

प्रदेश के मिसाबंदियो के पेंशन रोके जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट से छत्तीसगढ़ शासन को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाया है। हाईकोर्ट ने मिसाबंदियों को पेंशन देने शासन को 25 जनवरी को आदेश दिया था। इस आदेश को चुनौती देते हुए शासन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। 2019 में राज्य शासन ने मिसाबंदियों की भौतिक सत्यापन और समीक्षा के लिए पेंशन पर रोक लगाया था। शासन द्वारा लगाए गए रोक को लेकर हाई कोर्ट याचिका लगाई गई थी।

छत्तीसगढ़ में डॉ रमन सिंह की भाजपा शासन काल मे मीसाबंदियों को पेंशन देने की सुविधा शुरू की गई थी। प्रदेश में सरकार बदलने के बाद कांग्रेस के भुपेश सरकार ने इसे बंद कर दिया गया था। पेंशन बंद होने के बाद राज्य सरकार के आदेश के खिलाफ मीसाबंदियों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इस मामले में हाईकोर्ट ने मीसाबंदियों के हक़ में 25 जनवरी 2022 को निर्णय सुनाया था। हाईकोर्ट ने मीसाबंदियों को पेंशन की सुविधा देने का आदेश सुनाया था। चीफ़ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने मीसाबंदियों को अपने निर्णय से बड़ी राहत दी थी। इससे पहले भी सिंगल बेंच ने भी मीसाबंदियों को राहत दी थी और उनके हक में फैसला सुनाया था,जिसके खिलाफ राज्य सरकार ने डबल बेंच में अपील की थी। जानकारी दें कि तीस से ज्यादा मीसाबंदियों ने पेंशन की मांग को लेकर हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी। इस मामले में राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है।
