जन भी। इसी दिन अस्त्र-शस्त्र की पूजा की भी परंपरा है। अस्त्र-शस्त्र की पूजा कर विजय पर्व मनाया जाता है।


सनातन धर्म में यह परंपरा आज से नहीं बल्कि त्रेता युग से चली आ रही है। परंपरा अनुसार क्षत्रिय इस दिन शस्त्र और ब्राह्मण इस दिन शास्त्रों की पूजा करते हैं। इस दिन एक तरफ जहां सैनिकों और कारीगरों द्वारा हथियारों और अन्य उपकरणों की पूजा की जाती है तो वही पुलिस बल द्वारा भी अपने शस्त्रागार में मौजूद शस्त्रों की पूजा की जाती है। इस परंपरा का निर्वहन करते हुए बिलासपुर के सिविल लाइन थाना में भी विधि विधान के साथ शस्त्र पूजा की गई ।थाना प्रभारी परिवेश तिवारी और थाना के कर्मचारियों ने शस्त्रों की पूजा कर समय पर उनके साथ देने और शत्रु पर विजय प्राप्त करने की कामना की।


मान्यता है कि रावण के वध के लिए प्रभु श्री राम को देवी देवताओं ने अपने अपने विशेष अस्त्र और शस्त्र प्रदान किए थे। रावण वध के पश्चात भगवान श्रीराम ने आभार प्रकट करते हुए इन शस्त्रों की पूजा कर उन्हें देवताओं को वापस लौटाया था। तभी से दशहरा पर शस्त्र पूजन की परंपरा चली आ रही है।
रावण के 10 सिर काम, क्रोध लोभ, मोह , अहंकार जैसे 10 अवगुण के प्रतीक है। इन देसों को हरने का पर्व है दशहरा। इसी अवसर पर बिलासपुर के पुलिस अस्त्रागार समेत थानों में भी शस्त्र पूजा की गई।

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